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कहीं भी किसी से कुछ सहायता प्राप्त हुई तो कृतज्ञता का अनुभव करना चाहिये । आजकल कृतज्ञता बहुत कृत्रिम उपचार का विषय बन गई है । बात बात में थैन्क्यू, प्लीज
 
कहीं भी किसी से कुछ सहायता प्राप्त हुई तो कृतज्ञता का अनुभव करना चाहिये । आजकल कृतज्ञता बहुत कृत्रिम उपचार का विषय बन गई है । बात बात में थैन्क्यू, प्लीज
 
और सॉरी कहने की प्रथा बन गई है । किसी बच्चे को खिडकी बन्द करने को कहा और उसने वह काम किया तो थैन्क्यू, होटेल में बैरेने पानी लाकर दिया तो थैन्क्यू, पिताजी
 
और सॉरी कहने की प्रथा बन गई है । किसी बच्चे को खिडकी बन्द करने को कहा और उसने वह काम किया तो थैन्क्यू, होटेल में बैरेने पानी लाकर दिया तो थैन्क्यू, पिताजी
ने खिलौना लाकर दिया तो थैन्क्यू । बात बात में थैन्क्यू कहना सिखाते हैं । इसी प्रकार से विद्यार्थी को ग्रन्थालय से कुछ लाने को कहना है तो प्लीज, प्रश्न का उत्तर देने को कहना है तो प्लीज, खडे होकर पास आने के लिये कहना है तो प्लीज । मुखर होकर सर्वत्र इन शब्दों का उच्चारण करने से वह अभिव्यक्ति सतही रह जाती है, केवल उपचार
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ने खिलौना लाकर दिया तो थैन्क्यू । बात बात में थैन्क्यू कहना सिखाते हैं । इसी प्रकार से विद्यार्थी को ग्रन्थालय से कुछ लाने को कहना है तो प्लीज, प्रश्न का उत्तर देने को कहना है तो प्लीज, खडे होकर पास आने के लिये कहना है तो प्लीज । मुखर होकर सर्वत्र इन शब्दों का उच्चारण करने से वह अभिव्यक्ति सतही रह जाती है, केवल उपचार मात्र बन जाती है, भावना नहीं बनती ।
 
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मात्र बन जाती है, भावना नहीं बनती ।
   
वास्तविक कृतज्ञता की भावना आदर, सम्मान, निः्स्वार्थता,
 
वास्तविक कृतज्ञता की भावना आदर, सम्मान, निः्स्वार्थता,
 
बिना स्वार्थ के सहायता, बिना स्वार्थ के दूसरों की सुरक्षा
 
बिना स्वार्थ के सहायता, बिना स्वार्थ के दूसरों की सुरक्षा
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