कुम्हार जब मिट्टी से घड़ा बनाता है तब अच्छी तरह से गुँधी हुई गीली मिट्टी के पिण्ड को चाक पर चढ़ाता है, चाक को घुमाता है और उस पिण्ड को जैसा चाहिये वैसा आकार देता है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। इस समय मिट्टी गीली होती है इसलिये
−
−
से गुँधी हुई गीली मिट्टी के पिण्ड को चाक पर चढ़ाता है,
−
−
चाक को घुमाता है और उस पिण्ड को जैसा चाहिये वैसा
−
−
आकार देता है । इस समय मिट्टी गीली होती है इसलिये
उसे जोर से दबाता नहीं है, जोर जोर से थपेडे मारता नहीं
उसे जोर से दबाता नहीं है, जोर जोर से थपेडे मारता नहीं