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# '''भ्रमण के माध्यम से सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय विकास किस प्रकार से होता है ?'''
 
# '''भ्रमण के माध्यम से सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय विकास किस प्रकार से होता है ?'''
 
# '''भ्रमण के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान का विकास किस प्रकार से होता है ?'''
 
# '''भ्रमण के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान का विकास किस प्रकार से होता है ?'''
प्रश्नावली से पाप्त उत्तर
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विद्याभारती केल प्रान्त के कृष्णदासजीने प्रान्त के
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==== प्रश्नावली से पाप्त उत्तर ====
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विद्याभारती केल प्रान्त के कृष्णदासजीने प्रान्त के आचार्य प्रश्नावली भरवायी है । भाषाकी समस्या के कारण प्रश्न और उत्तर समझने में दोनो तरफ से कठीनाई महसूस हुई । फिर भी उत्साह से यह कार्य किया गया अतः चर्चा के माध्यम से जो समझ में आया उसे अभिमत मे स्थान दिया है । आचार्य एवं अभिभावकों ने इस प्रश्नावली के संबंध मे कुछ विचार किया है । निसर्ग समृद्ध भूमि का जिन्हें प्रत्यक्ष अनुभव है । अतः निसर्ग के साथ रहने हेतू भ्रमण (ट्रिप) योजना करना यही विचार प्रधान मानकर प्रश्नावली के उत्तर लिखे गये । भ्रमण के लिए अच्छे स्थान एवं उनके नाम बताए गये । भ्रमण समय में कौन सी सावधानीयाँ रखना इसका भी विचार हुआ परन्तु भ्रमण के साथ शैक्षिक बातों का विचार बहुत कम रहा ।
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आचार्य प्रश्नावली भरवायी है । भाषाकी समस्या के कारण
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अत्यंत विचारपूर्ण और गहराई मे विचार करने वाली यह दस प्रश्नों की प्रश्नावली थी। देखना और निरीक्षण करना दोनों भी दृश्येंद्रिय से की जानेवाली क्रियाएँ हैं । देखना आँखोंसे होता है परंतु निरीक्षण मे आँखों के साथ मन और बुद्धी भी जुड़ते हैं । उसी प्रकार भ्रमण और शैक्षिक भ्रमण में भी अंतर है । आज विद्यालयों में भ्रमण कार्यक्रम का अर्थ भ्रमण इतना ही किया जाता है ।
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प्रश्न और उत्तर समझने में दोनो तरफ से कठीनाई महसूस
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'''अभिमत'''
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हुई फिर भी उत्साह से यह कार्य किया गया अतः चर्चा
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भ्रमण अर्थात् घूमना शैक्षिक भ्रमण अर्थात् कुछ जानने समझने के लिए घूमना । उस दृष्टि से गाँव का साप्ताहिक बाजार, मेले, प्राचीन मन्दिर, अखाड़े, प्रेक्षणीय स्थान, जंगल, उद्याने, उपवन, बाँध, पर्वतारोहण, नदीकिनारा, समुद्रकिनारा, म्युझियम, कारखाने, गोशाला, फसल से भरी खेती, फल के बगीचे, निसर्गरम्य स्थान, प्रपात, गरमपानी के झरने इत्यादि प्रकार के स्थान शैक्षिक भ्रमण के लिए होने चाहिये ।।
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के माध्यम से जो समझ में आया उसे अभिमत मे स्थान
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२. जहाँ जाना वहाँ क्या देखना, किससे मिलना, कैसी पूछताछ करना, उसकी विस्तृत चर्चा शिक्षकों ने विद्यार्थियों के साथ करनी चाहिये ।
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दिया है । आचार्य एवं अभिभावकों ने इस प्रश्नावली के
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३. भ्रमण के समय अध्यापक और छात्र दोनों में समवयस्क जैसा व्यवहार हो परंतु अनुशासन, और आदरभाव भी होना जरूरी है।
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संबंध मे कुछ विचार किया है । निसर्ग समृद्ध भूमि का जिन्हें
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४. भ्रमण शैक्षिक होने के कारण सब विद्यार्थियों की सहभागिता अवश्य हो । क्षेत्रभेट करनेके लिए छात्रों की टोली बने ये टोलियाँ ३-४ स्थानों पर अलग अलग जाये । दूसरे दिन सब छात्र मिलकर चर्चा में सम्मिलित हों इस प्रकार का आयोजन करना चाहिये । भ्रमण खर्च सब कर सके ऐसा ही हो कभी कभी खर्चिले भ्रमण मे ऐच्छिकता से सम्मिलित होने का प्रावधान किया जाता है ऐसा न हो
 
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प्रत्यक्ष अनुभव है । अतः निसर्ग के साथ रहने हेतू भ्रमण
      
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