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# मनुष्य की दिनचर्या और जीवनचर्या अत्यन्त असन्तुलित बन गई है। इस कारण से शरीर का स्वास्थ्य खराब होता है । इसे ठीक करना ही उपाय है।
 
# मनुष्य की दिनचर्या और जीवनचर्या अत्यन्त असन्तुलित बन गई है। इस कारण से शरीर का स्वास्थ्य खराब होता है । इसे ठीक करना ही उपाय है।
 
ऐसा लगता है कि शरीरस्वास्थ्य के बारे में लोग जानते हैं । स्वास्थ्य ठीक करने हेतु क्या उपाय है यह भी जानते हैं । केवल कुछ बातें जोडने की आवश्यकता है।
 
ऐसा लगता है कि शरीरस्वास्थ्य के बारे में लोग जानते हैं । स्वास्थ्य ठीक करने हेतु क्या उपाय है यह भी जानते हैं । केवल कुछ बातें जोडने की आवश्यकता है।
 
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# दिनचर्या में सोने, जागने, भोजन करने के समय का पालन करना अत्यन्त आवश्यक है।  
(१) दिनचर्या में सोने, जागने, भोजन करने के समय का पालन करना अत्यन्त आवश्यक है। (२) भोजन बनाने में सिन्थेटिक पदार्थों या सिन्थेटिक प्रक्रिया से बने पदार्थों का सेवन हानिकारक है। (३) सिन्थेटिक वस्त्र भी शरीर स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूलता निर्माण करते हैं । (४) यन्त्र से पानी का शुद्धीकरण, फ्रिज, माइक्रोवेव, मिक्सर, ग्राइण्डर आदि स्वास्थ्य के शत्रु हैं ।
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# भोजन बनाने में सिन्थेटिक पदार्थों या सिन्थेटिक प्रक्रिया से बने पदार्थों का सेवन हानिकारक है।  
 
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# सिन्थेटिक वस्त्र भी शरीर स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूलता निर्माण करते हैं ।  
(५) व्यायाम और श्रम नहीं करना हमारी राष्ट्रीय आपदा बन गई है। जिन्हें करना पडता है वे मजदरी में करते हैं इसलिये उसका लाभ नहीं होता । फिर भी वे काम नहीं करने वालों की अपेक्षा कम अस्वस्थ होते हैं।
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# यन्त्र से पानी का शुद्धीकरण, फ्रिज, माइक्रोवेव, मिक्सर, ग्राइण्डर आदि स्वास्थ्य के शत्रु हैं ।
 
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# व्यायाम और श्रम नहीं करना हमारी राष्ट्रीय आपदा बन गई है। जिन्हें करना पडता है वे मजदरी में करते हैं इसलिये उसका लाभ नहीं होता । फिर भी वे काम नहीं करने वालों की अपेक्षा कम अस्वस्थ होते हैं।
(६) मनोविकार शरीर स्वास्थ्य के महाशत्रु हैं। आज की अनेक बिमारियाँ मनोविकार से ही पैदा हुई हैं। लोभ, लालच, परिग्रह, द्वेष, चिन्ता आदि ये मनोविकार हैं जो शरीर स्वास्थ्य को हानि पहँचाते हैं।
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# मनोविकार शरीर स्वास्थ्य के महाशत्रु हैं। आज की अनेक बिमारियाँ मनोविकार से ही पैदा हुई हैं। लोभ, लालच, परिग्रह, द्वेष, चिन्ता आदि ये मनोविकार हैं जो शरीर स्वास्थ्य को हानि पहँचाते हैं।
 
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# हमारे घरों, कार्यालयों, विद्यालयों की बेन्च, कुर्सी, सोफा पर बैठने की व्यवस्था खडे खडे भोजन बानाने, करने, भाषण, करने, गाने की व्यवस्था भी घुटने और कमर के दर्द पैदा करने वाली है।
(७) हमारे घरों, कार्यालयों, विद्यालयों की बेन्च, कुर्सी, सोफा पर बैठने की व्यवस्था खडे खडे भोजन बानाने, करने, भाषण, करने, गाने की व्यवस्था भी घुटने और कमर के दर्द पैदा करने वाली है।
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ऐसी तो अनेक बातें हैं जो हमारी दिनचर्या और जीवनचर्या का अंग बन गई है। इन्हें बदले बिना अथवा दूर किये बिना हमारे शरीर स्वास्थ्यलाभ नहीं कर सकते हैं । शरीर ही अस्वस्थ है तो मन, बुद्धि, चित्त आदि का स्वास्थ्य भी संकट में पड जाता है । इसलिये समझदार प्रजा को शरीरस्वास्थ्य की चिन्ता समझदारी पूर्वक करनी चाहिये ।
 
ऐसी तो अनेक बातें हैं जो हमारी दिनचर्या और जीवनचर्या का अंग बन गई है। इन्हें बदले बिना अथवा दूर किये बिना हमारे शरीर स्वास्थ्यलाभ नहीं कर सकते हैं । शरीर ही अस्वस्थ है तो मन, बुद्धि, चित्त आदि का स्वास्थ्य भी संकट में पड जाता है । इसलिये समझदार प्रजा को शरीरस्वास्थ्य की चिन्ता समझदारी पूर्वक करनी चाहिये ।
  
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