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==== ३. ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन ====
 
==== ३. ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन ====
 
ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन किसी भी देश की ज्ञानात्मक स्थिति कैसी है उसके उपर उसका विकसित और विकासशील स्वरूप ध्यान में आता है। विकास का वर्तमान आर्थिक मापदण्ड छोडकर हमें ज्ञानात्मक मापदण्ड अपनाना चाहिये और उसके आधार पर देशों का मूल्यांकन करना चाहिये । ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति जानने के लिये इस प्रकार के मुद्दे हो सकते हैं...
 
ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन किसी भी देश की ज्ञानात्मक स्थिति कैसी है उसके उपर उसका विकसित और विकासशील स्वरूप ध्यान में आता है। विकास का वर्तमान आर्थिक मापदण्ड छोडकर हमें ज्ञानात्मक मापदण्ड अपनाना चाहिये और उसके आधार पर देशों का मूल्यांकन करना चाहिये । ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति जानने के लिये इस प्रकार के मुद्दे हो सकते हैं...
 
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# इस देश के शाखग्रन्थ कौन से हैं । वे किन लोगों ने लिखे हैं। किस भाषा में लिखे हैं।  
१. इस देश के शाखग्रन्थ कौन से हैं । वे किन लोगों ने लिखे हैं। किस भाषा में लिखे हैं।  
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# इन शाखग्रन्थों की रचना करने वालों की योग्यता किस प्रकार की होनी चाहिये ऐसा विद्वानों का और सामान्यजनों का मत हैं।  
 
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# इन शास्त्रग्रन्थों की आधारभूत धारणायें कौन सी हैं ।  
२. इन शाखग्रन्थों की रचना करने वालों की योग्यता किस प्रकार की होनी चाहिये ऐसा विद्वानों का और सामान्यजनों का मत हैं।  
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# ये शास्त्रग्रंथ कब या कब कब लिखे गये हैं । समय समय पर उनमें क्या परिवर्तन अथवा रूपान्तरण होते रहे हैं । ये परिवर्तन किन लोगों ने किस आशय से किये हैं । रूपान्तरण की आवश्यकता क्यों लगी।  
 
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# वर्तमान में इन शास्त्रग्रन्थों का अध्ययन कौन करता है, क्यों करता है।  
३. इन शास्त्रग्रन्थों की आधारभूत धारणायें कौन सी हैं ।  
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# ये शास्रग्रन्थ किन किन बातों के लिये प्रमाण माने जाते हैं।  
 
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# प्रजा के दैनन्दिन जीवन, राजकाज, अर्थव्यवहार, धार्मिक आस्थायें, शिक्षा आदि के साथ इन शाखग्रन्थों का क्या सम्बन्ध है।  
४. ये शास्त्रग्रंथ कब या कब कब लिखे गये हैं । समय समय पर उनमें क्या परिवर्तन अथवा रूपान्तरण होते रहे हैं । ये परिवर्तन किन लोगों ने किस आशय से किये हैं । रूपान्तरण की आवश्यकता क्यों लगी।  
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# शास्त्रग्रन्थ और तत्त्वज्ञान, शास्त्रग्रन्थ और विज्ञान, शास्त्रग्रन्थ और राजनीति किस प्रकार एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।  
 
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# विज्ञान को हम केवल भौतिक विज्ञान ही न मानें अपितु ज्ञान तक पहुँचने की, शास्त्रों की रचना की प्रक्रिया मानें और उसकी स्थिति देश देश में कैसी है इसका आकलन करें । वैज्ञानिक दृष्टिकोण की क्या स्थिति है इसका भी विचार  करें।   
५. वर्तमान में इन शास्त्रग्रन्थों का अध्ययन कौन करता है, क्यों करता है।  
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# देश में खानपान का, वेशभूषा का, दिनचर्या का, ऋतुचर्या का, जीवनचर्या का, मकान और सड़कें बनाने का कोई शास्त्रीय खुलासा होता है कि नहीं यह जानने से पता चलता है कि विज्ञान की स्थिति क्या है।  
 
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# देश का आरोग्यशास्त्र और चिकित्साशास्त्र कैसे विकसित हुआ है । शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की क्या कल्पना है।  
६. ये शास्रग्रन्थ किन किन बातों के लिये प्रमाण माने जाते हैं।  
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# विवाह, परिवाररचना और शिशुसंगोपन की क्या परम्परा है, क्या व्यवस्था है और क्या मान्यता है । विवाह की क्या पद्धति है।  
 
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# परम्परा और आधुनिकता का समन्वय किस प्रकार किया जाता है।  
७. प्रजा के दैनन्दिन जीवन, राजकाज, अर्थव्यवहार, धार्मिक आस्थायें, शिक्षा आदि के साथ इन शाखग्रन्थों का क्या सम्बन्ध है।  
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# देश भौतिकवादी है, आध्यात्मिक है या दोनों का अशास्त्रीय सम्मिश्रण है।  
 
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# देश में शिक्षा का स्वरूप कैसा है । किस आयु में शिक्षा शुरू होती है, तब तक चलती है । किस भाषा में दी जाती है।  
८. शास्त्रग्रन्थ और तत्त्वज्ञान, शास्त्रग्रन्थ और विज्ञान, शास्त्रग्रन्थ और राजनीति किस प्रकार एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।  
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# विद्यालय कौनव चलाता है । शुल्क की क्या व्यवस्था है । शिक्षक कैसे होते हैं । किस प्रकार नियुक्त किये जाते हैं । वेतन की क्या स्थिति है।  
 
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# शिक्षा प्राप्त करने वाली जनसंख्या का क्या प्रतिशत है ।  
विज्ञान को हम केवल भौतिक विज्ञान ही न मानें अपितु ज्ञान तक पहुँचने की, शास्त्रों की रचना की प्रक्रिया मानें और उसकी स्थिति देश देश में कैसी है इसका आकलन करें । वैज्ञानिक दृष्टिकोण की क्या स्थिति है इसका भी विचार  करें।   
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# शिक्षा का अर्थार्जन के साथ कैसा सम्बन्ध है ।  
 
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# शइक्षा का कैसा शास्त्र विकसित हुआ है । शिक्षा ज्ञान, विज्ञान, धर्म, सम्प्रदाय, व्यवहारजीवन, नीति सदाचार आदि की किस रूप में कितनी वाहक है।  
१०. देश में खानपान का, वेशभूषा का, दिनचर्या का, ऋतुचर्या का, जीवनचर्या का, मकान और सड़कें बनाने का कोई शास्त्रीय खुलासा होता है कि नहीं यह जानने से पता चलता है कि विज्ञान की स्थिति क्या है।  
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# देश की अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था और सम्प्रदायव्यवस्था को कितनी और किस प्रकार प्रभावित करती है।  
 
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# तकनीकी शिक्षा का देश के शिक्षाक्षेत्र में क्या स्थान ।  
११. देश का आरोग्यशास्त्र और चिकित्साशास्त्र कैसे विकसित हुआ है । शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की क्या कल्पना है।  
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# देश में कितने शोधसंस्थान, विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हैं । किन विषयों का अध्ययन और अनुसन्धान होता है।  
 
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# आन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय हैं कि नहीं । राष्ट्रीय स्तर के हैं कि नहीं।  
१२. विवाह, परिवाररचना और शिशुसंगोपन की क्या परम्परा है, क्या व्यवस्था है और क्या मान्यता है । विवाह की क्या पद्धति है।  
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# राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों की क्या पहचान है ।  
 
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# शिक्षाविभाग को भारत में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय कहा जाता है । इन देशों में क्या कहा जाता है।  
१३. परम्परा और आधुनिकता का समन्वय किस प्रकार किया जाता है।  
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# इस देश में अनुसन्धान कैसे होता है । अनुसन्धान का प्रजाजीवन के साथ क्या सम्बन्ध है।  
 
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# जिस प्रकार भारत में पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा जैसे विभाग हैं उस प्रकार इन देशों में कौन से विभाजन किया जाता है । उच्चशिक्षा का अनुपात कैसा है।  
१४. देश भौतिकवादी है, आध्यात्मिक है या दोनों का अशास्त्रीय सम्मिश्रण है।  
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# शिक्षित बेरोजगारी, शिक्षा और चरित्र, शिक्षा और सामाजिकता, शिक्षा और भ्रष्टाचार का क्या सम्बन्ध है।  
 
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# अध्ययन हेतु विदेशों में जाने का प्रचलन कितना है । किन देशों में जाने का प्रचलन है ।  
१५. देश में शिक्षा का स्वरूप कैसा है । किस आयु में शिक्षा शुरू होती है, तब तक चलती है । किस भाषा में दी जाती है।  
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# समाजजीवन में शिक्षा की अनिवार्यता कितनी प्रतीत होती है । बिना शिक्षा के अर्थार्जन हो सकता है कि नहीं । आर्थिक नहीं तो शिक्षा के क्या प्रयोजन होते हैं।  
 
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# आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के छात्र अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन में ऐसा अध्ययन कर सकते हैं। एक एक देश के ऐसे अध्ययन के बाद एकत्र चर्चा होना आवश्यक है। इस चर्चा के आधार पर विश्वस्थिति का आकलन हो सकता है । इन देशों के संकट क्या हैं और उनके निराकरण के उपाय क्या हैं यह समझना और उन देशों की सहायता करने के लिये प्रस्तुत होना आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का काम है। यहाँ के छात्रों को ऐसा अनुभव अधिक से अधिक मात्रा में मिलना चाहिये जिससे उनका दृष्टिकोण व्यापक बने । तटस्थतापूर्वक और सहृदयतापूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है।  भारत का इन देशों के साथ सम्बन्ध भी जुडना चाहिये । इसलिये इस अध्ययन में राष्ट्रीय दृष्टि होना भी आवश्यक है।  
१६. विद्यालय कौनव चलाता है । शुल्क की क्या व्यवस्था है । शिक्षक कैसे होते हैं । किस प्रकार नियुक्त किये जाते हैं । वेतन की क्या स्थिति है।  
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१७. शिक्षा प्राप्त करने वाली जनसंख्या का क्या प्रतिशत है ।  
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१८. शिक्षा का अर्थार्जन के साथ कैसा सम्बन्ध है ।  
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१९. शइक्षा का कैसा शास्त्र विकसित हुआ है । शिक्षा ज्ञान, विज्ञान, धर्म, सम्प्रदाय, व्यवहारजीवन, नीति सदाचार आदि की किस रूप में कितनी वाहक है।  
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२०. देश की अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था और सम्प्रदायव्यवस्था को कितनी और किस प्रकार प्रभावित करती है।  
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२१. तकनीकी शिक्षा का देश के शिक्षाक्षेत्र में क्या स्थान ।  
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२२. देश में कितने शोधसंस्थान, विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हैं । किन विषयों का अध्ययन और अनुसन्धान होता है।  
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२३. आन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय हैं कि नहीं । राष्ट्रीय स्तर के हैं कि नहीं।  
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२४. राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों की क्या पहचान है ।  
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२५. शिक्षाविभाग को भारत में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय कहा जाता है । इन देशों में क्या कहा जाता है।  
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२६. इस देश में अनुसन्धान कैसे होता है । अनुसन्धान का प्रजाजीवन के साथ क्या सम्बन्ध है।  
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२७. जिस प्रकार भारत में पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा जैसे विभाग हैं उस प्रकार इन देशों में कौन से विभाजन किया जाता है । उच्चशिक्षा का अनुपात कैसा है।  
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२८. शिक्षित बेरोजगारी, शिक्षा और चरित्र, शिक्षा और सामाजिकता, शिक्षा और भ्रष्टाचार का क्या सम्बन्ध है।  
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२९. अध्ययन हेतु विदेशों में जाने का प्रचलन कितना है । किन देशों में जाने का प्रचलन है ।  
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३०. समाजजीवन में शिक्षा की अनिवार्यता कितनी प्रतीत होती है । बिना शिक्षा के अर्थार्जन हो सकता है कि नहीं । आर्थिक नहीं तो शिक्षा के क्या प्रयोजन होते हैं।  
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३१. आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के छात्र अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन में ऐसा अध्ययन कर सकते हैं। एक एक देश के ऐसे अध्ययन के बाद एकत्र चर्चा होना आवश्यक है। इस चर्चा के आधार पर विश्वस्थिति का आकलन हो सकता है । इन देशों के संकट क्या हैं और उनके निराकरण के उपाय क्या हैं यह समझना और उन देशों की सहायता करने के लिये प्रस्तुत होना आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का काम है। यहाँ के छात्रों को ऐसा अनुभव अधिक से अधिक मात्रा में मिलना चाहिये जिससे उनका दृष्टिकोण व्यापक बने । तटस्थतापूर्वक और सहृदयतापूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है।  भारत का इन देशों के साथ सम्बन्ध भी जुडना चाहिये । इसलिये इस अध्ययन में राष्ट्रीय दृष्टि होना भी आवश्यक है।  
      
==== ५. देशों की आर्थिक, राजनीतिक, भौगोलिक स्थिति का अध्ययन ====
 
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