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परन्तु यह मामला ठीक तो कर ही लेना चाहिये । भारतीय शिक्षा संकल्पना तो यह स्पष्ट कहती है कि शिक्षा शिक्षकाधीन होती है। यह केवल सिद्धान्त नहीं है, केवल प्राचीन व्यवस्था नहीं है, उन्नीसवीं शताब्दी तक इसी व्यवस्था में हमारे विद्यालय चलते आये हैं ।  
 
परन्तु यह मामला ठीक तो कर ही लेना चाहिये । भारतीय शिक्षा संकल्पना तो यह स्पष्ट कहती है कि शिक्षा शिक्षकाधीन होती है। यह केवल सिद्धान्त नहीं है, केवल प्राचीन व्यवस्था नहीं है, उन्नीसवीं शताब्दी तक इसी व्यवस्था में हमारे विद्यालय चलते आये हैं ।  
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2. अतः यह अभी अभी तक चलती रही हमारी दीर्घ परम्परा भी है। ब्रिटिशों ने इसे उल्टापुल्टा कर दिया । उसे अभी दो सौ वर्ष ही हुए हैं । हम बीच के दो सौ वर्ष लाँघकर अपनी परम्परा से चलें यह आवश्यक है । थोडा विचारशील बनने से यह हमारे लिये स्वाभाविक बन सकता है । अतः समस्त विद्यालय परिवार मुख्याध्यापक का आदर करे और आदरपूर्वक अभिवादन करे यह आवश्यक है। आदर दर्शाने का सम्बोधन क्या हो और अभिवादन के शब्द क्या हों यह विद्यालय अपनी पद्धति से निश्चित कर सकते हैं। अभिवादन की पद्धति क्या हो यह भी विद्यालय स्वतः निश्चित
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2. अतः यह अभी अभी तक चलती रही हमारी दीर्घ परम्परा भी है। ब्रिटिशों ने इसे उल्टापुल्टा कर दिया । उसे अभी दो सौ वर्ष ही हुए हैं । हम बीच के दो सौ वर्ष लाँघकर अपनी परम्परा से चलें यह आवश्यक है । थोडा विचारशील बनने से यह हमारे लिये स्वाभाविक बन सकता है । अतः समस्त विद्यालय परिवार मुख्याध्यापक का आदर करे और आदरपूर्वक अभिवादन करे यह आवश्यक है। आदर दर्शाने का सम्बोधन क्या हो और अभिवादन के शब्द क्या हों यह विद्यालय अपनी पद्धति से निश्चित कर सकते हैं। अभिवादन की पद्धति क्या हो यह भी विद्यालय स्वतः निश्चित कर सकता है । परन्तु अंग्रेजी के सर या मेडम, गुड मोर्निंग, हलो, हस्तधूनन आदि न हों यही उचित है।
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3. शिक्षकों का आपस में सम्बोधन और अभिवादन के शब्द तथा पद्धति क्या हो यह भी विचारणीय है । यहाँ भी सर. मैडम. हाय. हलो. हस्तधनन अच्छा नहीं है।
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4. विद्यार्थी शिक्षकों को क्या सम्बोधन करें ? कैसे अभिवादन करें ? क्या पद्धति अपनायें ? विद्यार्थियों को केवल अभिवादन नहीं करना है, सम्मान भी करना है। कैसे सम्मान करें ? विद्यार्थी यदि प्रणाम या चरणस्पर्श करें तो शिक्षक उन्हें क्या आशीर्वाद दें ? विद्यार्थी को कैसे सम्बोधित करें ?
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5. क्या महाविद्यालय के विद्यार्थियों की पद्धति प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों से भिन्न होगी ? या वैसी ही होगी ? क्या उन्हें दिया जानेवाला आशीर्वाद भी भिन्न होगा ? या एक ही होगा ?
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6. कक्षा में शिक्षक आयें तब विद्यार्थी उनका कैसे सम्मान करें ? शिक्षक कक्षा में हैं तब तक कैसे विनय दर्शायें ? कक्षा के बाहर जायें तब कैसे सम्मान करें ? विद्यालय के बाहर कहीं शिक्षक सामने आ जायें तो विद्यार्थी क्या करें ?
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7. अपनी सन्तान के शिक्षक के साथ अभिभावक कैसे व्यवहार करें ? अभिभावक यदि मन्त्री है अधिकारी है या उद्योजक है तो उसका शिक्षक के साथ और शिक्षक का अभिभावक के साथ कैसा व्यवहार होगा ?
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8. विद्यार्थी आपस में कैसे अभिवादन करें ?
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9 . विद्यालय में क्या करना चाहिये क्या नहीं करना चाहिये इन सारी बातों का बडा शास्त्र बन सकता है, पद्धतियों का विस्तृत विवरण किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह अत्यन्त आवश्यक विषय है ।
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शिक्षक के लिये सम्बोधन गुरुजी या आचार्य होना स्वाभाविक है । परापूर्व से यही चलता आया है। शिक्षक विद्यार्थी को छात्र कहे यह भी स्वाभाविक है। छात्र का अर्थ है शिक्षक के छत्र के नीचे रहकर जो अध्ययन करता है वह छात्र । जो स्वयं अध्ययन करता है वह विद्यार्थी अवश्य होता है, छात्र नहीं होता । आचार्य उस शिक्षक को कहा जाता है जो स्वयं आचारवान है और छात्रों को आचार सिखाता है । इस सम्बोधन में ही शिक्षा आचरण में उतरने से ही सार्थक होती है यह भाव है। आचरण से ही तो व्यवहार चलता है।
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===== विनयशील व्यवहार का अर्थ =====
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विद्यार्थी का शिक्षक के प्रति विनयशील व्यवहार होना चाहिये इसका अर्थ क्या है ?
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१. शिक्षक कक्षा में आयें उससे पूर्व सभी विद्यार्थियों को उपस्थित हो जाना चाहिये । बाद में आना ठीक नहीं । शिक्षक आयें तब विद्यार्थियों ने खड़े होकर सम्मान करना चाहिये । दोनों हाथ जोडकर प्रणाम कर प्रणाम आचार्यजी' कहना चाहिये । कहीं कहीं 'नमस्ते' या 'नमो गुरुभ्यः' कहने का भी प्रचलन है। यह अपना अपना शिष्टाचार है, विद्यालय स्वयं तय कर सकता है। जब विद्यार्थी अभिवादन करते हैं तब शिक्षक को भी प्रत्युत्तर में आशीर्वाद देने चाहिये । आजकल विद्यार्थी 'गुड मोर्निंग' कहते हैं तो शिक्षक भी वही कहते हैं, विद्यार्थी ‘नमस्ते'
    
०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।
 
०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।
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