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८४. अर्थात्‌ मातापिता ने मिल कर अपनी सन्तानों को घर की स्वच्छता करना, कपडे-बर्तन, अन्य सामग्री की स्वच्छता करना, भोजन बनाना, करना, करवाना, बिस्तर लगाना, समेटना, घर के आवश्यक सामान की खरीदी करना, घर में सारा सामान व्यवस्थित रखना, घर सजाना आदि अनेक छोटे बडे काम सिखानें चाहिये । जिस परिवार में सभी सदस्यों को ये सारे काम अच्छी तरह करना आता है वही परिवार स्वावलम्बी होता है ।
 
८४. अर्थात्‌ मातापिता ने मिल कर अपनी सन्तानों को घर की स्वच्छता करना, कपडे-बर्तन, अन्य सामग्री की स्वच्छता करना, भोजन बनाना, करना, करवाना, बिस्तर लगाना, समेटना, घर के आवश्यक सामान की खरीदी करना, घर में सारा सामान व्यवस्थित रखना, घर सजाना आदि अनेक छोटे बडे काम सिखानें चाहिये । जिस परिवार में सभी सदस्यों को ये सारे काम अच्छी तरह करना आता है वही परिवार स्वावलम्बी होता है ।
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८५. अर्थात्‌ भोजन के लिये पैसा कमाना इतना जरूरी नहीं है जितना भोजन बनाने का कौशल प्राप्त करना और भोजन के शास्त्र को जानना । भोजन बनाना ही नहीं तो करना और करवाना भी आना चाहिये । साथ ही अन्य दैनन्दिन जीवन की अन्यान्य गतिविधियों से सम्बन्धित कामों को सीखने की व्यवस्था भी परिवार
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८५. अर्थात्‌ भोजन के लिये पैसा कमाना इतना आवश्यक नहीं है जितना भोजन बनाने का कौशल प्राप्त करना और भोजन के शास्त्र को जानना । भोजन बनाना ही नहीं तो करना और करवाना भी आना चाहिये । साथ ही अन्य दैनन्दिन जीवन की अन्यान्य गतिविधियों से सम्बन्धित कामों को सीखने की व्यवस्था भी परिवार
    
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