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पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
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कया हम नहीं जानते कि हम उपयोग करते हैं ऐसी. साथ मन, वाणी, विचार, दृष्टिकोण को
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सेंकड़ों वस्तुरयें प्रदूषण करती हैं ? इसका प्रथम उपाय करना... प्रदूषित करने वाले तामसी आहार उच्छृूखल व्यवहार,
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चाहिये । संकुचित विचार, झूठे अहंकार आदि पर नियन्त्रण प्राप्त करने
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२. इन उपायों को करने के बाद ही आगे मानसिक... की आवश्यकता है । हमें गणित में अच्छे अंक चाहिये, हमें
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प्रदूषण का विचार करना चाहिये । अपने विद्यार्थी मेडिकल आदि पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्राप्त करें,
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मन को बहकाने वाली बातें चारों ओर हों तब मन कैसे... बड़े बड़े वैज्ञानिक, उद्योजक, अधिकारी आदि हों इसकी
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Bed हो सकता है ? अमर्याद इच्छायें, उनकी पूर्ति के लिये... महत्वाकांक्षा रहती है परन्तु मूल में सज्जन, विचारशील,
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किये जने वाले प्रयास, हल्का और सस्ता मनोरंजन, कभी शान्त..... सदाचारी, सद्बुद्धियुक्त हों इसकी ओर हमारा ध्यान नहीं
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न होने वाली लालसायें, स्वार्थ, लालच आदि हमें असंस्कारी... रहता । व्यक्ति ऐसा कैसे बनेगा इसकी अनेक स्थानों पर
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बनाते हैं । अनेक सन्दर्भों में, अनेक लोगों ने बातें कही ही हैं । हम वो
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हमें विद्यार्थियों को मन को वश में करने के उपाय बताने... नहीं जानते हैं ऐसा भी नहीं है । परन्तु विद्यालय चलाने वाले
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चाहिये । लोभ, लालच, ईर्ष्या, ट्रेष आदि पर नियन्त्रण करना... संचालक, शिक्षक, अभिभावक सब सही रास्ता अपनाने से
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सिखाना चाहिये । ये हमारे शत्रु हैं जो संस्कारों का नाश करते... चूक जाते हैं, डरते हैं, सहम जाते हैं ।
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हैं । इन्हीं से हिंसा फैलती है, शत्रुता पनपती है, अनेक प्रकार अतः वास्तव में साहस करने की आवश्यकता है ।
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के अनाचार होते हैं । हमारे पास मार्गदर्शन की कमी नहीं है परन्तु मार्ग पर चलने
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क्या मोबाइल और मोटरबाइक से निर्माण होने वाला... से ही लक्ष्य नजदीक आता है और मार्ग पर चलना हमें
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प्रदूषण पानी के प्रदूषण से कम घातक है ? नहीं, उल्टे अधिक... होता है, अन्य किसी को नहीं ।
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घातक है । परन्तु हम इन्हें विकास का लक्षण मानते हैं ।
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क्या हम देख नहीं रहे हैं कि मोबाइल के कारण हमारी पर्यावरण प्रतिज्ञा - १
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स्मरणशक्ति बहुत कम हो गई है ? क्या नेट पर सर्च कर,
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धरती हमारी माता है । हम इसकी संतान हैं ।
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जानकारी डाउनलोड कर, कटू एण्ड पेस्ट की चातुरी अपनाकर
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पीएचडी प्राप्त होने की सुविधा के चलते हमारी चिन्तन प्रक्रिया धरतीमाता हमे अन्न देती है |
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अत्यन्त सतही हो गई है ? अतिशय स्वार्थी बनकर हमारे धरतीमाता a oe देती है ।
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परिवार, धर्म, ज्ञान आदि को बाजार में ला दिया है । यह हम धरतीमाता हमें आश्रय देती है ।
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नहीं जानते ? यह सारा सांस्कृतिक पर्यावरण का प्रदूषण है जो धरतीमाता हमारी सभी आवश्यकताएँ पूरी करती है ।
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पंचमहाभूतों के प्रदूषण से अनेक गुणा घातक है । इसलिए
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हम सदैव इसका रक्षण करेंगे ।
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प्रदूषण से बचने हेतु मन की शिक्षा हम धरतीमाता के प्रदूषण को रोकेंगे ।
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इससे बचने की योजना बनानी चाहिये । हम रासायनिक खाद का
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वास्तव में मन की शिक्षा इसी प्रदूषण से बचने के लिये उपयोग कभी नहीं करेंगे ।
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है । हमारे अशिक्षित असंस्कृत मन के कारण ही प्रदूषण बढ़ाने
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वाली वस्तुओं का भरपूर प्रयोग करते करते हम प्रदूषण दूर करने
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के उपायों की चर्चा करते हैं ।
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अतः पानी, हवा, भूमि का प्रदूषण करनेवाले डिटर्जेण्ट,
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प्लास्टिक, पेट्रोल, सिमेण्ट, विभिन्न रसायनों से मुक्ति के साथ धरती माता की जय |
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हम प्लास्टिक का कूड़ा जमीन में नहीं गाड़ेंगे ।
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हम धरती माता को बंजर नहीं बनाएँगे ।
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हम रसायनयुक्त पानी जमीन में नहीं जाने देंगे ।
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - २
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जल ही जीवन है ।
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जल से मनुष्य जीवित रहते हैं ।
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जल से वृक्ष जीवित रहते हैं ।
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जल से प्राणी जीवित रहते हैं ।
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इसलिए
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हम जल की रक्षा करेंगे ।
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हम जल के प्रदूषण को रोकेंगे ।
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हम जल में रसायन नहीं मिलाएंगे ।
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हम जलका दुरुपयोग नहीं करेंगे ।
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हम जल को गंदा नहीं करेंगे ।
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हम पानी के नल खुले नहीं छोड़ेंगे ।
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हम नालियों को कूडे से नहीं भरने देंगे ।
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हम जल को गड़ूठों में नहीं जमा होने देंगे ।
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जल देवता की जय ।
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - ३
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वायु सभी का प्राण है ।
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वायु से मनुष्य जीवित रहते हैं ।
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वायु से प्राणी जीवित रहते हैं ।
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वायु से स्वास्थ्य बना रहता है ।
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वायु जगत का आधार है ।
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इसलिए
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हम वायु का प्रदूषण कभी होने नहीं देंगे ।
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हम वायु को हमेशा शुद्ध रखेंगे ।
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हम वृक्ष उगाएंगे और उनका पालन करेंगे ।
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हम रसायनों का धुँआ छोड़नेवाले
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कारखाने नहीं चलाएंगे ।
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हम धुआँ उगलते वाहन नहीं चलाएँगे ।
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हम नित्य अग्निहोत्र करेंगे ।
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वायुदेवता की जय ।
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१३०
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - ४
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ध्वनि नादब्रह्म है ।
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नादब्रह्म हमें शांति देता है ।
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नादब्रह्म हमें सुख देता है ।
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नादब्रह्म हमें ज्ञान देता है ।
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नादब्रह्म हमें संस्कार देता है ।
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इसलिए
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हम ध्वनि प्रदूषण नहीं होने देंगे ।
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हम रेडियो धीमी आवाज़ से चलाएँगे ।
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हम टी.वी. धीमी आवाज़ से चलाएँगे ।
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हम लाउडस्पीकरों का उपयोग कम से कम करेंगे ।
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हम शोरगुल नहीं करेंगे ।
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हम वाहनों के कर्कश होर्न को
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बदल देंगे ।
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हम नित्य 3£कार का उच्चारण करेंगे ।
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नादब्रह्म को प्रणाम
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - ५
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मनुष्य विचारशील प्राणी है ।
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मनुष्य को अच्छे विचार करने चाहिए |
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अच्छे विचारों से हम अच्छे बनेंगे ।
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अच्छे विचारों से हम दूसरों का भला कर सकेंगे ।
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इसलिए
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हम विचारों का प्रदूषण रोकेंगे ।
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हम अच्छे विचार करेंगे ।
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हम अच्छी पुस्तकें पढ़ेंगे ।
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हम अच्छे कार्यक्रम देखेंगे ।
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हम अच्छे मित्रों के संग में रहेंगे ।
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हम स्वार्थ का विचार छोडेंगे ।
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हम दूसरों का भला करेंगे ।
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सद्विचार सर्वव्र रहे ।
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पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - ६
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अन्न ब्रह्म है ।
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अन्न देवता है ।
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अन्न से हमारा जीवन टिकता है ।
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अन्न से हमें शक्ति मिलती है ।
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अन्न से हमें संस्कार मिलते हैं ।
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इसलिए
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हम अन्न के प्रदूषण को रोकेंगे ।
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हम अन्न को पतित्र मानेंगे ।
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हम सात्त्विक भोजन करेंगे ।
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हम अन्न में ज़हरीले रसायन नहीं मिलाएँगे ।
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हम बाज़ारु पदार्थ नहीं खाएँगे ।
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हम बासी पदार्थ नहीं खाएँगे ।
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हम तामसी भोजन नहीं करेंगे ।
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हम रासायनिक खाद से पैदा हुए अनाज,
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सब्जियाँ और फल नहीं खाएँगे ।
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हम अन्न का अपव्यय नहीं करेंगे ।
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हम अन्न को गटर में नहीं फेंकेंगे ।
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हम पवित्र होकर, भोग लगाकर,
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नीचे बैठकर भोजन करेंगे ।
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अन्न देवता की जय हो ।
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पर्यावरण प्रतिज्ञा - ७
 
पर्यावरण प्रतिज्ञा - ७
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