Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 586: Line 586:  
जो कपड़े छोटे पड़ गये हैं या तंग हो गये हैं, उन्हें जरूरतमंद लोगों को दे देना चाहिए । इस तरह वे बेकार पड़े नहीं रहेंगे, उनका भी सदुपयोग हो जायेगा।
 
जो कपड़े छोटे पड़ गये हैं या तंग हो गये हैं, उन्हें जरूरतमंद लोगों को दे देना चाहिए । इस तरह वे बेकार पड़े नहीं रहेंगे, उनका भी सदुपयोग हो जायेगा।
   −
माँ पुराने कपड़ो से रुमाल, गमछा आदि बना देती
+
माँ पुराने कपड़ो से रुमाल, गमछा आदि बना देती है। उन्हें हमें उपयोग में लेना चाहिए। माँ के हाथों बने होने कारण वे अधिक प्रिय हो जाते हैं। हम प्रसन्नता से उन्हें पहनते हैं।
 +
 
 +
ऐसा करोगे तो कुछ भी बेकार नहीं जायेगा । जबतक कपड़ा फटेगा नहीं तब तक उसका पूरा पूरा उपयोग होगा।
 +
 
 +
==== पैसा सोच-समझकर खर्चकरो ====
 +
मित्रों। तुम्हें बाजार में जाना अच्छा लगता है न ! मन पसन्द वस्तुओं की दुकानें, रंग-बिरंगे खिलौने, स्वादिष्ट खाने पीने की वस्तुएँ देखकर ही मुँह में पानी आ जाता होगा। फिर तो तुम अपने अपने माँ-बापुजी से लेने की जिद करते होंगे।
 +
 
 +
कोई अच्छी वस्तु तुम्हारे मित्र के पास हो तो तुम्हें भी ऐसा लगता है कि यह वस्तु तो मेरे पास भी होनी चाहिए। फिर तो तुरन्त खरीदकर लाने का आग्रह शुरु हो जाता है, और जब तक वह वस्तु हाथ में नहीं आ जाती तब तक आग्रह चालू ही रहता है।
 +
 
 +
परन्तु ऐसा करना ठीक नहीं है। हमारे लिये आवश्यक ऐसी सभी वस्तुएँ हमें हमारे माँ-बापुजी लाकर देते ही हैं।
 +
 
 +
टी.वी. पर तुम अनेक वस्तुओं का विज्ञापन देखते __ हो । तुम्हें विज्ञापन वाली वस्तु पसन्द आ जाती है। वह वस्तु शीघ्र ही बापुजी लाकर मुझे दें, ऐसा तुम्हें लगता है ।
 +
 
 +
तुम विज्ञापन देख-देखकर उसके शिकार हो जाते हो, और धोखा खाते हो । विज्ञापन वाली वस्तुएँ बहुत अच्छी होती हैं और जरूरी होती हैं, यह तुम्हारे मन में बैठ जाता है। परन्तु वे वस्तुएँ उतनी अच्छी नहीं होती, जितनी दिखाई जाती है। माँ-बापुजी इस बात को जानते हैं, वे मना करते हैं। परन्तु तुम्हें लगता है कि वे दिलाना नहीं चाहते । इसलिए तुम जिद कर लेते हो, वस्तु घर में आ जाती है, परन्तु बेकार होकर पड़ी रहती है । व्यर्थ में पैसा खर्च होता है।
 +
 
 +
ऐसा ही कपड़ों में होता है। दूसरे मित्रों की देखादेखी में तुम वह खरीद तो लेते हो, परन्तु व्यर्थ में पैसा खर्च होता है, उसका क्या ? तुम्हें भी उनकी बात माननी चाहिए।
 +
 
 +
पैसा बहुत महत्त्व की वस्तु है । पैसा देकर ही अन्य वस्तुएँ प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए पैसा बहुत सोच-समझकर खर्च करना चाहिए । पैसा कमाने में बापुजी को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए किसी वस्तु को लेने के लिए जिद नहीं करनी चाहिए। वे जो लाकर देते हैं, उनका आनन्दपूर्वक उपयोग करना चाहिए।
 +
 
 +
अब समझ में आया होगा कि पैसा कितना महत्त्वपूर्ण है। अगर आज तुम पैसे का उपयोग विचार पूर्वक करोगे तो ही वह पैसा आपके अच्छे कामों में साथ देगा। इसीलिए तो कहा जाता है, पैसा ही सबकुछ है ।
 +
 
 +
==== समय का पालन करना सीखो ====
 +
बिजली, पानी, ईंधन, अन्न, शालोपयोगी वस्तुएँ आदि । ये सभी वस्तुएँ हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं । इसलिए इन्हें व्यर्थ में गँवाना नहीं चाहिए। यह आपकी समझ में आया होगा ?
 +
 
 +
मित्रों । अभी भी कितनी ही महत्त्वपूर्ण ऐसी वस्तुएँ हैं जो हमें दिखाई तो नहीं देती परन्तु हमारे लिए बहुत आवश्यक होती हैं। 'समय' यह एक ऐसी ही महत्त्वपूर्ण वस्तु है। गया हुआ समय फिर कभी भी लौट कर नहीं आता । आप प्रतिदिन का समय पत्रक बनाते हैं न । समय पत्रक बनाने के बहुत लाभ हैं। किस समय कौनसा काम करना है, यह ध्यान में रहता है, इसलिए व्यर्थ में समय नहीं जाता । पढ़ना, खेलना, भोजन करना, आराम करना, घर के कामों में सहयोग करना आदि सभी काम प्रतिदिन करने ही चाहिए।
 +
 
 +
कभी-कभी हम सारा दिन खेलते ही रहते हैं, उस समय तो भूख भी नहीं लगती । कभी पढ़ते ही रहते हैं तो कभी यों ही बैठे-बैठे बेकार में समय गाँवा देते हैं। कभी दिनभर टी.वी. अथवा कम्प्यूटर के सामने अड्डा जमा लेते हैं। अन्यथा पूरा दिन आलसी की तरह बिस्तर में पड़े रहते हैं। यह तो समय बिगाड़ना है। हमें समय नहीं बिगाड़ना चाहिए, उसका पूरापूरा उपयोग करना चाहिए। क्योंकि बीता हुआ समय फिर लौट कर नहीं आता।
 +
 
 +
प्रत्येक काम समय पर करो । एक पल भी खाली मत बैठो। तुम विद्यार्थी हो इसलिए अधिक समय पढ़ाई में लगाओ । मन लगाकर पढो । केवल पुस्तक लेकर बैठने से पढ़ाई नहीं होती, उससे तो समय बिगड़ता है, इसलिए समझकर पढ़ो । समझने में मन लगाओ, समय का पूरा पूरा सदुपयोग करो।
 +
 
 +
अवकाश के दिनों में आलसी मत बनो । खूब खेलो, खूब सीखो, सीखने के लिए बहुत सारा पड़ा है। खूब पुस्तकें पढ़ो। इससे ज्ञान बढ़ता है, फिर पछताना नहीं पड़ता।
 +
 
 +
'''समय मत बिगाड़ो, समय का सदुपयोग करो ।'''
 +
 
 +
==== शक्ति का सदुपयोग करो ====
 +
विद्यालय की छुट्टी हुई। सभी बालक घर जाने के लिए निकले । राम पैदल ही घर जाता था। बंटी, नन्दू, भोला और गणपत की टोली भी घर की तरफ जा रही थी। जाते जाते ये चारों रास्ते में खड़े हो गये।
 +
 
 +
यह टोली कक्षामें खूब शरारतें करती थी। ये कभी किसी की नहीं मानते थे। पढ़ने से तो ये कोसों दूर थे। आज तो शिक्षिका बहनने उन्हें राम की कॉपियाँ दिखाई और खूब डाँट लगाई।
 +
 
 +
राम की कॉपियाँ बहुत व्यवस्थित थीं। राम सभी बातों में बहुत व्यवस्थित था । उसका लेख भी बहुत सुन्दर था। इसलिए वह सबका लाडला भी था। परन्तु यह चौकड़ी राम से नाराज रहती थी।
 +
 
 +
आज तो कक्षा में राम के कारण ही शिक्षिका बहन ने उन चारों को डाँटा था। इसलिए उन्होंने राम को पाठ पढाने का निश्चय किया । इतने में उन्हें दूर से राम आता दिखाई दिया।
 +
 
 +
बंटीने कहा, मैं राम को ऐसा फटकारूँगा कि वह आगे से कभी हमारे सामने आने की हिम्मत ही नहीं करेगा। विद्यालय से ही अपना नाम कटवा लेगा।
 +
 
 +
गणपतने कहा बंटी, मैं भी तुम्हारी मदद में खड़ा रहँगा। बंटीने कहा, मैं तुम सबकी तुलना में अधिक शक्तिशाली हूँ। मैं अकेला ही राम के लिए भारी पडूंगा।
 +
 
 +
राम के पास में आते ही बंटीने उसे धक्का मार कर जमीन पर गिरा दिया । राम एक भी शब्द बोले बिना उठा और अपने रास्ते जाने लगा।
 +
 
 +
परन्तु नन्दू और गणपत उसका बस्ता खींचने लगे। तब भी राम कुछ नहीं बोला । चारोंने राम को खूब चिड़ाया __ और उस पर टूट पड़ने की तैयारी में ही थे कि इतने में शिक्षिका वहाँ आ पहुँची।
 +
 
 +
बहनने उन चारों को बहुत फटकारा, परन्तु रामने यही ___ कहा, बहन हम तो खेल रहे थे। इन्हें फटकारो मत । बहन राम के मुँह के सामने देखती ही रह गई।
 +
 
 +
इतने में वहाँ एक दुर्घटना घटी। एक बूढ़ा व्यक्ति अपने सिर पर बहुत भारी सामान रख कर ले जा रहा था। उसे रस्ते में बना हुआ खड्डा दिखाई नहीं दिया । और वह उस खड्ढे में गिर गया । उसका सारा सामान नीचे गिर गया और बिखर गया।
 +
 
 +
राम तुरन्त दौड़कर गया, उसने बूढ़े को सहारा देकर उठाया । उसका बिखरा सामान इकट्ठा किया और बोला, दादा चलो मैं आपको छोड़ आता हूँ। आपको कहाँ जाना है ? दादाने कहा, बेटा ! रहने दे । मुझे तो उस ओर दूर की दुकान जाना है। उसके मना करने पर भी रामने बोझा उठा लिया । और उसके साथ-साथ चलने लगा।
 +
 
 +
यह सारा दृश्य वह चौकड़ी भी देख रही थी। शिक्षिका बहनने उन्हें कहा, देखो। इसीलिए राम सबका लाडला है । बंटी, राम तुझे भी मार सकता है। उसमें इतनी शक्ति है, परन्तु उसमें वह समझ भी है कि अपनी शक्ति हमेशा अच्छे कामों में लगानी चाहिए। कभी भी गलत कामों में शक्ति खर्च नहीं करनी चाहिए। गलत कामों में शक्ति खर्च करना, उसे खड्डे में डालने के समान है ।
 +
 
 +
अपनी शक्ति का सदुपयोग करो। उससे हमारा भी भला होगा । हमेशा दूसरों के भले के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करना चाहिए । शक्ति को चाहे जहाँ नष्ट नहीं करनी चाहिए। अच्छे कामों में ही उसका उपयोग करना चाहिए ।
 +
 
 +
==== मीठा बोलो, तोल कर बोलो ====
 +
मित्रों, हम सदैव किसी न किसी के साथ बोलते ही रहते हैं । बोलते समय हम अनेक शब्द उपयोग में लाते हैं।
 +
 
 +
उनमें कुछ शब्द तो आनन्द देने वाले होते हैं जबकि कुछ शब्द दुःख पहुँचाते हैं। किसी शब्द के कारण क्रोध आता है तो कोई शब्द रुलाने वाला होता है।
 +
 
 +
किसी वाक्य को सुनकर दुःख होता है, क्योंकि वह वाक्य उद्दण्डता पूर्ण होता है।
 +
 
 +
तुम्हें कोई पुस्तक चाहिए। तुम अपने मित्र से कहते हो, 'सुन ! तेरी गणित की पुस्तक दे।' तो उसे गुस्सा आयेगा परन्तु उसके बदले तुम यह कहोगे, 'क्या तुम मुझे अपनी गणित की पुस्तक दोगे ?' तो वह तुरन्त ही राजीराजी अपनी गणित की पुस्तक दे देगा।
 +
 
 +
सामने वाले व्यक्ति के साथ बात करते समय नम्रतापूर्वक बोलना चाहिए। अगर हम क्रोधित होकर बात करेंगे तो क्रोध में हमारे मुँह से कठोर शब्द ही निकलेंगे।
 +
 
 +
शब्द तीर के समान होते हैं । धनुष से छूटा हुआ तीर जैसे लौटता नहीं, उसी प्रकार मुँह से निकला शब्द भी वापस नहीं आता। इसलिए शब्दों का उपयोग सोचसमझकर करना चाहिए।
 +
 
 +
लगातार बोलते नहीं रहना चाहिए। हमेशा अर्थपूर्ण बात ही करनी चाहिए । व्यर्थ की बकबक टालनी चाहिए । इसका अर्थ यह है कि फालतु शब्द नहीं निकालना चाहिए। बहुत अधिक बोल-बोल करने से भी थकान होती भगवानने अच्छा बोलने के लिए हमें मुँह दिया है। कभी भी गलत नहीं बोलना चाहिए । हम अच्छा बोलेंगे तो दूसरे लोग हमारे साथ भी अच्छा बोलेंगे।
 +
 
 +
किसी पर भी क्रोधित नहीं होना चाहिए। क्रोधमें गालियाँ नहीं बोलनी चाहिए। सार्थक बोलना, निरर्थक बोलकर शब्द और शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना । बोलने से पहले इस सूत्र को याद करना...
 +
 
 +
'''<nowiki/>'मीठो मीठो बोल तोल तोल बोल ।''''
 +
 
 +
==== योग्य अवसर का लाभ उठाओ ====
 +
कक्षा चल रही थी। बहनजी ने कक्षा में प्रवेश किया तो सबने उन्हें नमस्ते किया। बहनजी ने उपस्थिति भरी और मीरा को बुलाया।
 +
 
 +
मीरा आई तो बहिनजीने उसे बताया कि आज बुधवार है, आने वाले शनिवार को हमारे विद्यालय में भाषण की प्रतियोगिता होगी। अपनी कक्षा में से मैंने तुम्हारा नाम लिखवाया है। इसलिए तू आजसे ही तैयारी शुरु कर दे।
 +
 
 +
प्रतियोगिता का विषय है, 'मेरा प्रिय त्योहार'
 +
 
 +
तुमने आजतक कभी किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया, इसलिए तुम्हारा नाम निश्चित किया है ।
 +
 
 +
मीरा बोलने से घबराती थीं, इसलिए उसने बहिनजी को मना कर दिया। घर आकर वह रोने लगीं। माँ ने उसे गोद में बिठाकर पूछा तो सारी बात ध्यान में आ गाई ।
 +
 
 +
माँ ने कहा, अरे ! तू रो किसलिए रही है ? इतना अच्छा अवसर तुझे मिला है, घबरा मत । मेहनत कर, मैं तेरी मदद करूँगी। प्रयत्न करने से सबकुछ आता है। बहुत अच्छी तरह याद कर । आये हुए अवसर को कभी जाने नहीं देना चाहिए।
 +
 
 +
ऐसे रोया मत कर, तुझे बड़ा होना है न ! तब फिर बिल्कुल घबरा मत और भाषण की तैयारी कर ।
 +
 
 +
मीरा ने मन में निश्चय किया । खूब मेहनत की और शनिवार को भाषण प्रतियोगिता में बहुत अच्छा भाषण दिया । और उसे प्रथम पारितोषिक मिला ।
 +
 
 +
देखो ! अगर मीरा ने आया हुआ अवसर जाने दिया होता तो वह भाषण से डरती ही रहती। उसे अपनी क्षमता ध्यान में नहीं आती।
 +
 
 +
इसलिए प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना चाहिए। कोई भी अवसर जाने मत दो । प्रयत्न करो, यश तो मिलता ही है।
 +
 
 +
==== '''व्यर्थ मत गँवाओ''' ====
 +
व्यर्थ मत गँवाओ, और खशियाँ लाओ।
 +
 
 +
पानी बिजली और अनाज,
 +
 
 +
इनसे चलता जीवन काज ।
 +
 
 +
पेट्रोल डीजल और लकड़ी,
 +
 
 +
ईंधन बिना गाड़ी अटकी
 +
 
 +
पुस्तक-कॉपी और कपड़े।
    
आहति देने योग्य पदार्थ ही अहम माना जाता था। किन्तु इसका लाक्षणिक अर्थ है, गुरु के लिये उपयोगी हो ऐसा कुछ न कछ लेकर जाना। क्या आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे -
 
आहति देने योग्य पदार्थ ही अहम माना जाता था। किन्तु इसका लाक्षणिक अर्थ है, गुरु के लिये उपयोगी हो ऐसा कुछ न कछ लेकर जाना। क्या आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे -
1,815

edits

Navigation menu