* और एक बात की स्पष्टता करने की आवश्यकता है । हमने राष्ट्र और देश इन दो संज्ञाओं को एक मान लिया है । ऐसा अँग्रेजी के नेशन शब्द के अनुवाद से हुआ है । वास्तव में देश एक सांविधानिक राजकीय भौगोलिक संकल्पना है जबकि राष्ट्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक। दोनों में कोई विरोध नहीं है । देश राज्यव्यवस्था है, राष्ट्र जीवनदर्शन है। राज्य संविधान के आधार पर चलता है, राष्ट्र धर्म के आधार पर। राष्ट्र राज्य का भी आधार है, राज्य का भी निकष है। हम राज्यव्यवस्था में नागरिक हैं, राष्ट्रव्यवस्था में राष्ट्रीय हैं। आज इस भेद को भी ध्यान में नहीं लिया जाता है इसलिए राष्ट्रीय बनाने की शिक्षा भी नहीं दी जाती है । भारतीय शिक्षा में इसका समावेश अनिवार्य रूप से होना चाहिए । | * और एक बात की स्पष्टता करने की आवश्यकता है । हमने राष्ट्र और देश इन दो संज्ञाओं को एक मान लिया है । ऐसा अँग्रेजी के नेशन शब्द के अनुवाद से हुआ है । वास्तव में देश एक सांविधानिक राजकीय भौगोलिक संकल्पना है जबकि राष्ट्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक। दोनों में कोई विरोध नहीं है । देश राज्यव्यवस्था है, राष्ट्र जीवनदर्शन है। राज्य संविधान के आधार पर चलता है, राष्ट्र धर्म के आधार पर। राष्ट्र राज्य का भी आधार है, राज्य का भी निकष है। हम राज्यव्यवस्था में नागरिक हैं, राष्ट्रव्यवस्था में राष्ट्रीय हैं। आज इस भेद को भी ध्यान में नहीं लिया जाता है इसलिए राष्ट्रीय बनाने की शिक्षा भी नहीं दी जाती है । भारतीय शिक्षा में इसका समावेश अनिवार्य रूप से होना चाहिए । |