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| # शुल्क माफी की व्यवस्था कितने प्रकार की हो पुरी बातचीत से शुल्क अनिवार्य है यही समझ मन में सकती है ? | | # शुल्क माफी की व्यवस्था कितने प्रकार की हो पुरी बातचीत से शुल्क अनिवार्य है यही समझ मन में सकती है ? |
| # शुल्क एवं शिक्षकों के वेतन का कया सम्बन्ध है ? | | # शुल्क एवं शिक्षकों के वेतन का कया सम्बन्ध है ? |
| + | # शुल्क अच्छा अतः शिक्षक का वेतन अच्छा यह समीकरण दिखाई नहीं देता। |
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| + | ==== अभिमत ==== |
| + | पुरी बातचीत से शुल्क अनिवार्य है यही समझ मन में बैठ गयी है ऐसा लगता है । विद्या का दान नही होता तो हमने उसे बेचने की चीज बना दी है । दक्षिणा स्वैच्छिक होती है । शुल्क को दक्षिणा मानना यह अनुचित बात को अच्छा लेबल लगाने जैसा होता है । विद्यालयों में सबका शुल्क समान एवं अनिवार्य ही होता है । शिक्षा की गुणवत्ता और शुल्क का कोई सम्बन्ध कही दिखाई ही नहीं देता । ज्यादा शुल्क वाले विद्यालय में अच्छी पढाई होती है यह आभासी विचार ज्यादातर लोगों का है । अभिभावक भी आजकल अपने इकलौते बेटे को ए.सी., मिनरल वोटर, बैठने की स्वतंत्र सुंदर व्यवस्था ऐसी सुविधाएँ विद्यालय में भी मिले ऐसा सोचते है, इसलिये ज्यादा शुल्क देने की उनकी तैयारी है। मध्यमवर्गीय लोग बालक को पढाते है तो इतना शुल्क देना ही पडेगा ऐसा सोचते हैं । जितना ज्यादा शुल्क इतनी ज्यादा सुविधायें यह समझ आज सर्वत्र दृढ हुई है। सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों का वेतन निवृत्ति वेतन तक निश्चित होता है । उस विचार से हमारा अन्नदाता सरकार है अभिभावक नहीं अतः शिक्षा की कोई गुणवत्ता टिकानी चाहिये यह बात वे भूल गये है। निजी विद्यालयों में अभी गुणवत्ता के संबंध से आपस में बहोत होड़ लगी रहती है। परंतु वह शिक्षकोंने अच्छा पढाना अनिवार्य नहीं होता, ज्यादा गुण देने से विद्यालय की गुणवत्ता वे सिद्ध करते है । आज समाज में निःशुल्क शिक्षा निकृष्ट शिक्षा और उंचे शुल्क लेनेवाली उत्कृष्ट शिक्षा ऐसा मापदण्ड निश्चित किया है । वेतन ज्यादा देने से अध्यापन की गुणवत्ता बढेगी यह संभव नहीं होता । |
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| + | शुल्क के विषय में भारतीय मानस और वर्तमान व्यवस्था एकदूसरे से सर्वथा विपरीत हैं । मूल भारतीय विचार में शिक्षा निःशुल्क दी जानी चाहिये । इसका कारण यह है कि शिक्षा निःशुल्क दी जानी चाहिये । इसका कारण यह है कि शिक्षा की प्रतिष्ठा अर्थ से अधिक है। अर्थ शिक्षा का मापदण्ड नहीं हो सकता । अर्थ केवल भौतिक पदार्थों का ही मापदण्ड हो सकता है। अधिक पैसा देने से अधिक अच्छा पढ़ाया जाता |
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| आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे - | | आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे - |
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| पानी. प्राकृतिक संसाधन है, | | पानी. प्राकृतिक संसाधन है, |
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| ६. व्यय के अनुरूप आय | | ६. व्यय के अनुरूप आय |
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| शुद्ध बाजार के रूप में ही उन्हें | | शुद्ध बाजार के रूप में ही उन्हें |
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| रण | | रण |
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| महत्त्वपूर्ण शोध का विषय है । | | महत्त्वपूर्ण शोध का विषय है । |
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| भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम | | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
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| स्वीकार्य होगी ।. गुरुदक्षिणा की निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था देखते ही a aa | | स्वीकार्य होगी ।. गुरुदक्षिणा की निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था देखते ही a aa |
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| पर्व ४ : विद्यालय की भौतिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ | | पर्व ४ : विद्यालय की भौतिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ |
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| इसे श्रद्धा के भाव से देखा जाता है। भाव एवं अर्थ (धन) | | इसे श्रद्धा के भाव से देखा जाता है। भाव एवं अर्थ (धन) |
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| सामाजिक संगठनों को करना चाहिये । परन्तु इसमें | | सामाजिक संगठनों को करना चाहिये । परन्तु इसमें |
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| आपसी समझौते से श्रेष्ठ शिक्षक | | आपसी समझौते से श्रेष्ठ शिक्षक |
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| भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम | | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
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| पुरुषार्थ को प्रथम ठीक करना होगा । | | पुरुषार्थ को प्रथम ठीक करना होगा । |