वर्तमान में पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है ऐसा लोगों को लगने लगा है| इसलिए शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिए याने पैसा कमाने के लिए होती है ऐसा सबको लगता है| इसीलिए जिन पाठ्यक्रमों के पढ़ने से अधिक पैसा मिलेगा ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए भीड़ लग जाती है| इतिहास, भूगोल जैसे पाठ्यक्रमों की उपेक्षा होती है| सामान्यत: मनुष्य वही बातें याद रखने का प्रयास करता है जिनका उसे पैसा कमाने के लिए उपयोग होता है या हो सकता है ऐसा उसे लगता है| भूगोल (खगोलका ही एक हिस्सा) यह भी एक ऐसा विषय है जो बच्चे सामान्यत: पढ़ना नहीं चाहते| बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को भूगोल पढ़ाना नहीं चाहते| उन्हें लगता है कि इसका बड़े होकर पैसा कमाने में कोई उपयोग नहीं है| इसमें बच्चों का दोष नहीं है| उनके माता-पिता का भी दोष नहीं है| यह दोष है शिक्षा क्षेत्र के नेतृत्व का, शिक्षाविदों का| | वर्तमान में पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है ऐसा लोगों को लगने लगा है| इसलिए शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिए याने पैसा कमाने के लिए होती है ऐसा सबको लगता है| इसीलिए जिन पाठ्यक्रमों के पढ़ने से अधिक पैसा मिलेगा ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए भीड़ लग जाती है| इतिहास, भूगोल जैसे पाठ्यक्रमों की उपेक्षा होती है| सामान्यत: मनुष्य वही बातें याद रखने का प्रयास करता है जिनका उसे पैसा कमाने के लिए उपयोग होता है या हो सकता है ऐसा उसे लगता है| भूगोल (खगोलका ही एक हिस्सा) यह भी एक ऐसा विषय है जो बच्चे सामान्यत: पढ़ना नहीं चाहते| बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को भूगोल पढ़ाना नहीं चाहते| उन्हें लगता है कि इसका बड़े होकर पैसा कमाने में कोई उपयोग नहीं है| इसमें बच्चों का दोष नहीं है| उनके माता-पिता का भी दोष नहीं है| यह दोष है शिक्षा क्षेत्र के नेतृत्व का, शिक्षाविदों का| |