विद्यार्थी का शिक्षक के प्रति विनयशील व्यवहार होना चाहिये इसका अर्थ क्या है ?
विद्यार्थी का शिक्षक के प्रति विनयशील व्यवहार होना चाहिये इसका अर्थ क्या है ?
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१. शिक्षक कक्षा में आयें उससे पूर्व सभी विद्यार्थियों को उपस्थित हो जाना चाहिये । बाद में आना ठीक नहीं । शिक्षक आयें तब विद्यार्थियों ने खड़े होकर सम्मान करना चाहिये । दोनों हाथ जोडकर प्रणाम कर प्रणाम आचार्यजी' कहना चाहिये । कहीं कहीं 'नमस्ते' या 'नमो गुरुभ्यः' कहने का भी प्रचलन है। यह अपना अपना शिष्टाचार है, विद्यालय स्वयं तय कर सकता है। जब विद्यार्थी अभिवादन करते हैं तब शिक्षक को भी प्रत्युत्तर में आशीर्वाद देने चाहिये । आजकल विद्यार्थी 'गुड मोर्निंग' कहते हैं तो शिक्षक भी वही कहते हैं, विद्यार्थी ‘नमस्ते'
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1. शिक्षक कक्षा में आयें उससे पूर्व सभी विद्यार्थियों को उपस्थित हो जाना चाहिये । बाद में आना ठीक नहीं । शिक्षक आयें तब विद्यार्थियों ने खड़े होकर सम्मान करना चाहिये । दोनों हाथ जोडकर प्रणाम कर प्रणाम आचार्यजी' कहना चाहिये । कहीं कहीं 'नमस्ते' या 'नमो गुरुभ्यः' कहने का भी प्रचलन है। यह अपना अपना शिष्टाचार है, विद्यालय स्वयं तय कर सकता है। जब विद्यार्थी अभिवादन करते हैं तब शिक्षक को भी प्रत्युत्तर में आशीर्वाद देने चाहिये । आजकल विद्यार्थी 'गुड मोर्निंग' कहते हैं तो शिक्षक भी वही कहते हैं, विद्यार्थी ‘नमस्ते' कहते हैं तो शिक्षक भी ‘नमस्ते' कहते हैं । इस समानता के स्थान पर शिक्षक बडप्पन दिखा सकते हैं। उन्हें आशीर्वाद सूचक 'शुभं भवतु' कहना चाहिये । और भी समानार्थी शब्द हो सकते हैं । कक्षा पूर्ण होने पर शिक्षक जब जाते हैं तब भी विद्यार्थियों ने खडे होकर प्रणाम आचार्यजी' कहना चाहिये । कहीं कहीं बैठे बैठे भूमि पर माथा टेककर 'नमो गुरुभ्यः' कहने का भी प्रचलन है । इस समय शिक्षक ने भी आशीर्वाद देने चाहिये।
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2. शिक्षक के जाने तक विद्यार्थियों को रुकना चाहिये । शिक्षक से पहले कक्षा नहीं छोडनी चाहिये । कक्षा चल रही है तब तक बीच में से छोडकर नहीं जाना चाहिये।
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3. कक्षा चल रही हो तब विद्यार्थी आपस में बातें न करें । अपना और कोई काम न करें, खायें पीयें नहीं यह
०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।
०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।