− | सृष्टि में व्याप्त एकात्मता को और मानव जीवन को समग्रता में समझने के लिए विभिन्न विषयों का अंगांगी संबंध समझना आवश्यक है। हमारे अध्ययन, अध्यापन या उपयोजन के विषय का स्थान इस अंगांगी संबंधों की तालिका में कहाँ है इसे समझना जरूरी है। हमारा विषय अन्य विषयों में से किस का अंग है और किसका अंगी है इसे समझना यह हमारे हर विषय का प्रारंभ बिन्दु बनाना चाहिए। ऐसा करते हुए आगे बढ़ने से सृष्टि के व्यवहारों में और मानव जीवन में सुसंगति बनी रहेगी। वर्तमान की सभी समस्याएँ सृष्टि के सभी अस्तित्वों में जो अन्गांगी सम्बन्ध है उसकी उपेक्षा करने के कारण ही है। | + | सृष्टि में व्याप्त एकात्मता को और मानव जीवन को समग्रता में समझने के लिए विभिन्न विषयों का अंगांगी संबंध समझना आवश्यक है। हमारे अध्ययन, अध्यापन या उपयोजन के विषय का स्थान इस अंगांगी संबंधों की तालिका में कहाँ है इसे समझना आवश्यक है। हमारा विषय अन्य विषयों में से किस का अंग है और किसका अंगी है इसे समझना यह हमारे हर विषय का प्रारंभ बिन्दु बनाना चाहिए। ऐसा करते हुए आगे बढ़ने से सृष्टि के व्यवहारों में और मानव जीवन में सुसंगति बनी रहेगी। वर्तमान की सभी समस्याएँ सृष्टि के सभी अस्तित्वों में जो अन्गांगी सम्बन्ध है उसकी उपेक्षा करने के कारण ही है। |