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{{One source|date=October 2019}}
 
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प्रस्तावना
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== प्रस्तावना ==
 
   
मनुष्य अन्य प्राणियों की अपेक्षा अनेक प्रकार से विशिष्ट है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। मनुष्य ने अपना जीवन अन्य प्राणियों से भिन्न प्रकार का बनाया है। मनुष्य ने परिवार बनाया, समाज की रचना की, उद्योगों की स्थापना की, शासनव्यवस्था का निर्माण किया, तपस्या की, मोक्ष प्राप्ति की कल्पना की। मनुष्य ने धर्म बनाया, अनेक संप्रदायों की स्थापना की, शास्त्रों की रचना की, ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने का प्रयास किया।
 
मनुष्य अन्य प्राणियों की अपेक्षा अनेक प्रकार से विशिष्ट है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। मनुष्य ने अपना जीवन अन्य प्राणियों से भिन्न प्रकार का बनाया है। मनुष्य ने परिवार बनाया, समाज की रचना की, उद्योगों की स्थापना की, शासनव्यवस्था का निर्माण किया, तपस्या की, मोक्ष प्राप्ति की कल्पना की। मनुष्य ने धर्म बनाया, अनेक संप्रदायों की स्थापना की, शास्त्रों की रचना की, ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने का प्रयास किया।
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निष्ठा जागृत होना चाहिए। इसके बाद इसका महत्त्व बुद्धि से समझना चाहिए। पाँच-सात वर्ष की आयु में ही आचरण की आदतें बनने लगती है। मानस बनने लगता है। इसलिए उस अवस्था में आचरण एवं निष्ठा दोनों जागृत करने का प्रयास करना चाहिए। तभी हम संस्कृति का जतन कर पाएंगे।
 
निष्ठा जागृत होना चाहिए। इसके बाद इसका महत्त्व बुद्धि से समझना चाहिए। पाँच-सात वर्ष की आयु में ही आचरण की आदतें बनने लगती है। मानस बनने लगता है। इसलिए उस अवस्था में आचरण एवं निष्ठा दोनों जागृत करने का प्रयास करना चाहिए। तभी हम संस्कृति का जतन कर पाएंगे।
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यही सोचकर संस्कृति विषय को पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। पाठ्यक्रम १. हमारे पूर्वजों का परिचय प्राप्त करना, उनके लिए गर्व की अनुभूति करना एवं
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यही सोचकर संस्कृति विषय को पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है।  
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== पाठ्यक्रम ==
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१. हमारे पूर्वजों का परिचय प्राप्त करना, उनके लिए गर्व की अनुभूति करना एवं
    
उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करना। २. हमारे देश का परिचय प्राप्त करना, इसकी श्रेष्ठता के बारे में जानना, एवं
 
उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करना। २. हमारे देश का परिचय प्राप्त करना, इसकी श्रेष्ठता के बारे में जानना, एवं
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बनना। ६. नृत्य, गीत, संगीत, कला इत्यादि का आनंद लेना एवं उन्हें आत्मसात करने
 
बनना। ६. नृत्य, गीत, संगीत, कला इत्यादि का आनंद लेना एवं उन्हें आत्मसात करने
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का प्रयास करना। ७. दान व सेवा के लिए तत्पर रहना। ८. परिवार के एक सदस्य के रूप में परिवार की सेवा करना। ९. वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को आत्मसात् करना। १०. 'हम सब एक हैं' इस सत्य को आत्मसात् करने का प्रयास करना। विवरण
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का प्रयास करना। ७. दान व सेवा के लिए तत्पर रहना। ८. परिवार के एक सदस्य के रूप में परिवार की सेवा करना। ९. वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को आत्मसात् करना। १०. 'हम सब एक हैं' इस सत्य को आत्मसात् करने का प्रयास करना।  
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== विवरण ==
 
इस पाठ्यक्रम को देखकर यह तो बहुत कठिन है ऐसी धारणा बनने की संभावना बहुत है। छात्रों की आयु के आधार पर यह सब बहुत जल्दी से लागू कर दिया गया है ऐसा लगेगा।
 
इस पाठ्यक्रम को देखकर यह तो बहुत कठिन है ऐसी धारणा बनने की संभावना बहुत है। छात्रों की आयु के आधार पर यह सब बहुत जल्दी से लागू कर दिया गया है ऐसा लगेगा।
    
परंतु थोड़ा सोचने पर समझ में आयेगा कि यदि हम ऐसी इच्छा रखते हैं कि छात्रों के व्यवहार-वाणी में यह सब अनुस्यूत हो जाए, तो हमें यह सब इसी कक्षा से शुरू करना होगा। हाँ, उसकी शैली, उसके माध्यम, उसके क्रियाकलाप आदि इस आय के अनुरूप हों यह आवश्यक है।
 
परंतु थोड़ा सोचने पर समझ में आयेगा कि यदि हम ऐसी इच्छा रखते हैं कि छात्रों के व्यवहार-वाणी में यह सब अनुस्यूत हो जाए, तो हमें यह सब इसी कक्षा से शुरू करना होगा। हाँ, उसकी शैली, उसके माध्यम, उसके क्रियाकलाप आदि इस आय के अनुरूप हों यह आवश्यक है।
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इस विषय में भौतिक लाभ हो, या कोई व्यवसाय किया जा सकेगा - ऐसा कुछ भी नहीं है। इसलिए परीक्षा में अंक प्राप्त करने या रैंक बनाने की दृष्टि से इसमें कुछ भी नहीं है। परंतु चरित्रनिर्माण की दृष्टि से एवं देश को समृद्ध एवं श्रेष्ठ बनाने की दृष्टि से बहुत कुछ है जो बहुत अहमियत रखता है। केवल भौतिक मनुष्य के स्थान पर सुसंस्कृत मनुष्य के निर्माण में इसकी बहुत अहमियत है। १. पूर्वजों का परिचय
 
इस विषय में भौतिक लाभ हो, या कोई व्यवसाय किया जा सकेगा - ऐसा कुछ भी नहीं है। इसलिए परीक्षा में अंक प्राप्त करने या रैंक बनाने की दृष्टि से इसमें कुछ भी नहीं है। परंतु चरित्रनिर्माण की दृष्टि से एवं देश को समृद्ध एवं श्रेष्ठ बनाने की दृष्टि से बहुत कुछ है जो बहुत अहमियत रखता है। केवल भौतिक मनुष्य के स्थान पर सुसंस्कृत मनुष्य के निर्माण में इसकी बहुत अहमियत है। १. पूर्वजों का परिचय
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अनुभव भी मानवजीवन में होना ही चाहिए। तभी हमारी विकास की
 
अनुभव भी मानवजीवन में होना ही चाहिए। तभी हमारी विकास की
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संकल्पना को पूर्णता प्राप्त होगी। क्रियाकलाप, कार्यक्रम एवं प्रकल्प
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संकल्पना को पूर्णता प्राप्त होगी।
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== क्रियाकलाप, कार्यक्रम एवं प्रकल्प ==
 
इन सभी उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए जो क्रियाकलाप, कार्यक्रम एवं प्रकल्प हो सकते हैं वे इस प्रकार हैं -
 
इन सभी उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए जो क्रियाकलाप, कार्यक्रम एवं प्रकल्प हो सकते हैं वे इस प्रकार हैं -
  

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