परमात्मा सर्वव्यापी और इसलिये सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान है। यह पूरी सृष्टि परमात्मा ने अपनी इच्छा और शक्ति से अपने में से ही निर्माण किया है। यह है परमात्मा की संकल्पना। अल्ला या गॉड ऐसे नहीं है। आदम और ईव्ह ने ज्ञान का फल खाया इस लिये उन्हें दंड देनेवाला गॉड और ॠषियों को सत्यज्ञान का वेदों के रूप में स्वत: कथन करनेवाला परमात्मा एक कैसे हो सकता है ? सेमेटिक धर्मों में अल्ला और गॉड दोनों ही ईर्षालू है। इन्हे स्पर्धा सहन नहीं होती। ये दोनों ही असहिष्णू माने जाते है। परमात्मा वैसा नहीं है। आत्मा रुह और सोल इन संकल्पनाओं में भी ऐसा ही मूलभूत अंतर है। वर्तमान मानवी जीवन ही सबकुछ है। इस से पहले कुछ नही था और आगे भी कुछ नही है ऐसी इस्लाम और ईसाईयत की मान्यता है। इसलिये रूह या सोल को स्थायी हेवन या जन्नत और स्थायी हेल या दोजख की इन दो मजहबों में मान्यता है। | परमात्मा सर्वव्यापी और इसलिये सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान है। यह पूरी सृष्टि परमात्मा ने अपनी इच्छा और शक्ति से अपने में से ही निर्माण किया है। यह है परमात्मा की संकल्पना। अल्ला या गॉड ऐसे नहीं है। आदम और ईव्ह ने ज्ञान का फल खाया इस लिये उन्हें दंड देनेवाला गॉड और ॠषियों को सत्यज्ञान का वेदों के रूप में स्वत: कथन करनेवाला परमात्मा एक कैसे हो सकता है ? सेमेटिक धर्मों में अल्ला और गॉड दोनों ही ईर्षालू है। इन्हे स्पर्धा सहन नहीं होती। ये दोनों ही असहिष्णू माने जाते है। परमात्मा वैसा नहीं है। आत्मा रुह और सोल इन संकल्पनाओं में भी ऐसा ही मूलभूत अंतर है। वर्तमान मानवी जीवन ही सबकुछ है। इस से पहले कुछ नही था और आगे भी कुछ नही है ऐसी इस्लाम और ईसाईयत की मान्यता है। इसलिये रूह या सोल को स्थायी हेवन या जन्नत और स्थायी हेल या दोजख की इन दो मजहबों में मान्यता है। |