आचमन करे और छः छिद्रों (अर्थात् नाक, कान और नेत्रों) का जलसे स्पर्श करे।'<blockquote>पूजयेदशनं नित्यमद्याच्चैतदकुत्सयन्।</blockquote><blockquote>दृष्ट्वा हृष्येत्प्रसीदेच्च प्रतिनन्देच्च सर्वशः॥ (२। ५४)</blockquote>'भोजन का नित्य आदर करे और भोजन कैसा भी हो उसकी निन्दा न करते हुए भोजन करे, उसे देख हर्षित होकर प्रसन्नता प्रकट करे और सब प्रकार से उसका अभिनन्दन करे।'<blockquote>पूजितं ह्यशनं नित्यं बलमूर्ज च यच्छति।</blockquote><blockquote>अपूजितं तु तद्भुक्तमुभयं नाशयेदिदम्॥ (२। ५५)</blockquote>'क्योंकि नित्य आदर पूर्वक किया हुआ भोजन बल और वीर्य प्रदान करते है और अनादर से किया हुआ भोजन उन दोनों का नाश करता है।'<blockquote>अनारोग्यमनायुष्यमस्वयं चातिभोजनम्।</blockquote><blockquote>अपुण्यं लोकविद्विष्ट तस्मात्तत्परिवर्जयेत्॥ (२।५७)</blockquote>'भूख से अधिक भोजन करना आरोग्य, आयु, स्वर्ग और पुण्य का नाश करता है और लोक निंदा का भागी होना पड़ता है, इसलिये अधिक भोजन करना त्याग दे। भोजन करने के बाद दिन में कुछ समय विश्रांति लेनी चाहिए टहलना और सोना नहीं चाहिए । भोजन के तुरंत बाद पठन लेखन के लिए तुरंत नहीं बैठना चाहिए कम से कम एक घंटे का अंतर होना चाहिए ।प्रातः एवं सायं के समय मैदानी खेल जैसे खोखो, कबड्डी, इत्यादि मेहनत वाले और मिटटी से संपर्क वाले खेल खेलने चाहिए । | आचमन करे और छः छिद्रों (अर्थात् नाक, कान और नेत्रों) का जलसे स्पर्श करे।'<blockquote>पूजयेदशनं नित्यमद्याच्चैतदकुत्सयन्।</blockquote><blockquote>दृष्ट्वा हृष्येत्प्रसीदेच्च प्रतिनन्देच्च सर्वशः॥ (२। ५४)</blockquote>'भोजन का नित्य आदर करे और भोजन कैसा भी हो उसकी निन्दा न करते हुए भोजन करे, उसे देख हर्षित होकर प्रसन्नता प्रकट करे और सब प्रकार से उसका अभिनन्दन करे।'<blockquote>पूजितं ह्यशनं नित्यं बलमूर्ज च यच्छति।</blockquote><blockquote>अपूजितं तु तद्भुक्तमुभयं नाशयेदिदम्॥ (२। ५५)</blockquote>'क्योंकि नित्य आदर पूर्वक किया हुआ भोजन बल और वीर्य प्रदान करते है और अनादर से किया हुआ भोजन उन दोनों का नाश करता है।'<blockquote>अनारोग्यमनायुष्यमस्वयं चातिभोजनम्।</blockquote><blockquote>अपुण्यं लोकविद्विष्ट तस्मात्तत्परिवर्जयेत्॥ (२।५७)</blockquote>'भूख से अधिक भोजन करना आरोग्य, आयु, स्वर्ग और पुण्य का नाश करता है और लोक निंदा का भागी होना पड़ता है, इसलिये अधिक भोजन करना त्याग दे। भोजन करने के बाद दिन में कुछ समय विश्रांति लेनी चाहिए टहलना और सोना नहीं चाहिए । भोजन के तुरंत बाद पठन लेखन के लिए तुरंत नहीं बैठना चाहिए कम से कम एक घंटे का अंतर होना चाहिए ।प्रातः एवं सायं के समय मैदानी खेल जैसे खोखो, कबड्डी, इत्यादि मेहनत वाले और मिटटी से संपर्क वाले खेल खेलने चाहिए । |