चार पाँच विद्यालयों को यह प्रश्नावली भेजी थी । परंतु किसी से भी उत्तर प्राप्त नहीं हुए । प्रश्न तो सरल थे । उसका शब्दार्थ और ध्वन्यार्थ भी हम समझते तो है परंतु आज शिक्षा की गाडी जो अत्यंत विपरीत पटरी पर जा रही है इसके कारण सत्य तो जानते है व्यवहार उलटा हो रहा है यह जानकर सरल प्रश्न भी उत्तर लिखने में कठीन लगते होंगे ऐसा अनुमान है । | चार पाँच विद्यालयों को यह प्रश्नावली भेजी थी । परंतु किसी से भी उत्तर प्राप्त नहीं हुए । प्रश्न तो सरल थे । उसका शब्दार्थ और ध्वन्यार्थ भी हम समझते तो है परंतु आज शिक्षा की गाडी जो अत्यंत विपरीत पटरी पर जा रही है इसके कारण सत्य तो जानते है व्यवहार उलटा हो रहा है यह जानकर सरल प्रश्न भी उत्तर लिखने में कठीन लगते होंगे ऐसा अनुमान है । |