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| उसके प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं ... | | उसके प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं ... |
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− | शिक्षा आजीवन चलती है | + | == शिक्षा आजीवन चलती है == |
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| वर्तमान व्यवस्था की तरह शिक्षा को केवल विद्यालय | | वर्तमान व्यवस्था की तरह शिक्षा को केवल विद्यालय |
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| गई व्यवस्था है, प्रयास है, प्रक्रिया है । | | गई व्यवस्था है, प्रयास है, प्रक्रिया है । |
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− | शिक्षा ज्ञानार्जन के लिए होती है वर्तमान में हम शिक्षा का प्रयोजन अथर्जिन ही मान | + | == शिक्षा ज्ञानार्जन के लिए होती है == |
| + | वर्तमान में हम शिक्षा का प्रयोजन अथर्जिन ही मान |
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| मनुष्य इस सृष्टि के असंख्य पदार्थों में एक है । सृष्टि .. लेते हैं । यह सर्वथा अनुचित तो नहीं है परन्तु शिक्षा का यह | | मनुष्य इस सृष्टि के असंख्य पदार्थों में एक है । सृष्टि .. लेते हैं । यह सर्वथा अनुचित तो नहीं है परन्तु शिक्षा का यह |
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| भी कार्यकारण भाव समझ नहीं सकता । मनुष्य की तरह नहीं | | भी कार्यकारण भाव समझ नहीं सकता । मनुष्य की तरह नहीं |
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− | अन्य कोई भी भक्ति, पूजा, प्रार्थथा, उपासना आदि नहीं कर शिक्षा पदार्थ नहीं है | + | अन्य कोई भी भक्ति, पूजा, प्रार्थथा, उपासना आदि नहीं कर |
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| + | == शिक्षा पदार्थ नहीं है == |
| सकता । मनुष्य को ही स्वयं के बारे में, जगत के बारे में शिक्षा को आज भौतिक पदार्थ की तरह क्रयविक्रय | | सकता । मनुष्य को ही स्वयं के बारे में, जगत के बारे में शिक्षा को आज भौतिक पदार्थ की तरह क्रयविक्रय |
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| स्वतन्त्रता और स्वपुरुषार्थ से ही प्राप्त होती है । | | स्वतन्त्रता और स्वपुरुषार्थ से ही प्राप्त होती है । |
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− | मनुष्य को मनुष्य बनाने के लिए शिक्षा होती है | + | == मनुष्य को मनुष्य बनाने के लिए शिक्षा होती है == |
− | | |
| मनुष्य अन्य असंख्य प्राणियों की तरह एक प्राणी है । | | मनुष्य अन्य असंख्य प्राणियों की तरह एक प्राणी है । |
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| शिक्षा मनुष्य के विकास के लिए है । | | शिक्षा मनुष्य के विकास के लिए है । |
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− | शिक्षा मनुष्य को अन्यों के साथ समायोजन | + | == शिक्षा मनुष्य को अन्यों के साथ समायोजन सिखाने के लिए है == |
− | | |
− | सिखाने के लिए है | |
− | | |
| मनुष्य इस सृष्टि में अकेला नहीं रहता है । वह भले ही | | मनुष्य इस सृष्टि में अकेला नहीं रहता है । वह भले ही |
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| हैं। | | हैं। |
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− | आजीवन चलने वाली शिक्षा | + | == आजीवन चलने वाली शिक्षा == |
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| मनुष्य गर्भाधान के समय अपने पूर्वजन्मों के संचित | | मनुष्य गर्भाधान के समय अपने पूर्वजन्मों के संचित |
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| वह भी समग्रता में, करना होगा । | | वह भी समग्रता में, करना होगा । |
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− | व्यक्ति की सर्व क्षमताओं का विकास करने वाली शिक्षा | + | == व्यक्ति की सर्व क्षमताओं का विकास करने वाली शिक्षा == |
− | | |
| स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि शिक्षा मनुष्य की | | स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि शिक्षा मनुष्य की |
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| पर्व २ : उद्देश्यनिर्धारण | | पर्व २ : उद्देश्यनिर्धारण |
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− | आत्मतत्त्व | + | == आत्मतत्त्व == |
− | | |
| आत्मा की संकल्पना भारतीय विचारविश्व की खास | | आत्मा की संकल्पना भारतीय विचारविश्व की खास |
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| इसे जानना शिक्षा का लक्ष्य है । | | इसे जानना शिक्षा का लक्ष्य है । |
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− | सृष्टि | + | == सृष्टि == |
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| सृष्टि परमात्मा का विश्वरूप है यह पूर्व में ही कहा गया | | सृष्टि परमात्मा का विश्वरूप है यह पूर्व में ही कहा गया |
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| स्वीकार किया है । | | स्वीकार किया है । |
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− | अन्नरसमय आत्मा अर्थात् शरीर | + | == अन्नरसमय आत्मा अर्थात् शरीर == |
− | | |
| मनुष्य का दिखाई देने वाला हिस्सा शरीर ही है । | | मनुष्य का दिखाई देने वाला हिस्सा शरीर ही है । |
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| करना चाहिए | | | करना चाहिए | |
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− | WOT आत्मा
| + | == प्राणमय आत्मा == |
− | | |
| मनुष्य को जीवित कहा जाता है प्राण के कारण । प्राण | | मनुष्य को जीवित कहा जाता है प्राण के कारण । प्राण |
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| शिक्षा में समुचित प्रयास होने चाहिए | | | शिक्षा में समुचित प्रयास होने चाहिए | |
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− | मनोमय आत्मा | + | == मनोमय आत्मा == |
− | | |
| यह मनुष्य का मन है । मन के कारण ही मनुष्य सृष्टि | | यह मनुष्य का मन है । मन के कारण ही मनुष्य सृष्टि |
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| है। | | है। |
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− | 'विज्ञानमय आत्मा | + | == 'विज्ञानमय आत्मा == |
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| विज्ञानमय आत्मा मनोमय से भी अधिक सूक्ष्म अर्थात् | | विज्ञानमय आत्मा मनोमय से भी अधिक सूक्ष्म अर्थात् |
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Line 1,323: |
| और स्वयं आत्मा हैं । इन दोनों का विचार अब करेंगे। | | और स्वयं आत्मा हैं । इन दोनों का विचार अब करेंगे। |
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− | आनन्दमय आत्मा | + | == आनन्दमय आत्मा == |
− | | |
| यह चित्त है । चित्त बड़ी अद्भुत चीज है । वह एक | | यह चित्त है । चित्त बड़ी अद्भुत चीज है । वह एक |
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Line 1,382: |
| का बुद्धिनिष्ठ ज्ञान ही व्यवहार का चालक रहता है । | | का बुद्धिनिष्ठ ज्ञान ही व्यवहार का चालक रहता है । |
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− | संस्कार विचार | + | == संस्कार विचार == |
− | | |
| संस्कार को तीन प्रकार से समझ सकते हैं । | | संस्कार को तीन प्रकार से समझ सकते हैं । |
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Line 1,409: |
| (३) संस्कृति के संस्कार और (४) वातावरण के संस्कार | | (३) संस्कृति के संस्कार और (४) वातावरण के संस्कार |
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− | (१) पूर्वजन्म के संस्कार
| + | === पूर्वजन्म के संस्कार === |
− | | |
| संस्कार सूक्ष्म शरीर में रहते हैं । मृत्यु के बाद स्थूल | | संस्कार सूक्ष्म शरीर में रहते हैं । मृत्यु के बाद स्थूल |
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| बदल नहीं सकते । | | बदल नहीं सकते । |
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− | (२) आनुवंशिक संस्कार
| + | === आनुवंशिक संस्कार === |
− | | |
| सूक्ष्म शरीर जब जन्म धारण करता है तब माता और | | सूक्ष्म शरीर जब जन्म धारण करता है तब माता और |
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Line 1,470: |
Line 1,455: |
| द्वारा ही उनका लोप होता है । | | द्वारा ही उनका लोप होता है । |
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− | (३) संस्कृति के संस्कार
| + | === संस्कृति के संस्कार === |
− | | |
| जीव जिस जाति में पैदा होता है उस जाति का | | जीव जिस जाति में पैदा होता है उस जाति का |
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| उनका लोप होता है । | | उनका लोप होता है । |
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− | (४) वातावरण के संस्कार
| + | === वातावरण के संस्कार === |
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| जन्म के बाद व्यक्ति जिस वातावरण में, जिस संगत | | जन्म के बाद व्यक्ति जिस वातावरण में, जिस संगत |
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