२. इसके बाद पन्द्रह वर्ष तक की शिक्षा तीन केन्द्रों में विभाजित होगी। एक केन्द्र होगा घर जहाँ गृहस्थ बनने की शिक्षा होगी। इस सन्दर्भ में पिता गुरु है और माता उसकी सहायक । दूसरा केन्द्र विद्यालय है जहाँ उसे देशदुनिया का और धर्म का ज्ञान मिलेगा। विद्यालय के शिक्षक उसके गुरु होंगे। तीसरा केन्द्र होगा उत्पादन का केन्द्र जहाँ वह व्यवसाय सीखेगा। व्यवसाय का मालिक उसका गुरु होगा। तीनों केन्द्रों पर एक विद्यार्थी की तरह ही उसके साथ व्यवहार होगा। यदि उसे शिक्षक, पुरोहित, राज्यकर्ता, अमात्य आदि बनना है तो विद्यालय में ही जायेगा, उत्पादन केन्द्र में जाने की आवश्यकता नहीं। | २. इसके बाद पन्द्रह वर्ष तक की शिक्षा तीन केन्द्रों में विभाजित होगी। एक केन्द्र होगा घर जहाँ गृहस्थ बनने की शिक्षा होगी। इस सन्दर्भ में पिता गुरु है और माता उसकी सहायक । दूसरा केन्द्र विद्यालय है जहाँ उसे देशदुनिया का और धर्म का ज्ञान मिलेगा। विद्यालय के शिक्षक उसके गुरु होंगे। तीसरा केन्द्र होगा उत्पादन का केन्द्र जहाँ वह व्यवसाय सीखेगा। व्यवसाय का मालिक उसका गुरु होगा। तीनों केन्द्रों पर एक विद्यार्थी की तरह ही उसके साथ व्यवहार होगा। यदि उसे शिक्षक, पुरोहित, राज्यकर्ता, अमात्य आदि बनना है तो विद्यालय में ही जायेगा, उत्पादन केन्द्र में जाने की आवश्यकता नहीं। |