Changes

Jump to navigation Jump to search
Editing
Line 46: Line 46:     
== शिक्षण व्यवस्था । ==
 
== शिक्षण व्यवस्था । ==
 
+
ब्राह्मण कार्य (शिक्षण):
 +
# घर की व्यवस्था ऐसे की शास्त्र ग्रंथों का, देवा पूजा का, यज्ञ का नियमित सानिध्य हो । 
 +
# घर में हमेशा श्लोकों/मन्त्रों का पठन /श्रवण हो ।
 +
# शुद्ध मातृभाषा का प्रयोग (जिससे भविष्य में अनुवाद का कार्य भी हो सके ) ।
 +
# दान दिलवाना/देना हो ।
 +
# द्रव्य एवं समाज हित यज्ञ में सहभागी करवाना ।
 +
# अनुलोम/विलोम प्राणायाम का परिचय करवाना ।
 +
# ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
 +
# ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना । 
 +
# ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप खेल खिलवाना । 
 
== रक्षण व्यवस्था । ==
 
== रक्षण व्यवस्था । ==
 
+
क्षत्रिय कार्य (रक्षण):
 +
# घर की व्यवस्था ऐसे की शस्त्रों का, राजर्षियों के चित्रों का नियमित सानिध्य रहे ।
 +
# घर में हमेशा राजा सम्बंधित गीतों/नारों का पठन /श्रवण हो ।
 +
# भय से मुक्ति के लिए चुनौतियों (challenging परिस्थितिओं ) का सामना/exposure । 
 +
# विद्वानों एवं दुर्बल सज्जनों को दान देने का वातावरण हो । 
 +
# शारीरिक बल के लिए खेल/व्यायाम ।
 +
# शत्रुओं की भाषा सीखना ।
 +
# क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
 +
# क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना । 
 +
# क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना । 
 
== पोषण व्यवस्था । ==
 
== पोषण व्यवस्था । ==
 
+
वैश्य कार्य (पोषण):
 +
# घर की व्यवस्था ऐसे की नैसर्गिक उत्पादनों का, कृषि एवं धेनु, प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उत्पादित वस्तुओं का नियमित सानिध्य ।
 +
# घर में हमेशा अन्न उत्पादन सम्बंधित विषयों की चर्चा/कार्य । 
 +
# शुद्धजैविक खेती का प्रयोग ।
 +
# दान देना ।
 +
# घर के सभी सदस्यों का व्यवसाय में कुछ न कुछ महत्त्वपूर्ण योगदान हो |
 +
# विदेशी वस्तुओं, स्वदेशी raw material  (कच्चे माल ) एवं by products (waste) का परिचय हो जिससे उन्हें उत्पादन कार्य से दूर रख सकें ।
 +
# स्वयं एवं अन्यों के घर में गव्य पदार्थों का उपयोग । 
 +
# यज्ञ कार्यों को आश्रय देना । 
 +
# कलाकार, आचार्य, शिक्षक, पहलवान/रक्षक, वैद्य, आदि के पोषण ।
 +
# वैश्य के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
 +
# वैश्य के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना । 
 +
# वैश्य के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना । 
 +
# अन्यों को विशेष करके अन्न दान देना ।
 
== अपनी भूमिका । ==
 
== अपनी भूमिका । ==
 
# दूसरों के अधिकारों के लिए प्रयास एवं स्वयं के कर्तव्यों का पालन ।  
 
# दूसरों के अधिकारों के लिए प्रयास एवं स्वयं के कर्तव्यों का पालन ।  
 
## माता/पिता को वर्ण धर्म समझकर शिशु का निरीक्षण करना ।  
 
## माता/पिता को वर्ण धर्म समझकर शिशु का निरीक्षण करना ।  
## संस्कृत भाषा में नियमित रूप से सम्भाषण होना   
+
## संस्कृत भाषा में नियमित रूप से सम्भाषण होना  
## वर्णानुसार कथा (ब्राह्मण/वैश्य के लिए अधिक प्रयत्न आवश्यक )  
+
## वर्णानुसार कथा (ब्राह्मण/वैश्य के लिए अधिक प्रयत्न आवश्यक )
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना  
+
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना   
+
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना  
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप खेल   
+
## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना/खिलवाना ।  
## अपने से श्रेष्ठ संतति को जन्म देना  
+
## अपने से श्रेष्ठ संतति को जन्म देना
## सामासिक धर्मों का ज्ञान एवं उन्हें संस्कारित करना जिससे उसके विरोध कार्य न करें  
+
## सामासिक धर्मों का ज्ञान एवं उन्हें संस्कारित करना जिससे उसके विरोध कार्य न करें
# ब्राह्मण (शिक्षण):
+
# बाल्य और शिशु-अवस्था मे (धर्मशास्त्र) भगवद्गीता का कंठस्थीकरण जैसे कथारूपी गीता । 
## घर की व्यवस्था ऐसे की शास्त्र ग्रंथों का, देवा पूजा का, यज्ञ का  नियमित सानिध्य
+
# क्रमशः कुमारावस्था मे उचित साहित्य प्राप्त करके देना [व्यवहार शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित करना ] | युवावस्था मे उस अवस्था के लिए चयन किये गये भाष्य उपलब्ध कराना
## घर में हमेशा श्लोकों/मन्त्रों  का पठन /श्रवण
  −
## शुद्ध मातृभाषा का प्रयोग (जिससे भविष्य में अनुवाद का कार्य भी हो सके )
  −
## दान दिलवाना/देना
  −
## द्रव्य एवं समाजहित यज्ञ में सहभागी करवाना
  −
## अनुलोम/विलोम प्राणायाम का परिचय
  −
## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना
  −
## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना 
  −
## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप खेल 
  −
# क्षत्रिय (रक्षण):
  −
## घर की व्यवस्था ऐसे की शस्त्रों  का, राजर्षियों  के चित्रों का नियमित सानिध्य
  −
## घर में हमेशा राजा सम्बंधित गीतों/नारों  का पठन /श्रवण
  −
## भय से मुक्ति के लिए चुनौतियों (challenging  परिस्थितिओं ) का सामना/exposure 
  −
## दान देने का वातावरण - विद्वानों एवं दुर्बल सज्जनों को 
  −
## शारीरिक बल के लिए खेल/व्यायाम
  −
## शत्रुओं की भाषा सीखना
  −
## क्षत्रिय  के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना
  −
## क्षत्रिय  के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना 
  −
## क्षत्रिय  के अनुकूल/अनुरूप खेल 
  −
# वैश्य (पोषण): 
  −
## घर की व्यवस्था ऐसे की नैसर्गिक उत्पादनों का, कृषि एवं धेनु, प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उत्पादित वस्तुओं का नियमित सानिध्य
  −
## घर में हमेशा अन्न उत्पादन सम्बंधित विषयों की चर्चा/कार्य 
  −
## शुद्धजैविक खेती  का प्रयोग
  −
## दान देना
  −
## घर के सभी सदस्यों का व्यवसाय में कुछ न कुछ महत्त्वपूर्ण योगदान हो |
  −
## विदेशी वस्तुओं, स्वदेशी raw  material  (कच्चे माल ) एवं by  products  (waste) का पिरचय - जिससे उन्हें उत्पादन कार्य से दूर रख सकें
  −
## स्वयं एवं अन्यों के घर में  गव्य पदार्थों का उपयोग 
  −
## यज्ञ कार्यों को आश्रय देना 
  −
## कलाकार, आचार्य, शिक्षक, पहलवान/रक्षक, वैद्य, आदि के पोषण
  −
## वैश्य के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना
  −
## वैश्य  के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना 
  −
## वैश्य के अनुकूल/अनुरूप खेल 
  −
## अन्यों को विशेष करके अन्न दान देना
  −
# (धर्मशास्त्र) भगवद्गीता - बाल्य / शिशु में कंठस्थीकरण कथारूपी गीता  
  −
 
  −
क्रमशः - कुमारावस्था उचित साहित्य प्राप्त करके देना [व्यवहार शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित करना ] | समझना - युवावस्था चयन किये गये भाष्य उपलब्ध कराना
      
==परिचयः ॥ Introduction==
 
==परिचयः ॥ Introduction==

Navigation menu