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| ५. पानी पंचमहाभूतों में एक महाभूत है । पंचमहाभूतों के सूक्ष्म स्वरूप को तन्मात्रा कहते हैं। पानी की तन्मात्रा रस है। रस का अनुभव करने वाली ज्ञानेन्द्रिय जीभ है । वह रस का अनुभव करती है इसलिये उसे रसना कहते हैं। रसना स्वाद का अनुभव करती है। हम सब जानते हैं कि जीभ के बिना हम सृष्टि में जो रस अर्थात् स्वाद है उसका अनुभव नहीं कर सकते । | | ५. पानी पंचमहाभूतों में एक महाभूत है । पंचमहाभूतों के सूक्ष्म स्वरूप को तन्मात्रा कहते हैं। पानी की तन्मात्रा रस है। रस का अनुभव करने वाली ज्ञानेन्द्रिय जीभ है । वह रस का अनुभव करती है इसलिये उसे रसना कहते हैं। रसना स्वाद का अनुभव करती है। हम सब जानते हैं कि जीभ के बिना हम सृष्टि में जो रस अर्थात् स्वाद है उसका अनुभव नहीं कर सकते । |
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− | ६. पानी पवित्र है। पानी देवता है। वेदों में जलदेवता | + | ६. पानी पवित्र है। पानी देवता है। वेदों में जलदेवता को ही वरुण देवता कहा है। पदार्थों का संधारण करने का, प्राणियों और वनस्पति का जीवन सम्भव बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य पानी करता है इसीलिये वह पवित्र है। हम देवता की पूजा करते हैं, उन्हें आदर देते हैं और सन्तुष्ट भी करते हैं। पानी का आदर करना और उसकी पवित्रता की रक्षा करना हमारा धर्म है। इसीकी शिक्षा छोटे बड़े सबको मिलनी चाहिये। |
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| + | ७. सभी विषयों की शिक्षा की तरह पानी विषयक शिक्षा भी ज्ञान, भावना और क्रिया के रूप में देनी चाहिये । स्वाभाविक रूप से ही प्रथम क्रियात्मक, दूसरे क्रम में भावात्मक और बाद में ज्ञानात्मक शिक्षा देनी चाहिये । |
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| + | ==== पानी के सम्बन्ध में क्रियात्मक शिक्षा ==== |
| + | १. पानी को हमेशा शुद्ध रखे, अशुद्ध न करें, शुद्ध पानी ही पियें । |
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| + | २. खडे खडे, लेटे लेटे पानी न पियें । हमेशा बैठकर ही पियें। |
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| + | ३. पानी जल्दबाजी में न पियें, धीरे धीरे एक एक बूंट लेकर ही पियें। |
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| + | ४. प्लास्टिक की बोतलों में भरा हुआ, यंत्रों और रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध नहीं होता। उसे शुद्ध मानना और कहना हमारी वैज्ञानिक अंधश्रद्धा ही है। ऐसा अशुद्ध पानी अप्राकृतिक बीमारियों को जन्म देता है। |
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| + | ५. भोजन के प्रारम्भ में और भोजन के तुरन्त बाद पानी न पियें । मुँह साफ करने के लिये एकाध घुट ही पियें । |
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| + | ६. दिनभर में पर्याप्त पानी पीना चाहिये, न बहुत अधिक, न बहुत कम । |
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| + | ७. पीने के साथ साथ पानी भोजन बनाने के, स्थान और वस्तुओं को साफ करने के, पेड पौधों का पोषण करने के काम में भी आता है। उन बातों का भी |
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