५०. वर्तमान में परिवार स्वावलम्बी नहीं रहे हैं, नौकरावलम्बी और बाजारावलम्बी बन गये हैं । वास्तव में नौकर घर के सदस्यों के सहायक होते हैं, पर्याय नहीं । घर के कामों के प्रति रुचि और लगाव होने से परिवार स्वावलम्बी बनता है । घर के कामों को तुच्छ और बोजरूप जानने से घर की ही अवमानना होती है । | ५०. वर्तमान में परिवार स्वावलम्बी नहीं रहे हैं, नौकरावलम्बी और बाजारावलम्बी बन गये हैं । वास्तव में नौकर घर के सदस्यों के सहायक होते हैं, पर्याय नहीं । घर के कामों के प्रति रुचि और लगाव होने से परिवार स्वावलम्बी बनता है । घर के कामों को तुच्छ और बोजरूप जानने से घर की ही अवमानना होती है । |