मनुजी कहते है-<blockquote>तं चेदभ्युदियात्सूर्यः शयानं कामचारतः।</blockquote><blockquote>निम्लोचेद्वाप्यविज्ञानाजपन्नुपवसेद्दिनम् (२। २२०)</blockquote>'इच्छापूर्वक सोते हुए ब्रह्मचारी को यदि सूर्य उदय हो जाए या इसी तरह भूल से अस्त हो जाय तो गायत्री मंत्र को जपते हुए दिनभर व्रत करे।<blockquote>सूर्येण ह्यभिनिर्मुक्तः शयानोऽभ्युदितश्च यः।</blockquote><blockquote>प्रायश्चित्तमकुर्वाणो युक्तः स्यान्महतैनसा॥ (२। २२१)</blockquote>'जिस ब्रह्मचारी के सोते रहते हुए सूर्य अस्त या उदय हो जाय वह यदि प्रायश्चित्त न करे तो उसे बड़ा भारी पाप लगता है।'नित्यकर्म में भगवन के नाम का जप और ध्यान तथा कम-से-कम गीताके एक अध्यायका पाठ अवश्य ही करना चाहिये। यदि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य हो तो हवन, संध्या, गायत्री-जप, स्वाध्याय, देवपूजा और तर्पण भी करना चाहिये। इनमें भी संध्या और गायत्री-जप तो अवश्य ही करना चाहिये। न करने से | मनुजी कहते है-<blockquote>तं चेदभ्युदियात्सूर्यः शयानं कामचारतः।</blockquote><blockquote>निम्लोचेद्वाप्यविज्ञानाजपन्नुपवसेद्दिनम् (२। २२०)</blockquote>'इच्छापूर्वक सोते हुए ब्रह्मचारी को यदि सूर्य उदय हो जाए या इसी तरह भूल से अस्त हो जाय तो गायत्री मंत्र को जपते हुए दिनभर व्रत करे।<blockquote>सूर्येण ह्यभिनिर्मुक्तः शयानोऽभ्युदितश्च यः।</blockquote><blockquote>प्रायश्चित्तमकुर्वाणो युक्तः स्यान्महतैनसा॥ (२। २२१)</blockquote>'जिस ब्रह्मचारी के सोते रहते हुए सूर्य अस्त या उदय हो जाय वह यदि प्रायश्चित्त न करे तो उसे बड़ा भारी पाप लगता है।'नित्यकर्म में भगवन के नाम का जप और ध्यान तथा कम-से-कम गीताके एक अध्यायका पाठ अवश्य ही करना चाहिये। यदि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य हो तो हवन, संध्या, गायत्री-जप, स्वाध्याय, देवपूजा और तर्पण भी करना चाहिये। इनमें भी संध्या और गायत्री-जप तो अवश्य ही करना चाहिये। न करने से |