मनोविज्ञान का मूल वेद है व्यवधान उत्पन्न न हो<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ४, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> । दूसरा यह कि गुरु शिष्य के
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आज की शिक्षा का दुर्दैव से कोई प्रमुख पक्ष है तो वह आधारभूत संकल्पनाओं का पाश्चात्य होना है<ref name=":0" />।
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आज की शिक्षा का दुर्दैव से कोई प्रमुख पक्ष है तो त्रिविधताप की शान्ति हो । सबको यह जानकारी हो जाय
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मनोविज्ञान का मूल वेद है व्यवधान उत्पन्न न हो<ref name=":0">धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ४, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> । दूसरा यह कि गुरु शिष्य के
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वह आधारभूत संकल्पनाओं का पाश्चात्य होना है । इसलिए शान्तिपाठ के अन्त में 3» शान्तिः शात्तिः
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त्रिविधताप की शान्ति हो । सबको यह जानकारी हो जाय
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। इसलिए शान्तिपाठ के अन्त में 3» शान्तिः शात्तिः
शिक्षा के सिद्धान्तों में से एक है, मनोविज्ञान । आज शान्तिः' ऐसे तीन बार शान्ति: शब्द का उच्चारण किया
शिक्षा के सिद्धान्तों में से एक है, मनोविज्ञान । आज शान्तिः' ऐसे तीन बार शान्ति: शब्द का उच्चारण किया