इस प्रकार शिक्षा, अर्थोत्पादन, धर्मपालन, समाजव्यवस्था आदि के आन्तर्सम्बन्धों का सुव्यवस्थित गुम्फन कर राष्ट्र को चिरंजीव बनाने की व्यवस्था भारत में सहस्राब्दियों में विकसित हुई। इस व्यवस्था को छिन्नविच्छिन्न करने का पराक्रम' ब्रिटीशों ने किया । भीषण आक्रमण के बाद भी भारत में बहुत कुछ बचा है। उसके प्रताप से ही भारत अभी चल रहा है । ब्रिटीशों को तो तब भी पता नहीं था और आज भी नहीं है कि उन्होंने किन बातों का नाश किया और आज भी क्या बचा है । भारतीय जीवन के तत्त्वों को समझना उनकी क्षमता के परे था। उनकी शिक्षा के प्रभाव से आज भी एक वर्ग ऐसा है जिसका बोध ब्रिटीशों जैसा है, एक छोटा वर्ग ऐसा है जो जानता है और बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो जानता तो नहीं है परन्तु अन्तःकरण में भारतीयता का अनुभव करता है। इन दो वर्गों के सामर्थ्य पर हमें भारतीय भारत की पुनर्रचना करनी है। | इस प्रकार शिक्षा, अर्थोत्पादन, धर्मपालन, समाजव्यवस्था आदि के आन्तर्सम्बन्धों का सुव्यवस्थित गुम्फन कर राष्ट्र को चिरंजीव बनाने की व्यवस्था भारत में सहस्राब्दियों में विकसित हुई। इस व्यवस्था को छिन्नविच्छिन्न करने का पराक्रम' ब्रिटीशों ने किया । भीषण आक्रमण के बाद भी भारत में बहुत कुछ बचा है। उसके प्रताप से ही भारत अभी चल रहा है । ब्रिटीशों को तो तब भी पता नहीं था और आज भी नहीं है कि उन्होंने किन बातों का नाश किया और आज भी क्या बचा है । भारतीय जीवन के तत्त्वों को समझना उनकी क्षमता के परे था। उनकी शिक्षा के प्रभाव से आज भी एक वर्ग ऐसा है जिसका बोध ब्रिटीशों जैसा है, एक छोटा वर्ग ऐसा है जो जानता है और बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो जानता तो नहीं है परन्तु अन्तःकरण में भारतीयता का अनुभव करता है। इन दो वर्गों के सामर्थ्य पर हमें भारतीय भारत की पुनर्रचना करनी है। |