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| अंग्रेजी माध्यम प्रतिष्ठा का और एक विषय है । जितनी कम आयु में अंग्रेजी पढाया जाता है उतनी अधिक प्रतिष्ठा होती है । अंग्रेजी के साथ साथ यदि अन्य विदेशी भाषायें भी सिखाई जाती हैं तो और भी अच्छा है। विद्यालय में यदि विदेशी छात्र पढ़ते हैं तो वह भी गौरव का विषय बनता है । विदेशी मेहमान आते हैं तो प्रतिष्ठा बढती है । | | अंग्रेजी माध्यम प्रतिष्ठा का और एक विषय है । जितनी कम आयु में अंग्रेजी पढाया जाता है उतनी अधिक प्रतिष्ठा होती है । अंग्रेजी के साथ साथ यदि अन्य विदेशी भाषायें भी सिखाई जाती हैं तो और भी अच्छा है। विद्यालय में यदि विदेशी छात्र पढ़ते हैं तो वह भी गौरव का विषय बनता है । विदेशी मेहमान आते हैं तो प्रतिष्ठा बढती है । |
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− | विदेशी खेल खेले जाते हैं, | + | विदेशी खेल खेले जाते हैं, विदेश में शैक्षिक भ्रमण के लिये जाना होता है, आन्तर्राष्ट्रीय बोर्ड की मान्यता है, विदेशी वेश का गणवेश, विद्यालय के कैण्टीन में कण्टीनेन्टल नाश्ता मिलता है तो विद्यालय प्रतिष्ठित माना जाता है । |
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− | विदेश में शैक्षिक भ्रमण के लिये जाना होता है, आन्तर्राष्ट्रीय बोर्ड की मान्यता है, विदेशी वेश का गणवेश, विद्यालय के कैण्टीन में कण्टीनेन्टल नाश्ता मिलता है तो विद्यालय प्रतिष्ठित माना जाता है ।
| + | जिन विद्यालयों महाविद्यालयों में कैम्पस में ही नौकरी मिल जाती है उन विद्यालयों की प्रतिष्ठा बढती है । जहाँ मन्त्रियों, प्रशासनिक अधिकारियों, धनाढ्यो की संताने पढ़ती है वे विद्यालय प्रतिष्ठिट है। |
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| + | अर्थात् प्रतिष्ठा का केन्द्र बिन्दु अब बदल गया है । ज्ञान, चरित्र, संस्कार, सेवा आदि से खिसककर पैसा, सत्ता, वैभव और नोकरी पर आ गया है । इस बदले हुए केन्द्र का इतना विस्तार हुआ है कि अब वह लोकमानस में बैठ गया है। शिक्षकों ने इसे स्वीकार कर लिया है और समाज ने इसे मान लिया है। |
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| + | परन्तु इससे तो समाज की दुर्गति होगी। समाज को यदि दुर्गति से बचना है तो इस बदले हुए केन्द्र का त्याग कर ज्ञान को केन्द्र में प्रतिष्ठित करना होगा। |
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| + | ==== ज्ञान को प्रतिष्ठित करने के कुछ कठोर उपाय ==== |
| + | ज्ञान को केन्द्र में प्रतिष्ठित करने हेतु कुछ कठोर नियम भी बनाने होंगे । प्रारम्भ में वे अव्यावहारिक और असम्भव लगेंगे परन्तु अन्ततोगत्वा वे ही इष्ट परिणाम देने वाले सिद्ध होंगे। |
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| + | ये नियम कुछ इस प्रकार होंगे... |
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| + | १. अध्ययन शुल्क क्रमशः कम करते करते निःशेष करना । शुल्क नहीं होगा तो ज्ञान पर धनिकों का प्रभाव कम होगा। |
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| + | २. शिक्षकों को आर्थिक स्वावलम्बन प्राप्त करना होगा । नौकरी करना छोडकर अपनी जिम्मेदारी पर विद्यालय चलनें होंगे। |
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− | जिन विद्यालयों महाविद्यालयों में कैम्पस में ही नौकरी मिल जाती है उन विद्यालयों की प्रतिष्ठा बढती है । जहाँ मन्त्रियों, प्रशासनिक अधिकारियों, धनाढ्यो की संताने पढ़ती है वे विद्यालय प्रतिष्ठिट है।
| + | ३. शिक्षा का नौकरी से सम्बन्ध विच्छेद करना होगा। स्वतन्त्र रहकर, समाज की सेवा करने की वृत्ति से, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उद्योग कर अर्थार्जन करना सिखाना होगा। इस प्रकार समाज की |
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| पढ़ती हैं वे विद्यालय प्रतिष्टित हैं । | | पढ़ती हैं वे विद्यालय प्रतिष्टित हैं । |