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| == अपनी भूमिका । == | | == अपनी भूमिका । == |
| # दूसरों के अधिकारों के लिए प्रयास एवं स्वयं के कर्तव्यों का पालन । | | # दूसरों के अधिकारों के लिए प्रयास एवं स्वयं के कर्तव्यों का पालन । |
− | # (i ) माता/पिता को वर्ण धर्म समझकर शिशु का निरीक्षण करना । | + | ## माता/पिता को वर्ण धर्म समझकर शिशु का निरीक्षण करना । |
− | # (ii ) संस्कृत भाषा में नियमित रूप से सम्भाषण होना (iii ) वर्णानुसार कथा (ब्राह्मण/वैश्य के लिए अधिक प्रयत्न आवश्यक ) (iv ) वर्ण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना (v ) वर्ण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना (vi ) वर्ण के अनुकूल/अनुरूप खेल (vii ) अपने से श्रेष्ठ संतति को जन्म देना (viii ) सामासिक धर्मों का ज्ञान एवं उन्हें संस्कारित करना जिससे उसके विरोध कार्य न करें | + | ## संस्कृत भाषा में नियमित रूप से सम्भाषण होना |
− | २) ब्राह्मण (शिक्षण): (i ) घर की व्यवस्था ऐसे की शास्त्र ग्रंथों का, देवा पूजा का, यज्ञ का नियमित सानिध्य (ii ) घर में हमेशा श्लोकों/मन्त्रों का पठन /श्रवण (iii ) शुद्ध मातृभाषा का प्रयोग (जिससे भविष्य में अनुवाद का कार्य भी हो सके ) (iv ) दान दिलवाना/देना (v ) द्रव्य एवं समाजहित यज्ञ में सहभागी करवाना (vi ) अनुलोम/विलोम प्राणायाम का परिचय (vii ) ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना (viii ) ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना (ix ) ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप खेल
| + | ## वर्णानुसार कथा (ब्राह्मण/वैश्य के लिए अधिक प्रयत्न आवश्यक ) |
− | | + | ## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना |
− | ३) क्षत्रिय (रक्षण): (i ) घर की व्यवस्था ऐसे की शस्त्रों का, राजर्षियों के चित्रों का नियमित सानिध्य (ii ) घर में हमेशा राजा सम्बंधित गीतों/नारों का पठन /श्रवण (iii ) भय से मुक्ति के लिए चुनौतियों (challenging परिस्थितिओं ) का सामना/exposure (iv ) दान देने का वातावरण - विद्वानों एवं दुर्बल सज्जनों को (v ) शारीरिक बल के लिए खेल/व्यायाम (vi ) शत्रुओं की भाषा सीखना (vii )क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना (viii )क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना (ix )क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप खेल
| + | ## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना |
− | | + | ## वर्ण के अनुकूल/अनुरूप खेल |
− | ४) वैश्य (पोषण): (i ) घर की व्यवस्था ऐसे की नैसर्गिक उत्पादनों का, कृषि एवं धेनु, प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उत्पादित वस्तुओं का नियमित सानिध्य (ii ) घर में हमेशा अन्न उत्पादन सम्बंधित विषयों की चर्चा/कार्य (iii ) शुद्धजैविक खेती का प्रयोग (iv ) दान देना (v ) घर के सभी सदस्यों का व्यवसाय में कुछ न कुछ महत्त्वपूर्ण योगदान हो | (vi ) विदेशी वस्तुओं, स्वदेशी raw material (कच्चे माल ) एवं by products (waste) का पिरचय - जिससे उन्हें उत्पादन कार्य से दूर रख सकें (vii ) स्वयं एवं अन्यों के घर में गव्य पदार्थों का उपयोग (viii ) यज्ञ कार्यों को आश्रय देना (ix ) कलाकार, आचार्य, शिक्षक, पहलवान/रक्षक, वैद्य, आदि के पोषण (vii ) वैश्य के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना (viii )वैश्य के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना (viii ) वैश्य के अनुकूल/अनुरूप खेल (ix ) अन्यों को विशेष करके अन्न दान देना
| + | ## अपने से श्रेष्ठ संतति को जन्म देना |
− | | + | ## सामासिक धर्मों का ज्ञान एवं उन्हें संस्कारित करना जिससे उसके विरोध कार्य न करें |
− | ५) (धर्मशास्त्र) भगवद्गीता - बाल्य / शिशु में कंठस्थीकरण कथारूपी गीता
| + | # ब्राह्मण (शिक्षण): |
| + | ## घर की व्यवस्था ऐसे की शास्त्र ग्रंथों का, देवा पूजा का, यज्ञ का नियमित सानिध्य |
| + | ## घर में हमेशा श्लोकों/मन्त्रों का पठन /श्रवण |
| + | ## शुद्ध मातृभाषा का प्रयोग (जिससे भविष्य में अनुवाद का कार्य भी हो सके ) |
| + | ## दान दिलवाना/देना |
| + | ## द्रव्य एवं समाजहित यज्ञ में सहभागी करवाना |
| + | ## अनुलोम/विलोम प्राणायाम का परिचय |
| + | ## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना |
| + | ## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना |
| + | ## ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप खेल |
| + | # क्षत्रिय (रक्षण): |
| + | ## घर की व्यवस्था ऐसे की शस्त्रों का, राजर्षियों के चित्रों का नियमित सानिध्य |
| + | ## घर में हमेशा राजा सम्बंधित गीतों/नारों का पठन /श्रवण |
| + | ## भय से मुक्ति के लिए चुनौतियों (challenging परिस्थितिओं ) का सामना/exposure |
| + | ## दान देने का वातावरण - विद्वानों एवं दुर्बल सज्जनों को |
| + | ## शारीरिक बल के लिए खेल/व्यायाम |
| + | ## शत्रुओं की भाषा सीखना |
| + | ## क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना |
| + | ## क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना |
| + | ## क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप खेल |
| + | # वैश्य (पोषण): |
| + | ## घर की व्यवस्था ऐसे की नैसर्गिक उत्पादनों का, कृषि एवं धेनु, प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उत्पादित वस्तुओं का नियमित सानिध्य |
| + | ## घर में हमेशा अन्न उत्पादन सम्बंधित विषयों की चर्चा/कार्य |
| + | ## शुद्धजैविक खेती का प्रयोग |
| + | ## दान देना |
| + | ## घर के सभी सदस्यों का व्यवसाय में कुछ न कुछ महत्त्वपूर्ण योगदान हो | |
| + | ## विदेशी वस्तुओं, स्वदेशी raw material (कच्चे माल ) एवं by products (waste) का पिरचय - जिससे उन्हें उत्पादन कार्य से दूर रख सकें |
| + | ## स्वयं एवं अन्यों के घर में गव्य पदार्थों का उपयोग |
| + | ## यज्ञ कार्यों को आश्रय देना |
| + | ## कलाकार, आचार्य, शिक्षक, पहलवान/रक्षक, वैद्य, आदि के पोषण |
| + | ## वैश्य के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना |
| + | ## वैश्य के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना |
| + | ## वैश्य के अनुकूल/अनुरूप खेल |
| + | ## अन्यों को विशेष करके अन्न दान देना |
| + | # (धर्मशास्त्र) भगवद्गीता - बाल्य / शिशु में कंठस्थीकरण कथारूपी गीता |
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| क्रमशः - कुमारावस्था उचित साहित्य प्राप्त करके देना [व्यवहार शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित करना ] | समझना - युवावस्था चयन किये गये भाष्य उपलब्ध कराना | | क्रमशः - कुमारावस्था उचित साहित्य प्राप्त करके देना [व्यवहार शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित करना ] | समझना - युवावस्था चयन किये गये भाष्य उपलब्ध कराना |