Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 169: Line 169:  
अमेरिका और यूरोप में ऐसी रचना स्वाभाविक है और भारत में अस्वाभाविक है इसका कारण क्या है ? किसी भी बात में दृष्टिकोन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । अमेरिका और भारत में शिक्षा के प्रति देखने की दृष्टि ही अलग है । वहाँ जीवन रचना में अर्थ का स्थान सबसे ऊपर है । जो पैसा देता है वह बड़ा है, उस का अधिकार ज्यादा है और जो पैसा लेता है वह छोटा है और देने वाले के समक्ष नीचा ही स्थान पाता
 
अमेरिका और यूरोप में ऐसी रचना स्वाभाविक है और भारत में अस्वाभाविक है इसका कारण क्या है ? किसी भी बात में दृष्टिकोन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । अमेरिका और भारत में शिक्षा के प्रति देखने की दृष्टि ही अलग है । वहाँ जीवन रचना में अर्थ का स्थान सबसे ऊपर है । जो पैसा देता है वह बड़ा है, उस का अधिकार ज्यादा है और जो पैसा लेता है वह छोटा है और देने वाले के समक्ष नीचा ही स्थान पाता
   −
है । अध्ययन-अध्यापन के कार्य में छात्र... व्यवस्था का संबंध पैसे से जोड़ते हैं । उनका मानना होता है
+
है । अध्ययन-अध्यापन के कार्य में छात्र अथवा छात्र के अभिभावक पैसा देते हैं और अध्यापक पैसा लेता है । इसलिए खड़े रहकर पढ़ाना उसके लिए बाध्यता है । बैठ कर पढ़ना छात्रों का अधिकार है । अध्यापक का स्थान नीचे होना भी स्वाभाविक है । छात्रों का स्थान ऊपर ही होना स्वाभाविक है । भारत में यह व्यवस्था अमेरिका की अपेक्षा श्रेष्ठ है । भारत में विद्या देने वाला बड़ा है और विद्या लेने वाला छोटा है । इसलिए वह बैठता है, छात्र भी बैठते हैं क्योंकि अध्ययन और अध्यापन बैठकर ही किया जाता है । परंतु  अध्यापक का स्थान छात्रों से ऊपर ही होता है । भारत में बैठने की इस प्रकार की स्थिति स्वाभाविक है खड़े-खड़े पढ़ाने हेतु सुविधा होती है ऐसी अनेक लोगों की मान्यता है उनका.  कहना है कि एक शिक्षक को अपनी कक्षा में घूमना भी पड़ता है । उसे छात्रों की गतिविधि पर ध्यान देना होता है । कहीं किसी छात्र को सहायता भी करनी होती है । किसी छात्र का निरीक्षण भी करना होता है । उसे श्याम फलक पर लिखना भी होता है । इस स्थिति में घूमना स्वाभाविक मानना चाहिए,  बात ठीक है परन्तु हम जिस अध्ययन-अध्यापन की बात कर रहें हैं उसमें मन की एकाग्रता और बुद्धि की स्थिरता आवश्यक है । साथ ही उसमें भावना की दृष्टि से विनयशीलता और आदर भी अपेक्षित है, आचार्य को आदर देने के लिए आचार्य खड़े हों तो असुविधा होती है । आचार्य बैठे और भी उच्च आसन पर बैठे यही स्वाभाविक है । पहेली बात में शिक्षक के पक्ष में स्वयं काम करना और करवाना अधिक अपेक्षित है वह भी बैठकर हो सकता है । परंतु शिक्षक के खड़े रहने में हमें आपत्ति नहीं होने के कारण से हम शिक्षक खड़े हो इसमें कक्षा कक्ष की सुविधा देखते हैं । बैठकर अध्ययन-अध्यापन करने का कार्य केवल भावात्मक नहीं है, वह वैज्ञानिक भी है । बैठने की भी एक विशेष स्थिति होती है जो आवश्यक है । शरीर का नीचे का हिस्सा बंद हो जाता है और उर्जा नीचे की ओर प्रवाहित नहीं होती । अध्ययन करते समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है
   −
अथवा छात्र के अभिभावक पैसा देते हैं और अध्यापक पैसा... कि यदि विद्यालय गरीब है तो नीचे बैठने की व्यवस्था करेगा
+
==== पैसों से सम्बन्ध जोड़ना ====
 +
यह लोग नीचे बैठने की और कुर्सी पर बैठने की  
   −
लेता है । इसलिए खड़े रहकर पढ़ाना उसके लिए बाध्यता है ।... और यदि पैसा है तो मेज - कुर्सी - बेंच आदि सब की
+
सामने जो छात्र बैठे हैं उनकी बैठक व्यवस्था की रचना
 
  −
बैठ कर पढ़ना छात्रों का अधिकार है । अध्यापक का स्थान... व्यवस्था करेगा । उनका ऐसा भी मानना है कि छोटी
  −
 
  −
नीचे होना भी स्वाभाविक है । छात्रों का स्थान ऊपर ही होना... कक्षाओं के लिए तो नीचे बैठने की व्यवस्था चल सकती
  −
 
  −
स्वाभाविक है । भारत में यह व्यवस्था अमेरिका की अपेक्षा. है। वह कोई बहुत गंभीर मामला नहीं है। परंतु बड़ी
  −
 
  −
श्रेष्ठ है । भारत में विद्या देने वाला बड़ा है और विद्या लेने वाला... कक्षाओं के लिए गंभीर अध्ययन होता है इसलिए नीचे बैठने
  −
 
  −
छोटा है । इसलिए वह बैठता है, छात्र भी बैठते हैं क्योंकि... की व्यवस्था असुविधाजनक है । ऐसी व्यवस्था में उन्हें
  −
 
  −
अध्ययन और अध्यापन बैठकर ही किया जाता है । परंतु गरिमा नहीं लगती । परंतु यह धारणा पूर्ण रूप से अवैज्ञानिक
  −
 
  −
अध्यापक का स्थान छात्रों से ऊपर ही होता है । भारत में बैठने. है । शरीर विज्ञान की दृष्टि से और मनोविज्ञान की दृष्टि से
  −
 
  −
की इस प्रकार की स्थिति स्वाभाविक है । खड़े-खड़े पढ़ाने... नीचे बैठने की व्यवस्था उत्तम है । हमने अनेक प्राचीन चित्रों
  −
 
  −
हेतु सुविधा होती है ऐसी अनेक लोगों की मान्यता है उनका. में देखा है कि बड़े बड़े विद्यापीठ में अध्ययन अध्यापन नीचे
  −
 
  −
कहना है कि एक शिक्षक को अपनी कक्षा में घूमना भी... बैठकर ही होता था | गरीब थे इसलिए ऐसा करते थे, फर्नीचर
  −
 
  −
पड़ता है । उसे छात्रों की गतिविधि पर ध्यान देना होता है ।... बनाने की कुशलता नहीं इसलिए ऐसा करते थे ऐसा नहीं है ।
  −
 
  −
कहीं किसी छात्र को सहायता भी करनी होती है । किसी छात्र... पर्याप्त रूप से प्रगत थे वे उत्तम प्रकार की कारीगरी जानने
  −
 
  −
का निरीक्षण भी करना होता है । उसे श्याम फलक पर लिखना. वाले थे, वे पर्याप्त मात्रा में धनवान भी थे । फिर भी वहाँ
  −
 
  −
भी होता है । इस स्थिति में घूमना स्वाभाविक मानना चाहिए, टेबल, कुर्सी, डेस्क, बेंच आदि नहीं थे क्योंकि वे हम से
  −
 
  −
बात ठीक है परन्तु हम जिस अध्ययन-अध्यापन की बात कर... ज्यादा वैज्ञानिक थे । आवश्यक सुविधाएँ बना लेते थे और
  −
 
  −
रहें हैं उसमें मन की एकाग्रता और बुद्धि की स्थिरता आवश्यक. अनावश्यक वस्तुओं में प्रतिष्ठा नहीं देखते थे । उनके मन
  −
 
  −
है । साथ ही उसमें भावना की दृष्टि से विनयशीलता और आदर... और मस्तिष्क पूर्वग्रहों से मुक्त थे । आज हम अनेक प्रकार के
  −
 
  −
भी अपेक्षित है, आचार्य को आदर देने के लिए आचार्य खड़े... पूव॒ग्रिहों से भ्रष्ट होकर अनेक प्रकार की सुविधाएँ बनाते हैं
  −
 
  −
हों तो असुविधा होती है । आचार्य बैठे और भी उच्च आसन... और जो करना चाहिए उससे उल्टा करते हैं ।
  −
 
  −
पर बैठे यही स्वाभाविक है । पहेली बात में शिक्षक के पक्ष
  −
 
  −
में स्वयं काम करना और करवाना अधिक अपेक्षित है वह भी
  −
 
  −
बैठकर हो सकता है । परंतु शिक्षक के खड़े रहने में हमें आपत्ति दूसरा विचार करना चाहिए अध्यापक और छात्र के
  −
 
  −
नहीं होने के कारण से हम शिक्षक खड़े हो इसमें कक्षा कक्ष... बैठने के अंतर का । हमने पूर्व में देखा कि अध्यापक का
  −
 
  −
की सुविधा देखते हैं । बैठकर अध्ययन-अध्यापन करने का... स्थान छात्रों से ऊपर होना चाहिए, इसका एक उद्देश्य तो
  −
 
  −
कार्य केवल भावात्मक नहीं है, वह वैज्ञानिक भी है । बैठने... अध्यापक के प्रति आदर दर्शाने का है परंतु दूसरा उद्देश्य यह
  −
 
  −
की भी एक विशेष स्थिति होती है जो आवश्यक है । शरीर. है कि ऊपर बैठने से अध्यापक कक्षा में बैठे हुए सभी छात्रों
  −
 
  −
का नीचे का हिस्सा बंद हो जाता है और उर्जा नीचे की ओर... को देख सकता है उन्हें सहायता कर सकता है उनके
  −
 
  −
प्रवाहित नहीं होती । अध्ययन करते समय अधिक ऊर्जा की... मनोभावों का आकलन कर सकता है ।
  −
 
  −
आवश्यकता होती है । सामने जो छात्र बैठे हैं उनकी बैठक व्यवस्था की रचना
      
fat अध्ययन के स्वरूप के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकती 2 |
 
fat अध्ययन के स्वरूप के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकती 2 |
1,815

edits

Navigation menu