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और निःश्रेयस पारमार्थिक कल्याण को कहते हैं यह जो शिक्षा व्यवस्था थी उसकी विशेषतायें आज भी
 
और निःश्रेयस पारमार्थिक कल्याण को कहते हैं यह जो शिक्षा व्यवस्था थी उसकी विशेषतायें आज भी
 
तो सब जानते ही हैं । इन दोनों के सन्तुलन से ही ध्यान देने योग्य हैं । इन विशेषताओं के कारण ही
 
तो सब जानते ही हैं । इन दोनों के सन्तुलन से ही ध्यान देने योग्य हैं । इन विशेषताओं के कारण ही
जीवन उत्तम पद्धति से चलता है यह मनीषियों ने भारतीय शिक्षा संस्कृति और ज्ञान की परम्परा को न
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जीवन उत्तम पद्धति से चलता है यह मनीषियों ने धार्मिक शिक्षा संस्कृति और ज्ञान की परम्परा को न
 
आर्ष दृष्टि से जाना था । केवल बनाये रखने वाली बनी अपितु उत्तरोत्तर
 
आर्ष दृष्टि से जाना था । केवल बनाये रखने वाली बनी अपितु उत्तरोत्तर
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==References==
 
==References==
 
[[Category:Education Series]]  
 
[[Category:Education Series]]  
[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
[[Category:भारतीय शिक्षा : पश्चिमीकरण से भारतीय शिक्षा की मुक्ति]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा : पश्चिमीकरण से धार्मिक शिक्षा की मुक्ति]]

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