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| विद्यालयों के शिक्षाक्रम में सामाजिकता के गुणों का विकास करने हेतु सावधानीपूर्वक अनेक प्रकार से योजना करनी चाहिये । | | विद्यालयों के शिक्षाक्रम में सामाजिकता के गुणों का विकास करने हेतु सावधानीपूर्वक अनेक प्रकार से योजना करनी चाहिये । |
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− | ==== १, देना और बॉाँट कर उपभोग करना ==== | + | ==== देना और बाँट कर उपभोग करना ==== |
| शिशु और प्रारम्भिक बाल अवस्था में इन गुणों के | | शिशु और प्रारम्भिक बाल अवस्था में इन गुणों के |
| संस्कार होना आवश्यक है। इस दृष्टि से गीत, खेल, | | संस्कार होना आवश्यक है। इस दृष्टि से गीत, खेल, |
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| चलाने के कार्यों में विकसित होते हैं । | | चलाने के कार्यों में विकसित होते हैं । |
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− | ==== २. सत्कारपूर्वक देना ==== | + | ==== सत्कारपूर्वक देना ==== |
| दूसरों को देते समय मेरे से अधिक और मेरे से अच्छी | | दूसरों को देते समय मेरे से अधिक और मेरे से अच्छी |
| वस्तु देना ही प्रेम और सम्मान का लक्षण है । मेरे पास दो | | वस्तु देना ही प्रेम और सम्मान का लक्षण है । मेरे पास दो |
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| विकास करना चाहिये । | | विकास करना चाहिये । |
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− | ==== ३. भेदों को नहीं मानना ==== | + | ==== भेदों को नहीं मानना ==== |
| सबका स्वीकार करना असंस्कृत समाज धन, बल, | | सबका स्वीकार करना असंस्कृत समाज धन, बल, |
| सत्ता, वर्ण, जाति आदि के भेदों से एकदूसरे को ऊँचा और नीचा मानने की प्रवृत्ति रखता है। | | सत्ता, वर्ण, जाति आदि के भेदों से एकदूसरे को ऊँचा और नीचा मानने की प्रवृत्ति रखता है। |