जवाहरलाल नेहरू एवं उनके जैसे आज के तीसरे विश्व के विद्वानों के मानस आधुनिक पाश्चात्य विज्ञान एवं टेक्नोलोजी की चमक एवं शक्ति से अभिभूत हो गए हैं, यहाँ तक कि उनकी स्वतन्त्र रूप से सोचने की क्षमता ही जैसे हर ली गई है। यह चमक एकाध शताब्दी से अधिक पुरानी नहीं है, परन्तु शक्ति कुछ शताब्दी पुरानी है। जिस प्रकार, जिस क्षेत्र में, जितने व्यापक रूप में इस शक्ति का प्रयोग हो रहा है वह पश्चिम का रहस्य है। वर्तमान पाश्चात्य विज्ञान एवं तन्त्रज्ञान इस शक्ति का परिणाम है। मुझे लगता है कि यूरोप की शक्ति तथा उसके विज्ञान एवं तन्त्रज्ञान का मूल उसके तत्त्वज्ञान एवं बाईबल की मान्यताओं में है। यूरोप का भूगोल एवं उसकी आवश्यकताओं ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इस तत्त्वज्ञान एवं इन मान्यताओं को स्वीकार करने की परंपरा निर्माण की है। यह उसकी असीम शक्ति का मूल आधार है। | जवाहरलाल नेहरू एवं उनके जैसे आज के तीसरे विश्व के विद्वानों के मानस आधुनिक पाश्चात्य विज्ञान एवं टेक्नोलोजी की चमक एवं शक्ति से अभिभूत हो गए हैं, यहाँ तक कि उनकी स्वतन्त्र रूप से सोचने की क्षमता ही जैसे हर ली गई है। यह चमक एकाध शताब्दी से अधिक पुरानी नहीं है, परन्तु शक्ति कुछ शताब्दी पुरानी है। जिस प्रकार, जिस क्षेत्र में, जितने व्यापक रूप में इस शक्ति का प्रयोग हो रहा है वह पश्चिम का रहस्य है। वर्तमान पाश्चात्य विज्ञान एवं तन्त्रज्ञान इस शक्ति का परिणाम है। मुझे लगता है कि यूरोप की शक्ति तथा उसके विज्ञान एवं तन्त्रज्ञान का मूल उसके तत्त्वज्ञान एवं बाईबल की मान्यताओं में है। यूरोप का भूगोल एवं उसकी आवश्यकताओं ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इस तत्त्वज्ञान एवं इन मान्यताओं को स्वीकार करने की परंपरा निर्माण की है। यह उसकी असीम शक्ति का मूल आधार है। |