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1. ये चौबीस घण्टे के विद्यालय हैं। अर्थात् चौबीस घण्टे का जीवन ही शिक्षा का विषय है, वही पाठ्यक्रम है । इस बात को ध्यान में रखकर नियोजन किया जा सकता है। प्रातःकाल जगने से रात्रि को सोने तक की सारी बातें क्रियात्मक, भावात्मक और ज्ञानात्मक पद्धति से सिखाई जा सकती हैं।  
 
1. ये चौबीस घण्टे के विद्यालय हैं। अर्थात् चौबीस घण्टे का जीवन ही शिक्षा का विषय है, वही पाठ्यक्रम है । इस बात को ध्यान में रखकर नियोजन किया जा सकता है। प्रातःकाल जगने से रात्रि को सोने तक की सारी बातें क्रियात्मक, भावात्मक और ज्ञानात्मक पद्धति से सिखाई जा सकती हैं।  
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2. इन विद्यालयों की दिनचर्या प्रकृति के नियमानुसार
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2. इन विद्यालयों की दिनचर्या प्रकृति के नियमानुसार बनाई जा सकती है । उदाहरण के लिये सोने, जागने, भोजन करने, खेलने, पढने और विश्रान्ति का समय वैज्ञानिक पद्धति से निश्चित कर सकते हैं । दोपहर में भोजन का समय मध्याह्न से पूर्व, सायंकाल सूर्यास्त से पूर्व, जगने का समय ब्राह्ममुहूर्त, अध्ययन का समय प्रातःकाल और सायंकाल आदि कर सकते हैं।
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3. चौबीस घण्टों में व्यक्तिगत और सामुदायिक जो भी काम होते हैं वे सब सहभागिता से किये जा सकते हैं । यदि कोई विद्यार्थी दस वर्ष आवासीय विद्यालय में रहता है तो स्वच्छता से लेकर भोजन बनाने तक के सारे काम करने में निपुणता प्राप्त हो सकती है, व्यवहार दक्षता प्राप्त हो सकती है, शास्त्रीय अध्ययन भी अच्छा हो सकता है।
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4. आवासीय विद्यालय में शिक्षकों को विद्यालय का
    
है। सायंकाल खेलने के बाद यदि छः बजे वापस... अधिक प्रचलन हो यह हितकारी है ।
 
है। सायंकाल खेलने के बाद यदि छः बजे वापस... अधिक प्रचलन हो यह हितकारी है ।
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