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सौतिरुवाच
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सौतिरुवाच
 
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एतच्छ्रुत्वा तु नृपतिस्तक्षकाय चुकोप ह।
एतच्छ्रुत्वा तु नृपतिस्तक्षकाय चुकोप ह।
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उद[त्त]ङ्कवाक्यहविषा दीप्तोऽग्निर्हविषा यथा॥ 1-3-185
 
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अपृच्छत्स तदा राजा मन्त्रिणस्तान्सुदुःखितः।
उद[त्त]ङ्कवाक्यहविषा दीप्तोऽग्निर्हविषा यथा॥ 1-3-185
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उद[त्त]ङ्कस्यैव सांनिध्ये पितुः स्वर्गगतिं प्रति॥ 1-3-186
 
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तदैव हि स राजेन्द्रो दुःखशोकाप्लुतोऽभवत्।
अपृच्छत्स तदा राजा मन्त्रिणस्तान्सुदुःखितः।
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यदैव वृत्तं पितरमुद[त्त]ङ्कादशृणोत्तदा॥ 1-3-187
 
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इति श्रीमहाभारते आदिपर्वणि पौष्यपर्वणि उदङ्कोपाख्यानं नाम तृतीयोऽध्यायः॥ 3 ॥
उद[त्त]ङ्कस्यैव सांनिध्ये पितुः स्वर्गगतिं प्रति॥ 1-3-186
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तदैव हि स राजेन्द्रो दुःखशोकाप्लुतोऽभवत्।
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यदैव वृत्तं पितरमुद[त्त]ङ्कादशृणोत्तदा॥ 1-3-187
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इति श्रीमहाभारते आदिपर्वणि पौष्यपर्वणि उदङ्कोपाख्यानं नाम तृतीयोऽध्यायः॥ 3 ॥
 
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