समाज के व्यवहार सुख शांति, समाधान से चलें, समाज और समाज के विभिन्न घटक जीवन के अपने अपने लक्ष्य की प्राप्ति में अग्रसर हो सकें, समाज में अन्याय नहीं हों, सज्जनों को सुरक्षा मिले, दुष्टों को नियंत्रण में रखा जाये इसलिये शासन व्यवस्था होती है। यही शासन व्यवस्था के निर्माण का उद्देश्य होना चाहिये ऐसा सामान्य लोगों को लगता है। यह स्वाभाविक भी है। किंतु इस के लिये व्यवस्था कैसी हो, उस व्यवस्था को चलाने का काम कौन करेगा आदि तय करना यह सामान्य लोगों का काम नहीं है। | समाज के व्यवहार सुख शांति, समाधान से चलें, समाज और समाज के विभिन्न घटक जीवन के अपने अपने लक्ष्य की प्राप्ति में अग्रसर हो सकें, समाज में अन्याय नहीं हों, सज्जनों को सुरक्षा मिले, दुष्टों को नियंत्रण में रखा जाये इसलिये शासन व्यवस्था होती है। यही शासन व्यवस्था के निर्माण का उद्देश्य होना चाहिये ऐसा सामान्य लोगों को लगता है। यह स्वाभाविक भी है। किंतु इस के लिये व्यवस्था कैसी हो, उस व्यवस्था को चलाने का काम कौन करेगा आदि तय करना यह सामान्य लोगों का काम नहीं है। |