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| शंखनाद करने से किडनी की कोई बीमारी होती नहीं और होने की कोई सम्भावना भी नहीं रहती । किडनी मजबूत होगी तो थकान नहीं होगी, अधिक काम कर सकोगे । हमारे शरीर में किड़नी के आधार पर अनेक अंग काम करते हैं । अतः किडनी का मजबूत होना आवश्यक है । किड़नी की मजबूती को बनाये रखने के लिए शंखनाद चरक का काम करता है । | | शंखनाद करने से किडनी की कोई बीमारी होती नहीं और होने की कोई सम्भावना भी नहीं रहती । किडनी मजबूत होगी तो थकान नहीं होगी, अधिक काम कर सकोगे । हमारे शरीर में किड़नी के आधार पर अनेक अंग काम करते हैं । अतः किडनी का मजबूत होना आवश्यक है । किड़नी की मजबूती को बनाये रखने के लिए शंखनाद चरक का काम करता है । |
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− | . हिन्दु धर्म और शंख : हिन्दु धर्म में शंख का विशेष स्थान है । हिन्दु पूजा सामग्री में शंख अनिवार्य है । मंदिर में अथवा घर में भगवान के द्वार खोलने से पूर्व शंख बजाया जाता है । पूजा में रखा जाने वाला शंख स्वर्ण या रजत से मंडित कर उसे सुशोभित किया जाता है । | + | . '''हिन्दु धर्म और शंख :''' हिन्दु धर्म में शंख का विशेष स्थान है । हिन्दु पूजा सामग्री में शंख अनिवार्य है । मंदिर में अथवा घर में भगवान के द्वार खोलने से पूर्व शंख बजाया जाता है । पूजा में रखा जाने वाला शंख स्वर्ण या रजत से मंडित कर उसे सुशोभित किया जाता है । |
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− | . पवित्र शंख : ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शंखध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है । शंख की भस्म का औषधीय उपयोग करने से असाध्य रोग से भी मुक्ति | + | . '''पवित्र शंख :''' ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शंखध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है । शंख की भस्म का औषधीय उपयोग करने से असाध्य रोग से भी मुक्ति |
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| मिल जाती है । घर में स्थापना-पूजन करने से सुख-समृद्धि तथा शांति आती है । शंख जातक की तमाम प्रकार की मुश्किलों, कष्ट, बाधाओं व अआअशान्ति को दूर करता है । | | मिल जाती है । घर में स्थापना-पूजन करने से सुख-समृद्धि तथा शांति आती है । शंख जातक की तमाम प्रकार की मुश्किलों, कष्ट, बाधाओं व अआअशान्ति को दूर करता है । |
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− | . शंख बाजे बलाएँ भागे : शंखध्वनि से रोगों, राक्षसों, पिशाचों और शत्रुओं से रक्षा होती है । शंख बजाने से दरिद्रता तथा दुःख दूर होते हैं । आयु बढ़ती है। एक मात्र शंख बजाने से प्राणायाम की तीनों क्रियाए पूरक, रेचक व कुम्भक एक साथ सम्पन्न होती है, जिससे स्वास्थ्य उत्तम रहता है । वास्तुशास्त्र के अनुसार प्रातःकाल में तथा संध्याकाल में घर तथा मंदिर में शंखध्वनि करने से चारों तरफ की नकारात्मक शक्तियाँ भाग जाती हैं । | + | . '''शंख बाजे बलाएँ भागे :''' शंखध्वनि से रोगों, राक्षसों, पिशाचों और शत्रुओं से रक्षा होती है । शंख बजाने से दरिद्रता तथा दुःख दूर होते हैं । आयु बढ़ती है। एक मात्र शंख बजाने से प्राणायाम की तीनों क्रियाए पूरक, रेचक व कुम्भक एक साथ सम्पन्न होती है, जिससे स्वास्थ्य उत्तम रहता है । वास्तुशास्त्र के अनुसार प्रातःकाल में तथा संध्याकाल में घर तथा मंदिर में शंखध्वनि करने से चारों तरफ की नकारात्मक शक्तियाँ भाग जाती हैं । |
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− | . शंख के लक्षण एवं प्रकार : शंख के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं - वामावर्ती शंख और दक्षिणावर्ती शंख । इन्हें बाँयी बाजू का शंख और दायीं बाजू का शंख भी कहते हैं । इन्हें नरशंख और मादा शंख भी कहते हैं । नरशंख दायें हाथ में तथा मादाशंख बायें हाथ में धारण किया जाता है । मान्यता के अनुसार पुरुष के लिए नर शंख और ख्री के लिए मादा शंख सुखदायक एवं लाभकारक होते हैं। शास्त्रीय मान्यतानुसार नर शंख स्त्री, धन, सम्पत्ति, वाहन, प्रतिष्ठा और यश दिलाने वाले होते हैं । इनके घर सर्वगुण सम्पन्न पुत्र की प्राप्ति होती है । उस शंख को “नारायण शंख' या “विष्णु शंख' के रूप में पहचाना जाता है । मादा शंख धन-धान्य की वृद्धि करनेवाला है। खियों को यह मादा शंख अपने बायें हाथ में धारण करना चाहिए । इसे धारण करने से वे अखण्ड सौभाग्यवती एवं सौन्दर्यशालिनी बनती हैं । इस शंख को श्री महालक्ष्मीजी अपने चार आयुरधों में धारण करती हैं। इस शंख को “महालक्ष्मी शंख या “श्रीशंख' भी कहते हैं । | + | . '''शंख के लक्षण एवं प्रकार :''' शंख के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं - वामावर्ती शंख और दक्षिणावर्ती शंख । इन्हें बाँयी बाजू का शंख और दायीं बाजू का शंख भी कहते हैं । इन्हें नरशंख और मादा शंख भी कहते हैं । नरशंख दायें हाथ में तथा मादाशंख बायें हाथ में धारण किया जाता है । मान्यता के अनुसार पुरुष के लिए नर शंख और ख्री के लिए मादा शंख सुखदायक एवं लाभकारक होते हैं। शास्त्रीय मान्यतानुसार नर शंख स्त्री, धन, सम्पत्ति, वाहन, प्रतिष्ठा और यश दिलाने वाले होते हैं । इनके घर सर्वगुण सम्पन्न पुत्र की प्राप्ति होती है । उस शंख को “नारायण शंख' या “विष्णु शंख' के रूप में पहचाना जाता है । मादा शंख धन-धान्य की वृद्धि करनेवाला है। खियों को यह मादा शंख अपने बायें हाथ में धारण करना चाहिए । इसे धारण करने से वे अखण्ड सौभाग्यवती एवं सौन्दर्यशालिनी बनती हैं । इस शंख को श्री महालक्ष्मीजी अपने चार आयुरधों में धारण करती हैं। इस शंख को “महालक्ष्मी शंख या “श्रीशंख' भी कहते हैं । |
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− | . शंख धारण करने की शास्त्रोक्तविधि : शंख को श्रद्धा और विश्वास के साथ विधिपूर्वक धारण करना चाहिए । शुभ दिवस और शुभ नक्षत्र देखकर शंख धारण करना चाहिए । भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करके शंख धारण करना चाहिए । श्रीशंख को धारण करते समय लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र रखकर शंख की स्थापना करना और “३3% नमो नारायणाय' इस मूल मंत्र का उच्चार करके शंख धारण करना चाहिए । विष्णुगायत्री का पाठ दस से बारह बार करना चाहिए । शंख के पवित्र जल से मन की प्रसन्नता मिलती है । शंख बजाना यह बहुत कठिन कार्य है। छाती में बहुत सारी हवा भरकर शंख बजाया जाता है । इससे रक्त संचार बराबर होता है । | + | . '''शंख धारण करने की शास्त्रोक्तविधि :''' शंख को श्रद्धा और विश्वास के साथ विधिपूर्वक धारण करना चाहिए । शुभ दिवस और शुभ नक्षत्र देखकर शंख धारण करना चाहिए । भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करके शंख धारण करना चाहिए । श्रीशंख को धारण करते समय लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र रखकर शंख की स्थापना करना और “३3% नमो नारायणाय' इस मूल मंत्र का उच्चार करके शंख धारण करना चाहिए । विष्णुगायत्री का पाठ दस से बारह बार करना चाहिए । शंख के पवित्र जल से मन की प्रसन्नता मिलती है । शंख बजाना यह बहुत कठिन कार्य है। छाती में बहुत सारी हवा भरकर शंख बजाया जाता है । इससे रक्त संचार बराबर होता है । |
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− | . गणेश शेख के लाभ : श्री गणेश जैसी आकृतिवाले शंख को गणेश शंख कहते हैं । जहाँ पर भी गणेश शंख होता है, उस स्थान पर गणेशजी की कृपा सदैव रहती है । इसके अनेक लाभ हैं : | + | . '''गणेश शेख के लाभ :''' श्री गणेश जैसी आकृतिवाले शंख को गणेश शंख कहते हैं । जहाँ पर भी गणेश शंख होता है, उस स्थान पर गणेशजी की कृपा सदैव रहती है । इसके अनेक लाभ हैं : |
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| १. गणेश शंख के प्रतिदिन दर्शन करने से बाधाएँ दूर होती हैं और कार्य में सफलता मिलती है । | | १. गणेश शंख के प्रतिदिन दर्शन करने से बाधाएँ दूर होती हैं और कार्य में सफलता मिलती है । |
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| ६. किसी भी स्थान पर गणेश शंख की स्थापना पीलेवस्त् पर ही करनी चाहिए | | | ६. किसी भी स्थान पर गणेश शंख की स्थापना पीलेवस्त् पर ही करनी चाहिए | |
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− | . सुख-सौभाग्यदायक शंख की महिमा : हमारी | + | . '''सुख-सौभाग्यदायक शंख की महिमा :''' हमारी |
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| (ई) भगवान श्री विष्णु की आराधना के लिए मार्गशीर्ष मास है । इसी प्रकार भगवान शंकर चन्द्र, सर्प, गंगा, डमरू, त्रिशुल और स्ट्राक्ष धारण करते हैं । माताजी शंख, चन्द्र, त्रिशूल और तलवार धारण करती हैं । और विश्व के पालन हार भगवान विष्णु शंख, चक्र, गदा व पदूम धारण करते हैं । | | (ई) भगवान श्री विष्णु की आराधना के लिए मार्गशीर्ष मास है । इसी प्रकार भगवान शंकर चन्द्र, सर्प, गंगा, डमरू, त्रिशुल और स्ट्राक्ष धारण करते हैं । माताजी शंख, चन्द्र, त्रिशूल और तलवार धारण करती हैं । और विश्व के पालन हार भगवान विष्णु शंख, चक्र, गदा व पदूम धारण करते हैं । |
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− | . योग्य शंख का चयन : शंख में ऐसी चमत्कारी शक्तियाँ होती हैं, जो आपकी प्रत्येक इच्छा पूर्ण कर सकती है । किन्तु यह तभी सम्भव है, जब आपने अपनी इच्छापूर्ति हेतु योग्य शंख का चयन किया हो । शास्त्रों में बतलाया गया है कि प्रत्येक शंख की अपनी एक विशेषता होती है। उस विशेषता के अनुसार उनके अलग-अलग नाम होते हैं । यहाँ हम ऐसे ही विभिन्न नामों वाले चमत्कारी शंखों की जानकारी करेंगे : | + | . '''योग्य शंख का चयन :''' शंख में ऐसी चमत्कारी शक्तियाँ होती हैं, जो आपकी प्रत्येक इच्छा पूर्ण कर सकती है । किन्तु यह तभी सम्भव है, जब आपने अपनी इच्छापूर्ति हेतु योग्य शंख का चयन किया हो । शास्त्रों में बतलाया गया है कि प्रत्येक शंख की अपनी एक विशेषता होती है। उस विशेषता के अनुसार उनके अलग-अलग नाम होते हैं । यहाँ हम ऐसे ही विभिन्न नामों वाले चमत्कारी शंखों की जानकारी करेंगे : |
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− | (क) देवी लक्ष्मी का प्रियशंख : ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के हाथ में शोभित शंख दाक्षिणावर्ती शंख है। इसका मुख दायीं ओर होता है । सामान्यतया मिलने वाले शंखों का मुख बायीं ओर ही होता है । यह शंख कष्टों का निवारण करता है । घर में सुख- शान्ति और समृद्धि के लिए इस शंख को देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के समक्ष लालवस्त्र पर रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए । ऐसा करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास रहता है और दिनोंदिन उन्नति होती है । | + | ('''क) देवी लक्ष्मी का प्रियशंख :''' ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के हाथ में शोभित शंख दाक्षिणावर्ती शंख है। इसका मुख दायीं ओर होता है । सामान्यतया मिलने वाले शंखों का मुख बायीं ओर ही होता है । यह शंख कष्टों का निवारण करता है । घर में सुख- शान्ति और समृद्धि के लिए इस शंख को देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के समक्ष लालवस्त्र पर रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए । ऐसा करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास रहता है और दिनोंदिन उन्नति होती है । |
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− | (ख) प्रेम बढ़ाने वाला चमत्कारी शंख : प्रेम में आनेवाली मुश्किलें, या जीवनसाथी के साथ विवाद होता हो तो ऐसे लोगों के लिए हीरा शंख लाभदायक होता है । ऐसी मान्यता है कि इस शंख से शुक्र ग्रह से सम्बन्धित दोष दूर हो जाते हैं और प्रेम बढ़ता है । इस शंख को अभिमन्त्रि कर शयन कक्ष में रखने से शुक्रग्रह अनुकूल रहता है। और दाम्पत्यजीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है । | + | '''(ख) प्रेम बढ़ाने वाला चमत्कारी शंख''' : प्रेम में आनेवाली मुश्किलें, या जीवनसाथी के साथ विवाद होता हो तो ऐसे लोगों के लिए हीरा शंख लाभदायक होता है । ऐसी मान्यता है कि इस शंख से शुक्र ग्रह से सम्बन्धित दोष दूर हो जाते हैं और प्रेम बढ़ता है । इस शंख को अभिमन्त्रि कर शयन कक्ष में रखने से शुक्रग्रह अनुकूल रहता है। और दाम्पत्यजीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है । |
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− | (ग.) गरीबी दूर करनेवाला विष्णु शंख : इस शंख की आकृति अर्द्धचन्द्राकार होने के कारण से चन्द्रशंख भी कहते हैं । जिसके पास यह शंख होता है वह कभी गरीब नहीं होता । इस व्यक्ति की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं । | + | '''(ग.) गरीबी दूर करनेवाला विष्णु शंख :''' इस शंख की आकृति अर्द्धचन्द्राकार होने के कारण से चन्द्रशंख भी कहते हैं । जिसके पास यह शंख होता है वह कभी गरीब नहीं होता । इस व्यक्ति की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं । |
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− | (घ) हृदय के लिए गुणकारी शंख : जिस व्यक्ति को हृद्यरोग अथवा श्वास सम्बन्धी तकलीफ हो, उसे अपने घर में मोती शंख रखना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि इस शंख में गंगाजल भरकर पीने से हृदय स्वस्थ रहता है । श्वास सम्बन्धी तकलीफ भी दूर हो जाती है । | + | '''(घ) हृदय के लिए गुणकारी शंख :''' जिस व्यक्ति को हृद्यरोग अथवा श्वास सम्बन्धी तकलीफ हो, उसे अपने घर में मोती शंख रखना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि इस शंख में गंगाजल भरकर पीने से हृदय स्वस्थ रहता है । श्वास सम्बन्धी तकलीफ भी दूर हो जाती है । |
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− | (ड) विद्यार्थियों तथा व्यापारियों हेतु लाभदायक शंख : प्रकृति में एक ऐसा शंख मिलता है, जिसकी आकृति गणेश जी जैसी होती है । इसे गणेश शंख कहते हैं । यह शंख विद्याप्राप्ति में सहायक होता है । व्यापारी इसे अपने व्यापारस्थल में अथवा अपने पूजाघर में इस शंख की विधिवत् स्थापना करे तो उसे आर्थिक लाभ होता है और उसका व्यापार बढ़ता है । | + | '''(ड) विद्यार्थियों तथा व्यापारियों हेतु लाभदायक शंख :''' प्रकृति में एक ऐसा शंख मिलता है, जिसकी आकृति गणेश जी जैसी होती है । इसे गणेश शंख कहते हैं । यह शंख विद्याप्राप्ति में सहायक होता है । व्यापारी इसे अपने व्यापारस्थल में अथवा अपने पूजाघर में इस शंख की विधिवत् स्थापना करे तो उसे आर्थिक लाभ होता है और उसका व्यापार बढ़ता है । |
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| . शंख का धार्मिक महत्त्व : शंख का धार्मिक महत्त्व बहुत अधिक है। ज्योतिष शाख््र में शंख को अत्यधिक शुभ माना है। शंख के साथ अनेक ज्योतिषीय प्रयोग जुड़े हुए हैं । शंख की भस्म का औषधीय उपयोग करके असाध्य रोगों से मुक्ति पा सकते हैं । विष्णु पुराण के अनुसार पावन शंख माता महालक्ष्मी का शभ्राता है । समुद्रमंथन के समय मिले चौदह रत्नों में से एक रत्न शंख है । इसलिए ऐसी मान्यता है कि शेष तेरह रत्नों में जितने गुण हैं, वे | | . शंख का धार्मिक महत्त्व : शंख का धार्मिक महत्त्व बहुत अधिक है। ज्योतिष शाख््र में शंख को अत्यधिक शुभ माना है। शंख के साथ अनेक ज्योतिषीय प्रयोग जुड़े हुए हैं । शंख की भस्म का औषधीय उपयोग करके असाध्य रोगों से मुक्ति पा सकते हैं । विष्णु पुराण के अनुसार पावन शंख माता महालक्ष्मी का शभ्राता है । समुद्रमंथन के समय मिले चौदह रत्नों में से एक रत्न शंख है । इसलिए ऐसी मान्यता है कि शेष तेरह रत्नों में जितने गुण हैं, वे |
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| वस्तुतः शंख एक बहुगुणी यंत्र है, इसे हमेशा घर में रखना चाहिए । जो जातक शंख का प्रतिदिन तुलसीदल से पूजन करता है उस घर में रोग, अशान्ति, क्लेश तथा तनाव नहीं रहते । शंख के सूर हमें अनेक प्रकार से सशक्त एवं सम्पन्न बनाते हैं । | | वस्तुतः शंख एक बहुगुणी यंत्र है, इसे हमेशा घर में रखना चाहिए । जो जातक शंख का प्रतिदिन तुलसीदल से पूजन करता है उस घर में रोग, अशान्ति, क्लेश तथा तनाव नहीं रहते । शंख के सूर हमें अनेक प्रकार से सशक्त एवं सम्पन्न बनाते हैं । |
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− | शंख के विविध सफल नुस्खे | + | === शंख के विविध सफल नुस्खे === |
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| १. रोज सवेरे-सवेरे दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा गंगाजल डालकर घर के चारों कोणों में छिटकने से भूतप्रेत तथा दुष्ात्माओं को अशुभ गति से मुक्ति मिलती है । तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है । | | १. रोज सवेरे-सवेरे दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा गंगाजल डालकर घर के चारों कोणों में छिटकने से भूतप्रेत तथा दुष्ात्माओं को अशुभ गति से मुक्ति मिलती है । तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है । |
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| १२. अन्नपूर्णा शंख में गंगाजल भर कर प्रतिदिन सुबह- सुबह पीने से शरीर के विकार दूर होते हैं । | | १२. अन्नपूर्णा शंख में गंगाजल भर कर प्रतिदिन सुबह- सुबह पीने से शरीर के विकार दूर होते हैं । |
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− | कुछ विचारणीय बिन्दु | + | === कुछ विचारणीय बिन्दु === |
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| . पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित-शिक्षित वर्ग आज भी भारतीय ज्ञान को अवैज्ञानिक और अन्धविश्वास से भरा मानकर उसे नकारता है । | | . पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित-शिक्षित वर्ग आज भी भारतीय ज्ञान को अवैज्ञानिक और अन्धविश्वास से भरा मानकर उसे नकारता है । |