जैसे ऊपर कहा है की किसी भी विषय का प्रारम्भ तो कुछ मान्यताओं से ही होता है| इसलिए मान्यता तो सभी समाजों की होती हैं| मनुष्य यह एक बुद्धिशील जीव है| इसलिए इसे जो मान्यताएँ बुद्धियुक्त होंगी उन्हें मानना चाहिए| विश्व निर्माण की भारतीय मान्यता को स्वीकार करनेपर प्रश्नों के बुद्धियुक्त उत्तर प्राप्त हो जाते हैं| इसलिए इन मान्यताओंपर विश्वास रखना iiतथा इन्हें मानकर व्यवहार करना अधिक उचित है| भारतीय विज्ञान त्यह मानता है कि सृष्टि की रचना की गयी है| यह करनेवाला परमात्मा है| जिस प्रकार से मकडी अपने शरीरसे ही अपने जाल के तंतु निर्माण कर उसीमं निवास करती है, उसी तरह से इस परमात्माने सृष्टि को अपने में से ही बनाया है और उसी में वास करा रहा है| इसकिये चराचर सृष्टि के कण कण में परमात्मा है| | | जैसे ऊपर कहा है की किसी भी विषय का प्रारम्भ तो कुछ मान्यताओं से ही होता है| इसलिए मान्यता तो सभी समाजों की होती हैं| मनुष्य यह एक बुद्धिशील जीव है| इसलिए इसे जो मान्यताएँ बुद्धियुक्त होंगी उन्हें मानना चाहिए| विश्व निर्माण की भारतीय मान्यता को स्वीकार करनेपर प्रश्नों के बुद्धियुक्त उत्तर प्राप्त हो जाते हैं| इसलिए इन मान्यताओंपर विश्वास रखना iiतथा इन्हें मानकर व्यवहार करना अधिक उचित है| भारतीय विज्ञान त्यह मानता है कि सृष्टि की रचना की गयी है| यह करनेवाला परमात्मा है| जिस प्रकार से मकडी अपने शरीरसे ही अपने जाल के तंतु निर्माण कर उसीमं निवास करती है, उसी तरह से इस परमात्माने सृष्टि को अपने में से ही बनाया है और उसी में वास करा रहा है| इसकिये चराचर सृष्टि के कण कण में परमात्मा है| | |