राष्ट्रीय शिक्षा की अवधारणा के विरुद्ध दूसरा तर्क यह दिया गया कि “मानव जाति और उसकी आवश्यकताएँ सब जगह एक हैं । सत्य और ज्ञान एक ही है, उनका कोई देश नहीं होता । अतः ज्ञान देने का साधन होने के कारण शिक्षा भी सार्वभौम होनी चाहिए, जिसकी कोई राष्ट्रीयता न हो, कोई सीमों न हों । उदाहरणार्थ, भौतिक विज्ञान में राष्ट्रीय शिक्षा का भला क्या अर्थ हो सकता है !' | राष्ट्रीय शिक्षा की अवधारणा के विरुद्ध दूसरा तर्क यह दिया गया कि “मानव जाति और उसकी आवश्यकताएँ सब जगह एक हैं । सत्य और ज्ञान एक ही है, उनका कोई देश नहीं होता । अतः ज्ञान देने का साधन होने के कारण शिक्षा भी सार्वभौम होनी चाहिए, जिसकी कोई राष्ट्रीयता न हो, कोई सीमों न हों । उदाहरणार्थ, भौतिक विज्ञान में राष्ट्रीय शिक्षा का भला क्या अर्थ हो सकता है !' |