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* स्वाध्याय : वानप्रस्थाश्रम स्वाध्याय का काल है। शास्त्रों का अध्ययन और अध्यापन उसे करना है। चिन्तन कर उसका मर्म समझने का प्रयास करना है। तितिक्षा और तप, वैराग्य और मुमुक्षा वानप्रस्थाश्रम के केन्द्रवर्ती तत्व हैं।
* स्वाध्याय : वानप्रस्थाश्रम स्वाध्याय का काल है। शास्त्रों का अध्ययन और अध्यापन उसे करना है। चिन्तन कर उसका मर्म समझने का प्रयास करना है। तितिक्षा और तप, वैराग्य और मुमुक्षा वानप्रस्थाश्रम के केन्द्रवर्ती तत्व हैं।
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वानप्रस्थाश्रम निवृत्ति का काल है। थकी हुई इन्द्रियों और मन को विश्रान्ति देने का काल है। साथ ही विरक्ति और भगवदूभक्ति का भी काल है । परिवार को और समाज को अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर मार्गदर्शन देने का काल है। साथ ही सर्व प्रकार के अधिकारों को छोड़ने का काल है। भोगविलास को छोडने का काल है। सांसारिक दायित्वों से मुक्त होकर अपने कल्याण हेतु तपश्चर्या करने का काल है ।
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वानप्रस्थाश्रम निवृत्ति का काल है। थकी हुई इन्द्रियों और मन को विश्रान्ति देने का काल है। साथ ही विरक्ति और भगवदूभक्ति का भी काल है । परिवार को और समाज को अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर मार्गदर्शन देने का काल है। साथ ही सर्व प्रकार के अधिकारों को छोड़ने का काल है। भोगविलास को छोडने का काल है। सांसारिक दायित्वों से मुक्त होकर अपने कल्याण हेतु तपश्चर्या करने का काल है।
=== संन्यस्ताश्रम ===
=== संन्यस्ताश्रम ===