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लेख सम्पादित किया
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किस प्रकार प्राप्त कर सकता है ।
 
किस प्रकार प्राप्त कर सकता है ।
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शिक्षक के गुण
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== शिक्षक के गुण ==
 
   
एक व्यक्ति को शिक्षक बनने के लिये उसे स्वयं में
 
एक व्यक्ति को शिक्षक बनने के लिये उसे स्वयं में
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कौनसे होते हैं ?
 
कौनसे होते हैं ?
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१, विद्यार्थी परायणता :
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=== विद्यार्थी परायणता ===
 
   
शिक्षक ज्ञानवान तो होता ही है क्योंकि वह ज्ञान के
 
शिक्षक ज्ञानवान तो होता ही है क्योंकि वह ज्ञान के
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आवश्यकता होती है ।
 
आवश्यकता होती है ।
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२. ज्ञान परायणता
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=== ज्ञान परायणता ===
 
   
जीवन में ज्ञान को सर्वोपरि स्थान देने वाला, ज्ञान को
 
जीवन में ज्ञान को सर्वोपरि स्थान देने वाला, ज्ञान को
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है । ज्ञान प्राप्त करना उसके जीवन का लक्ष्य होता है ।
 
है । ज्ञान प्राप्त करना उसके जीवन का लक्ष्य होता है ।
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३. आचार परायणता
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=== आचार परायणता ===
 
   
विद्यार्थी को ज्ञान हस्तांतरित करने के लिये शिक्षक
 
विद्यार्थी को ज्ञान हस्तांतरित करने के लिये शिक्षक
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होना चाहिये ।
 
होना चाहिये ।
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४. धर्म परायणता
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=== धर्म परायणता ===
 
   
एक वाक्य में कहें तो शिक्षा धर्म सिखाती है । हम
 
एक वाक्य में कहें तो शिक्षा धर्म सिखाती है । हम
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पर्व ४ : शिक्षक, विद्यार्थी एवं अध्ययन
 
पर्व ४ : शिक्षक, विद्यार्थी एवं अध्ययन
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५. समाज परायणता
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=== समाज परायणता ===
 
   
शिक्षक विद्यार्थी के साथ साथ समाज भी सुस्थिति में
 
शिक्षक विद्यार्थी के साथ साथ समाज भी सुस्थिति में
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बनाता है ।
 
बनाता है ।
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शिक्षक का व्यक्तित्व
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== शिक्षक का व्यक्तित्व ==
 
   
शिक्षक के व्यक्तित्व में ये सभी गुण आयें और शिक्षा
 
शिक्षक के व्यक्तित्व में ये सभी गुण आयें और शिक्षा
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अच्छे शिक्षक प्राप्त होने की पूरी संभावना रहती है ।
 
अच्छे शिक्षक प्राप्त होने की पूरी संभावना रहती है ।
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वर्तमान समय में हम क्या करें
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== वर्तमान समय में हम क्या करें ==
 
   
अभी हमने जिस व्यवस्था की चर्चा की वह प्राचीन
 
अभी हमने जिस व्यवस्था की चर्चा की वह प्राचीन
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का समावेश होना चाहिये ।
 
का समावेश होना चाहिये ।
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शिक्षक शिक्षा का पाठ्यक्रम
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== शिक्षक शिक्षा का पाठ्यक्रम ==
 
   
समाजजीवन में शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान
 
समाजजीवन में शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान
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प्रकार विचार करना चाहिये ...
 
प्रकार विचार करना चाहिये ...
 
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# समग्र विकास प्रतिमान : सर्व प्रथम एक शिक्षक को
१, समग्र विकास प्रतिमान : सर्व प्रथम एक शिक्षक को
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समग्र विकास प्रतिमान की समझ होना आवश्यक है ।
 
समग्र विकास प्रतिमान की समझ होना आवश्यक है ।
  

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