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1. इन विद्यालयों में दो समय का अल्पाहार, एक समय का भोजन और भोजन के बाद की विश्रान्ति की व्यवस्था होती है। इन बातों को यदि शिक्षा के अंग के रूप में स्वीकार किया जाय तो आहारशास्त्र की ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक शिक्षा बहुत अच्छे से हो सकती है । ज्ञानात्मक शिक्षा से तात्पर्य है, विद्यार्थियों को आहारविषयक शास्त्रीय अर्थात् वैज्ञानिक ज्ञान देना, भावनात्मक शिक्षा से तात्पर्य है विद्यार्थियों को आहारविषयक सांस्कृतिक ज्ञान देना और क्रियात्मक शिक्षा से तात्पर्य है विद्यार्थियों को भोजन बनाने और करने का कौशल सिखाना । आज समाज में आहार के विषय में घोर अज्ञान और विपरीत ज्ञान फैल गया है। विद्यालय में यदि इस प्रकार की शिक्षा दी जाती है तो उनके माध्यम से घरों में भी पहुँच सकती है। समाज के स्वास्थ्य और संस्कार में वृद्धि हो सकती है।  
 
1. इन विद्यालयों में दो समय का अल्पाहार, एक समय का भोजन और भोजन के बाद की विश्रान्ति की व्यवस्था होती है। इन बातों को यदि शिक्षा के अंग के रूप में स्वीकार किया जाय तो आहारशास्त्र की ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक शिक्षा बहुत अच्छे से हो सकती है । ज्ञानात्मक शिक्षा से तात्पर्य है, विद्यार्थियों को आहारविषयक शास्त्रीय अर्थात् वैज्ञानिक ज्ञान देना, भावनात्मक शिक्षा से तात्पर्य है विद्यार्थियों को आहारविषयक सांस्कृतिक ज्ञान देना और क्रियात्मक शिक्षा से तात्पर्य है विद्यार्थियों को भोजन बनाने और करने का कौशल सिखाना । आज समाज में आहार के विषय में घोर अज्ञान और विपरीत ज्ञान फैल गया है। विद्यालय में यदि इस प्रकार की शिक्षा दी जाती है तो उनके माध्यम से घरों में भी पहुँच सकती है। समाज के स्वास्थ्य और संस्कार में वृद्धि हो सकती है।  
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2. परन्तु जो लोग कमाई करने के लिये ही विद्यालय
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2. परन्तु जो लोग कमाई करने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं उन्हें भोजनादि की व्यवस्था में अधिक कमाई दिखाई देती है और वे खुश होते हैं। ऐसे विद्यालयों में अभिभावक और संचालकों में होटेल और होटेल में खाने के लिये जानेवालों का परस्पर जो व्यवहार होता है वैसा ही व्यवहार होता है। ऐसे विद्यालयों में आहारविषयक शिक्षा नहीं होती।
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3. कई बार अधिक समय तक विद्यालय चलाने के पीछे शैक्षिक विचार होता है। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा दी जा सके, व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया जा सके यह उद्देश्य होता है। अधिक समय विद्यालय में रखना है तो भोजन आदि की व्यवस्था करनी ही होगी ऐसा विचार कर विद्यालय के संचालक ऐसी व्यवस्था करते हैं । यह केवल सुविधा की दृष्टि से होता है । इसमें शैक्षिक या आर्थिक दृष्टि नहीं होती ।
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4. क्वचित पूरे दिन के विद्यालय में विद्यार्थी अपना भोजन घर से ही लेकर आते हैं, विद्यालय की ओर से व्यवस्था नहीं की जाती । अभिभावकों का पैसा बचता है और विद्यालय झंझट से बचते हैं।
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5. पूरे दिन का विद्यालय अभिभावकों के लिये सुविधाजनक रहता है। विशेष रूप से महानगरों में जहाँ पतिपत्नी दोनों काम के लिये बाहर जाते हैं और बच्चों को देखनेवाला घर में और कोई नहीं होता तब इस व्यवस्था में बहुत सुविधा रहती है। यह केवल छोटे बच्चों की ही बात नहीं है, किशोर या तरुण आयु के बच्चों के लिये भी घर में अकेले रहना इष्ट नहीं लगता । इस दृष्टि से पूरे दिन के विद्यालय आशीर्वादरूप होते हैं। महानगरों या नगरों में जहाँ विद्यालय घर से पर्याप्त दूरी पर होते हैं वहाँ भी यह व्यवस्था बहुत सुविधाजनक होती है।
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6. पूरे दिन के विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिये अतिरिक्त ट्यूशन या कोचिंग क्लास की आवश्यकता नहीं होती। होनी भी नहीं चाहिये । यदि पूरे दिन का विद्यालय भी शिक्षक, विद्यार्थी या अभिभावकों को अपर्याप्त लगता है तो मानना चाहिये कि कहीं कुछ गडबड है। अतः समय का पूर्ण उपयोग करना चाहिये।
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7. पूरे दिन के विद्यालय में या तो शिक्षकों की संख्या अधिक होती है अथवा उनका वेतन अधिक होता है। अधिकांश शिक्षक अधिक काम और अधिक वेतन चाहते हैं परन्तु वास्तव में अधिक शिक्षक होना शैक्षिक दृष्टि से अधिक उचित है। ऐसा होने से शिक्षक - विद्यार्थी का अनुपात कम हो जाता है, साथ ही शिक्षकों को शारीरिक और मानसिक थकान कम होती है। शिक्षक - विद्यार्थी का अनुपात कम होने से अध्ययन-अध्यापन की गुणवत्ता बढती है । यदि शिक्षक अधिक समय तक काम करते हैं तो उन्हें स्वाध्याय करने के लिये समय नहीं मिलता और शक्ति भी नहीं बचती।।
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8. पूरे दिन के विद्यालयों में सप्ताह में दो दिन का अवकाश होता है तो अधिक सुविधा रहती है। विद्यार्थियों और शिक्षकों में सामाजिकता का विकास हो इस दृष्टि से इस समय का उपयोग किया जाना चाहिये । विद्यार्थियों और शिक्षकों में सामाजिकता का विकास हो इस दृष्टि से शिक्षा भी दी जानी चाहिये । आज ऐसा दिखाई देता है कि पढाई जिनके पीछे लग गई है ऐसे विद्यार्थी सामाजिक व्यवहार में शून्य होते
    
परन्तु हम सब जानते हैं कि हमें इनमें से एक भी
 
परन्तु हम सब जानते हैं कि हमें इनमें से एक भी
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