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| === १८८० बस्तियों में वितरित भूमि, ('कणी' में) === | | === १८८० बस्तियों में वितरित भूमि, ('कणी' में) === |
− | '''(१ कणी लगभग आधे हैक्टर से अधिक भूमि के बराबर है)'''[[File:Capture१०१ .png|none|thumb|303x303px]] | + | '''(१ कणी लगभग आधे हैक्टर से अधिक भूमि के बराबर है)''' |
− | [[File:Capture१०२ .png|none|thumb|327x327px]]
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+ |
| + | ! |
| + | !हैक्टर |
| + | |- |
| + | |कुल भूमि |
| + | |७,७९,१३२ |
| + | |- |
| + | |पर्वतीय एवं नदी का क्षेत्र |
| + | |३६,०९९ |
| + | |- |
| + | |ऊसर |
| + | |८४,९७३ |
| + | |- |
| + | |नमक के अगर |
| + | |४,१९० |
| + | |- |
| + | |सिंचाई के स्रोत (तालाब, सरोवर इत्यादि) |
| + | |१,००,८०६ |
| + | |- |
| + | |जंगल |
| + | |१,३०,७९० |
| + | |- |
| + | |बागायत क्षेत्र |
| + | |१४,०५५ |
| + | |- |
| + | |आवास क्षेत्र |
| + | |२४,०८० |
| + | |- |
| + | |बिना खेती की सिंचाईयुक्त भूमि |
| + | |५८,६६८ |
| + | |- |
| + | |बिना खेती की बिना सिंचाईयुक्त भूमि |
| + | |५०,६२२ |
| + | |- |
| + | |सिंचाईवाली खेती |
| + | |१,८२,१७२ |
| + | |- |
| + | |बिन सिंचाई की खेती युक्त |
| + | |८८,०६९ |
| + | |} |
| खेती के योग्य भूमि का अधिकांश भाग (बंगाल में चाकरण एवं बाजी जमीन) मान्यम् के रूप में जाना जाता था। जिस भूमि के 'कर' से प्राप्त धन राज्य की प्रशासनिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संस्थाओ एवं लोगों के लिए उपयोग में लिया जाता था उसे मान्यम् कहते थे। इस प्रकार १७७० में चेंगलपट्ट जिले की सिंचाईयुक्त ४४,०५७ कणी एवं बिनासिंचाईकी २२,६८४ कणी भूमि मान्यम् थी। उत्तर एवं दक्षिण का अधिकांश क्षेत्र बारहवीं शताब्दी के उतरार्ध तक तो मान्यम ही था। ऐसी मान्यम भूमि धारक लोगों व संस्थाओं की संख्या हजारों में थी। केवल बंगाल के एक जिले में | | खेती के योग्य भूमि का अधिकांश भाग (बंगाल में चाकरण एवं बाजी जमीन) मान्यम् के रूप में जाना जाता था। जिस भूमि के 'कर' से प्राप्त धन राज्य की प्रशासनिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संस्थाओ एवं लोगों के लिए उपयोग में लिया जाता था उसे मान्यम् कहते थे। इस प्रकार १७७० में चेंगलपट्ट जिले की सिंचाईयुक्त ४४,०५७ कणी एवं बिनासिंचाईकी २२,६८४ कणी भूमि मान्यम् थी। उत्तर एवं दक्षिण का अधिकांश क्षेत्र बारहवीं शताब्दी के उतरार्ध तक तो मान्यम ही था। ऐसी मान्यम भूमि धारक लोगों व संस्थाओं की संख्या हजारों में थी। केवल बंगाल के एक जिले में |
| | | |
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| | | |
| === मवेशियों की संख्या (१५४४ बस्तियों में) === | | === मवेशियों की संख्या (१५४४ बस्तियों में) === |
− | [[File:Capture१०३ .png|none|thumb|268x268px]]
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+ |
| + | |गाय |
| + | |९४,६८५ |
| + | |- |
| + | |भैंस |
| + | |५,४१७ |
| + | |- |
| + | |बकरी |
| + | |१४,९३१ |
| + | |- |
| + | |भेड़ |
| + | |१४,९७० |
| + | |- |
| + | |बैल |
| + | |५९,५५० |
| + | |} |
| | | |
| === व्यवसाय (१५४४ बस्तियों में ) === | | === व्यवसाय (१५४४ बस्तियों में ) === |
− | [[File:Capture१०५ .png|none|thumb|257x257px]]
| + | {| class="wikitable" |
− | [[File:Capture१०६ .png|none|thumb|849x849px]]
| + | |+ |
− | [[File:Capture१०७ .png|none|thumb|268x268px]]
| + | |कुल परिवार |
| + | |६२,५२९ |
| + | |- |
| + | |खेती एवं पशुपालन |
| + | |३३,९६३ |
| + | |- |
| + | |चर्मकार |
| + | |७,४११ |
| + | |- |
| + | |पल्ली |
| + | |९.६९३ |
| + | |- |
| + | |पेरियार |
| + | |११,०५२ |
| + | |- |
| + | |रेड्डी |
| + | |१,४१७ |
| + | |- |
| + | |कम्मावर |
| + | |१,००५ |
| + | |- |
| + | |गोपाल |
| + | |२,५७३ |
| + | |- |
| + | |शनार |
| + | |८१२ |
| + | |- |
| + | |हुन्नर एवं उद्योग |
| + | |८,२३४ |
| + | |- |
| + | |बुनकर |
| + | |४,०११ |
| + | |- |
| + | |कपास धुनिया |
| + | |८५ |
| + | |- |
| + | |बढ़ई |
| + | |५३६ |
| + | |- |
| + | |लोहार |
| + | |३९४ |
| + | |- |
| + | |शिल्पी |
| + | |४५ |
| + | |- |
| + | |महरा |
| + | |३६ |
| + | |- |
| + | |सुनार |
| + | |२०९ |
| + | |- |
| + | |तेली |
| + | |६३७ |
| + | |- |
| + | |कुम्हार |
| + | |३८९ |
| + | |- |
| + | |लकडहारा |
| + | |५९६ |
| + | |- |
| + | |आगरी |
| + | |३९ |
| + | |- |
| + | |मछुआरा |
| + | |५९० |
| + | |- |
| + | |मोची |
| + | |७८ |
| + | |- |
| + | |खानिए |
| + | |८९ |
| + | |- |
| + | |अन्य (लगभग) |
| + | |५०० |
| + | |- |
| + | |व्यापार एवं सराफी |
| + | |४,३१२ |
| + | |- |
| + | |चेट्टी |
| + | |२,०५१ |
| + | |- |
| + | |अन्य व्यापारी |
| + | |१,८३९ |
| + | |- |
| + | |सराफ |
| + | |४२२ |
| + | |- |
| + | |आवश्यक सेवाएँ |
| + | |१,६८५ |
| + | |- |
| + | |नाई |
| + | |६६४ |
| + | |- |
| + | |धोबी |
| + | |८६२ |
| + | |- |
| + | |चिकित्सक |
| + | |१५९ |
| + | |- |
| + | |विद्वान, उच्च शिक्षा, पुरोहित एवं सांस्कृतिक गतिविधि |
| + | |८,६८४ |
| + | |- |
| + | |ब्राह्मण |
| + | |६६४६ |
| + | |- |
| + | |पंडाराम |
| + | |१,०५४ |
| + | |- |
| + | |देवदासी |
| + | |६२२ |
| + | |- |
| + | |चर्मकला |
| + | |१३७ |
| + | |- |
| + | |वोचून्स |
| + | |१७३ |
| + | |- |
| + | |संगीतकार |
| + | |२७ |
| + | |- |
| + | |कुटाडी (रंग कर्मी) |
| + | |२५ |
| + | |- |
| + | |प्रशासनिक सेवा एवं रक्षकदल |
| + | |२,६८१ |
| + | |- |
| + | |तालुकदार (कनकपिल्लई) |
| + | |१,६६० |
| + | |- |
| + | |पनिसेवान |
| + | |३१४ |
| + | |- |
| + | |तालीयार |
| + | |७०७ |
| + | |- |
| + | |सैनिक सेवा |
| + | |१,४७९ |
| + | |- |
| + | |मुस्लिम |
| + | |७३३ |
| + | |- |
| + | |भूमि सुधारक |
| + | |६७१ |
| + | |- |
| + | |फकीर |
| + | |६२ |
| + | |- |
| + | |अन्य घरेलू कार्य |
| + | |७४८ |
| + | |} |
| मान्यम भूमि के 'कर' (उत्तर भारत में चाकरण या बाजी जमीन के रूप में) की आय के अतिरिक्त विविध संस्था या व्यक्ति अथवा एक ही संस्था या व्यक्ति एवं अन्य कई खेती की समग्र उपज एवं बिनखेती व्यवसाय (व्यापार, आर्थिक प्रवृति तथा उद्योग धंधो) से होनेवाली आय का अंश प्राप्त करते थे। ऐसा भी देखने को मिलता था कि खेती की उपज का एक चौथाई हिस्सा स्थानीय मन्दिरों या मस्जिदों जैसे देवस्थानों को दिया जाता था। यह हिस्सा सबसे पहले निकाला जाता था। चेंगलपट्ट जिले में, खेती की उपज का २७ प्रतिशत हिस्सा इसके लिए अलग रखा जाता था। १,४५८ बस्तियों के लिए किए गए सर्वेक्षण के अनुसार उत्पादन वितरण की स्थिति कलाम के रूपमें निम्न विवरण से जानी जा सकती है। (एक कलाम लगभग १२५ किलोग्राम के बराबर है) | | मान्यम भूमि के 'कर' (उत्तर भारत में चाकरण या बाजी जमीन के रूप में) की आय के अतिरिक्त विविध संस्था या व्यक्ति अथवा एक ही संस्था या व्यक्ति एवं अन्य कई खेती की समग्र उपज एवं बिनखेती व्यवसाय (व्यापार, आर्थिक प्रवृति तथा उद्योग धंधो) से होनेवाली आय का अंश प्राप्त करते थे। ऐसा भी देखने को मिलता था कि खेती की उपज का एक चौथाई हिस्सा स्थानीय मन्दिरों या मस्जिदों जैसे देवस्थानों को दिया जाता था। यह हिस्सा सबसे पहले निकाला जाता था। चेंगलपट्ट जिले में, खेती की उपज का २७ प्रतिशत हिस्सा इसके लिए अलग रखा जाता था। १,४५८ बस्तियों के लिए किए गए सर्वेक्षण के अनुसार उत्पादन वितरण की स्थिति कलाम के रूपमें निम्न विवरण से जानी जा सकती है। (एक कलाम लगभग १२५ किलोग्राम के बराबर है) |
| | | |
| === कलाम === | | === कलाम === |
− | [[File:Capture१०९ .png|none|thumb|303x303px]]
| + | {| class="wikitable" |
− | [[File:Capture१०९.png|none|thumb|371x371px]]
| + | |+ |
| + | |खेती की उपज |
| + | |१४,७९,६४६ |
| + | |- |
| + | |कुल वितरण |
| + | |३,९४,९५० |
| + | |- |
| + | |प्रत्येक बस्ती की संस्थाएँ एवं व्यवसाय |
| + | |२,६४,८२४ |
| + | |- |
| + | |स्थानीय देवालय |
| + | |१३,८८२ |
| + | |- |
| + | |देवदासी, पण्डाराम एवं ज्योतिषी |
| + | |१८,५०३ |
| + | |- |
| + | |खेतमजदूर (इनमें अधिकांश पेरियार थे) |
| + | |८७,५०४ |
| + | |- |
| + | |सिंचाई के लिए धन |
| + | |१९,८०६ |
| + | |- |
| + | |कारीगर (बढई/लुहार) |
| + | |१९,४७० |
| + | |- |
| + | |कुम्हार |
| + | |२,७४९ |
| + | |- |
| + | |नायी |
| + | |६,१६९ |
| + | |- |
| + | |धोबी |
| + | |६,०५८ |
| + | |- |
| + | |तोलाट |
| + | |११,५६१ |
| + | |- |
| + | |सराफ |
| + | |९,३३२ |
| + | |- |
| + | |कनकपिलई |
| + | |३१,६२४ |
| + | |- |
| + | |पनिसेवान |
| + | |३,११० |
| + | |- |
| + | |तोटी |
| + | |१,३७१ |
| + | |- |
| + | |स्थानीय लोग (निवासी) |
| + | |३१,१९७ |
| + | |- |
| + | |अन्य |
| + | |२,४८८ |
| + | |- |
| + | |बाहर की संस्था एवं व्यक्ति |
| + | |१,३०,१२६ |
| + | |- |
| + | |साधु, संत, महात्मा, विद्वान, छात्र |
| + | |२५,३२१ |
| + | |- |
| + | |प्रशासनिक |
| + | |५३,५७२ |
| + | |- |
| + | |सैनिक (पालयक्करण) |
| + | |४५,९३६ |
| + | |- |
| + | |मस्जिद/दरगाह/फकीर |
| + | |२,५१८ |
| + | |- |
| + | |अन्य |
| + | |२,७७९ |
| + | |} |
| | | |
| == लेख ११ == | | == लेख ११ == |