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२. औपचारिकता के लिये अभी भी यह शैक्षिक भ्रमण है। भ्रमण यदि शैक्षिक है तो रेलवे की ओर से ५० प्रतिशत किराया कम हो जाता है, दस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की निःशुल्क यात्रा होती है। इसलिये सरकारी एवं विद्यालय के कार्यालयमें और रेलवे या अन्य यातायात के लिये यह शैक्षिक भ्रमण है, विद्यर्थियों और शिक्षकों - भ्रमण हेतु जाने वालों - के लिये यह मनोरंजन यात्रा है।  
 
२. औपचारिकता के लिये अभी भी यह शैक्षिक भ्रमण है। भ्रमण यदि शैक्षिक है तो रेलवे की ओर से ५० प्रतिशत किराया कम हो जाता है, दस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की निःशुल्क यात्रा होती है। इसलिये सरकारी एवं विद्यालय के कार्यालयमें और रेलवे या अन्य यातायात के लिये यह शैक्षिक भ्रमण है, विद्यर्थियों और शिक्षकों - भ्रमण हेतु जाने वालों - के लिये यह मनोरंजन यात्रा है।  
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३. सबसे पहले यह दुविधा दूर करनी चाहिये । यह दुविधा अप्रामाणिकता है, दम्भ है, झूठ बोलकर लाभ
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३. सबसे पहले यह दुविधा दूर करनी चाहिये । यह दुविधा अप्रामाणिकता है, दम्भ है, झूठ बोलकर लाभ लेने की वृत्ति प्रवृत्ति है। विद्यार्थियों पर इससे भ्रष्टाचार के संस्कार होते हैं।
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४. विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों में शैक्षिक भ्रमण' शब्द परिचित, प्रचलित और प्रतिष्ठित करना चाहिये और विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण का अर्थ और उद्देश्य समझाना चाहिये ।
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५. इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, संस्कृति आदि विषयों के साथ भ्रमण कार्यक्रम को जाड़ना चाहिये । भिन्न भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम के साथ उसे जोड़ना चाहिये । कक्षा और विषय के अनुसार विभिन्न गट बनाने चाहिये । गट में एक साथ कम संख्या होनी चाहिये ताकि व्यवस्था ठीक बनी रहे।
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६. जब ठीक से प्रबोधन नहीं किया जाता है तब जहाँ जाते हैं उस दर्शनीय स्थान के दर्शन और अवलोकन तो एक और रह जाते हैं और यात्रा के दौरान का दंगा, खान पान, वेश और फैशन, फोटो सेशन, खरीदी आदि मुख्य बातें बन जाती हैं। विद्यार्थियों और शिक्षकों की इस मानसिकता का उपचार करने की आवश्यकता है। शिक्षकों का उपचार शिक्षाशास्त्रियों ने और विद्यार्थीयों का उपचार शिक्षकों ने करना चाहिये।
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७. शैक्षिक भ्रमण देशदर्शन और संस्कृति दर्शन हेतु होता है, इतिहास दर्शन हेतु भी होता है ।
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८. अपने ही नगर का भूगोल और दर्शनीय स्थान देखने से भ्रमण कार्यक्रम की शुरुआत होती है। आगे चलकर अपना जिला, अपना राज्य और अपने देश का भ्रमण करना चाहिये।
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९. कुछ उदाहरण देखें...
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कक्षा में यदि शिवाजी महाराज का इतिहास पढ़ना है तो दो प्रकार से भ्रमण गट बन सकते हैं । एक गट महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज के गढ़ और किले देखने के लिये और दसरा गट आगरा और दिल्ली के किले, जहाँ शिवाजी महाराज को औरंगजेबने कैद में रखा था और मिठाई की टोकरियों में बैठकर पुत्र के साथ वे कैद से भागकर वापस अपनी राजधानी रायगढ़
    
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