भारतीय शिक्षा प्रणाली में विषयों की शिक्षा नहीं होती| जीवन की शिक्षा होती है| आवश्यकतानुसार विषय का ज्ञान भी साथ ही में दिया जाता था| इसलिए सामान्यत: खगोल/भूगोल ऐसा अलग से विषय पढ़ाया नहीं जाता था| वेदांगों के अध्ययन में गृह ज्योतिष सीखते समय, आयुर्वेद में वनस्पतियों की जानकारी के लिए भूगोल का आवश्यक उतना अध्ययन कर लिया जाता था| रामायण, महाभारत या पुराणों के अध्ययन के माध्यम से आनन फानन में बच्चे खगोल-भूगोल की कई पेचीदगियों को समझ सकते हैं| जैसे एक स्थान से सुदूर दूसरे स्थानपर जाने के लिए तेज गति (प्रकाश की) के साथ जाने से आयु नहीं बढ़ना आदि| इससे खगोल-भूगोल की शिक्षा भी रोचक रंजक हो जाती है| | भारतीय शिक्षा प्रणाली में विषयों की शिक्षा नहीं होती| जीवन की शिक्षा होती है| आवश्यकतानुसार विषय का ज्ञान भी साथ ही में दिया जाता था| इसलिए सामान्यत: खगोल/भूगोल ऐसा अलग से विषय पढ़ाया नहीं जाता था| वेदांगों के अध्ययन में गृह ज्योतिष सीखते समय, आयुर्वेद में वनस्पतियों की जानकारी के लिए भूगोल का आवश्यक उतना अध्ययन कर लिया जाता था| रामायण, महाभारत या पुराणों के अध्ययन के माध्यम से आनन फानन में बच्चे खगोल-भूगोल की कई पेचीदगियों को समझ सकते हैं| जैसे एक स्थान से सुदूर दूसरे स्थानपर जाने के लिए तेज गति (प्रकाश की) के साथ जाने से आयु नहीं बढ़ना आदि| इससे खगोल-भूगोल की शिक्षा भी रोचक रंजक हो जाती है| |