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विवेक भूले हुए हैं । इन्हें विविक सिखाने वाले लोगों को आगे आने की आवश्यकता है । नई पीढ़ी के छात्रों को यह काम करने की आवश्यकता है ।
विवेक भूले हुए हैं । इन्हें विविक सिखाने वाले लोगों को आगे आने की आवश्यकता है । नई पीढ़ी के छात्रों को यह काम करने की आवश्यकता है ।
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== विद्यालय एवं परिवार ==
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पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
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=== प्रश्नावली ===
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प्रश्नावली
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# विद्यालय एवं छात्र के परिवार का क्या सम्बन्ध है?
−
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# आचार्य एवं छात्र के परिवार का क्या सम्बन्ध है?
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9. विद्यालय एवं छात्र के परिवार का क्या सम्बन्ध
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# मातापिता को विद्यालय में क्यों एवं कब जाना चाहिये ?
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# विद्यालय परिवार को किन किन बातों में मार्गदर्शन कर सकता है ?
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है?
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# विद्यालय एवं छात्र के परिवार में आत्मीय सम्बन्ध कैसे निर्माण हो सकता है ?
−
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# विद्यालय संचालन में छात्र के परिवार का योगदान कितने प्रकार से हो सकता है ?
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२... आचार्य एवं छात्र के परिवार का क्या सम्बन्ध है
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# विद्यालय की शिक्षा योजना के सन्दर्भ में अभिभावकों की भूमिका क्या होनी चाहिये ?
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?
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# परिवार को किन किन विषयों में मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है ?
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# परिवार का मार्गदर्शन करने के लिये विद्यालय किस प्रकार से व्यवस्था कर सकता है ?
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3. मातापिता को विद्यालय में क्यों एवं कब जाना
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चाहिये ?
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४. विद्यालय परिवार को किन किन बातों में
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मार्गदर्शन कर सकता है ?
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५... विद्यालय एवं छात्र के परिवार में आत्मीय
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सम्बन्ध कैसे निर्माण हो सकता है ?
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६. विद्यालय संचालन में छात्र के परिवार का
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योगदान कितने प्रकार से हो सकता है ?
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७. विद्यालय की शिक्षा योजना के सन्दर्भ में
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अभिभावकों की भूमिका क्या होनी चाहिये ?
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८... परिवार को किन किन विषयों में मार्गदर्शन की
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आवश्यकता होती है ?
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9. परिवार का मार्गदर्शन करने के लिये विद्यालय
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'किस प्रकार से व्यवस्था कर सकता है ?
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प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर
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=== प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर ===
विद्यालय और परिवारका केन्द्रवर्ती बिंदु विद्यार्थी
विद्यालय और परिवारका केन्द्रवर्ती बिंदु विद्यार्थी
होता है । उसका विकास यही दोनों का लक्ष्य बन जाता
होता है । उसका विकास यही दोनों का लक्ष्य बन जाता
है । इस लक्ष्यपूर्ति के लिये विद्यालय एवं परिवार इन दोनों
है । इस लक्ष्यपूर्ति के लिये विद्यालय एवं परिवार इन दोनों
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के सम्बन्धों का लोकमत जानने के लिये इस प्रश्नावली का
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के सम्बन्धों का लोकमत जानने के लिये इस प्रश्नावली का प्रयोजन रहा । कुरुक्षेत्र से श्री रमेन्द्रसिंहजी ने ३९ शिक्षक ९८ अभिभावक, ३ प्रधानाचार्य, २ संस्थाचालकों का
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प्रयोजन रहा । कुरुक्षेत्र से श्री रमेन्द्रसिंहजी ने ३९ शिक्षक
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९८ अभिभावक, ३ प्रधानाचार्य, २ संस्थाचालकों का
सहभाग लेकर इसकी पूर्तता की ।
सहभाग लेकर इसकी पूर्तता की ।
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प्र. विद्यालय और छात्र के परिवार इन दोनों का
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प्र.१ विद्यालय और छात्र के परिवार इन दोनों का
संबंध स्पष्ट करते हुए दोनों मे गहरा आत्मीय संबंध, परस्पर
संबंध स्पष्ट करते हुए दोनों मे गहरा आत्मीय संबंध, परस्पर
पूरक संबंध, गाडी के दो पहियों जैसा संबंध, शैक्षिक एवं
पूरक संबंध, गाडी के दो पहियों जैसा संबंध, शैक्षिक एवं
सामाजिक सबंध जैसे विविध उत्तर प्राप्त हुए । उन दोनों मे
सामाजिक सबंध जैसे विविध उत्तर प्राप्त हुए । उन दोनों मे
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आत्मीय सबंध कैसे निर्माण होंगे इस पाचवे प्रश्न में आपस
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आत्मीय सबंध कैसे निर्माण होंगे इस पाचवे प्रश्न में आपस में सहकार्य की भूमिका, आपसी सद्भाव, परिवार के सुखदुःख मे सहभागी होना इस प्रकार से उत्तर मिले ।
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विद्यालय एवं परिवार
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प्र.२ आचार्य एवं परिवार के संबंधों बाबत भावात्मक संबंध, परिवार के मार्गदर्शक के रूप में, शुभचिंतक, परिवार
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९९
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में सहकार्य की भूमिका, आपसी सद्भाव, परिवार के
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सुखदुःख मे सहभागी होना इस प्रकार से उत्तर मिले ।
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प्र.२ आचार्य एवं परिवार के संबंधों बाबत भावात्मक
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संबंध, परिवार के मार्गदर्शक के रूप में, शुभचिंतक, परिवार
का विद्यालय अभिन्न अंग इस प्रकार के मत प्रदर्शित हुए ।
का विद्यालय अभिन्न अंग इस प्रकार के मत प्रदर्शित हुए ।
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प्र.३ मातपिताने अपने बालक का विकास जानना,
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प्र.३ मातपिताने अपने बालक का विकास जानना, तथा विद्यार्थियों की समस्याओं का हल निकाले हेतु विद्यालय को भेट देना चाहिये यह लगभग सबका उत्तर था।
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तथा विद्यार्थियों की समस्याओं का हल निकाले हेतु
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विद्यालय को भेट देना चाहिये यह लगभग सबका उत्तर
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था।
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प्र.६ विद्यालय संचालन मे आर्थिक सहयोग देना,
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प्र.६ विद्यालय संचालन मे आर्थिक सहयोग देना, कार्यक्रमों मे सहयोग देना, स्वयं का कलाकौशल विद्यालय
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कार्यक्रमों मे सहयोग देना, स्वयं का कलाकौशल विद्यालय
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के काम में लगाना, समाज में विद्यालय के प्रति अच्छा दृष्टिकोण विकसित करना इस प्रकार की मदद हो सकती है। प्र. ४, ८ और ९ परस्परावलंबी प्रश्न थे उनका तथ्य इस प्रकार था । अपने बालक की शैक्षिक प्रगति अनुशासन, चारित्र्य, व्यवहार में परिवर्तन इस बातों में विद्यालय परिवार का मार्गदर्शक बने । उसके लिए अभिभावक संमेलन, बैठकें, ई-मेल, दूरध्वनि द्वारा संपर्क करना तथा चिन्तन बैठक का आयोजन करना ।
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के काम में लगाना, समाज में विद्यालय के प्रति अच्छा
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दृष्टिकोण विकसित करना इस प्रकार की मदद हो सकती
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है। प्र. ४, ८ और ९ परस्परावलंबी प्रश्न थे उनका तथ्य
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इस प्रकार था । अपने बालक की शैक्षिक प्रगति
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अनुशासन, चारित्र्य, व्यवहार में परिवर्तन इस बातों में
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विद्यालय परिवार का मार्गदर्शक बने । उसके लिए
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अभिभावक संमेलन, बैठकें, ई-मेल, दूरध्वनि द्वारा संपर्क
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करना तथा चिन्तन बैठक का आयोजन करना ।
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अभिमत : आज विद्यालय एवं परिवार में जैसे संबंध
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=== अभिमत : ===
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होते हैं उसी के आधार पर जवाब मिले । छात्र का विकास
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आज विद्यालय एवं परिवार में जैसे संबंध होते हैं उसी के आधार पर जवाब मिले । छात्र का विकास विद्यालय एवं घर दोनों मे होता है । दोनों की भूमिका जब कि भिन्न हैं । घर संस्कारकेन्द्र और विद्यालय बालक का ज्ञानकेन्द्र होता है । ऐसी भूमिका जब दोनों के मन में होती है तब छात्र का समग्र विकास सहजता से होता है यह
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विद्यालय एवं घर दोनों मे होता है । दोनों की भूमिका जब
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कि भिन्न हैं । घर संस्कारकेन्द्र और विद्यालय बालक का
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ज्ञानकेन्द्र होता है । ऐसी भूमिका जब दोनों के मन में होती
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है तब छात्र का समग्र विकास सहजता से होता है यह
भारतीय सोच है । इसलिए विद्यालय और परिवार के संबंध
भारतीय सोच है । इसलिए विद्यालय और परिवार के संबंध
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घनिष्ट एवं आत्मीय होने चाहिये । बिना कहे परिवार ने
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घनिष्ट एवं आत्मीय होने चाहिये । बिना कहे परिवार ने विद्यालय की आवश्यकताएं जानना एवं उनकी पूर्तता करना । और विद्यालय ने परिवार को योग्य मार्गदर्शन करना । शिक्षक परिवार के एवं बालक के गुरु हैं और परिवार, समाज अपना अन्नदाता है यह भावना होनी
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विद्यालय की आवश्यकताएं जानना एवं उनकी पूर्तता
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करना । और विद्यालय ने परिवार को योग्य मार्गदर्शन
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करना । शिक्षक परिवार के एवं बालक के गुरु हैं और
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परिवार, समाज अपना अन्नदाता है यह भावना होनी
चाहिये । फिर आपस मे विश्वास और सामंजस्य निर्माण
चाहिये । फिर आपस मे विश्वास और सामंजस्य निर्माण
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होगा, सहयोग वृत्ति निर्माण होगी । अभिभावकों ने केवल
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होगा, सहयोग वृत्ति निर्माण होगी । अभिभावकों ने केवल बालक का शैक्षिक विकास देखने हेतु विद्यालय को भेट देना अधूरा होगा, उसके साथ बालक की
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मानसिकता, चरित्र के संबंध में चर्चा विमर्श करना होगा । अभिभावक अपनी गायनवादन कला, लेखनकला का
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बालक का शैक्षिक विकास देखने हेतु
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विद्यालय को भेट देना अधूरा होगा, उसके साथ बालक की
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मानसिकता, चरित्र के संबंध में चर्चा विमर्श करना होगा ।
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अभिभावक अपनी गायनवादन कला, लेखनकला का
बिनामूल्य सहयोग करे, अपना पद, अधिकार व्यवसाय से
बिनामूल्य सहयोग करे, अपना पद, अधिकार व्यवसाय से
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विद्यालय संचालन में सहयोगी बने । कभी शिक्षकों की
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विद्यालय संचालन में सहयोगी बने । कभी शिक्षकों की अनुपस्थिति में योग्य अभिभावक कक्षा भी ले सकते हैं । अपने सुलेख का उपयोग विद्यालय के कार्यालयीन कामों में अथवा छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सेवा के रूप में सहायता कर सकते हैं । विद्यालय ने भी गणवेश सिलाना होता हैं । सिलाई के लिए अपने दर्जी अभिभावक, फर्निचर के लिये
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अनुपस्थिति में योग्य अभिभावक कक्षा भी ले सकते हैं ।
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सुथार, भवन निर्माण के लिये बिल्डर अभिभावकों का उपयोग कर उन्हें रोजगार देना चाहिये । बाहर की एजन्सी को दूर रखे तब आत्मीयता एवं मित्रता प्रस्थापित होगी ।
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अपने सुलेख का उपयोग विद्यालय के कार्यालयीन कामों में
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अथवा छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सेवा के रूप में सहायता
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कर सकते हैं । विद्यालय ने भी गणवेश सिलाना होता हैं ।
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सिलाई के लिए अपने दर्जी अभिभावक, फर्निचर के लिये
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सुथार, भवन निर्माण के लिये बिल्डर अभिभावकों का
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उपयोग कर उन्हें रोजगार देना चाहिये । बाहर की एजन्सी
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को दूर रखे तब आत्मीयता एवं मित्रता प्रस्थापित होगी ।
शिक्षक अभिभावक आपस में आशंका से नहीं
शिक्षक अभिभावक आपस में आशंका से नहीं