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| चार आश्रमों का विवरण इस प्रकार है ... | | चार आश्रमों का विवरण इस प्रकार है ... |
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| === आश्रमचतुष्य === | | === आश्रमचतुष्य === |
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| जिस समाज में स्पर्धा है और स्पर्धा को प्रोत्साहन दिया | | जिस समाज में स्पर्धा है और स्पर्धा को प्रोत्साहन दिया |
| जाता है वह समाज शोषण, छल, हिंसा और भ्रष्टाचार से | | जाता है वह समाज शोषण, छल, हिंसा और भ्रष्टाचार से |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| भरा हुआ बन जाता है । उस समाज को विकृत कहते हैं, | | भरा हुआ बन जाता है । उस समाज को विकृत कहते हैं, |
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| गुरु के घर की सारी रीत अपनाता है । वह उसका | | गुरु के घर की सारी रीत अपनाता है । वह उसका |
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| गुरुकुल है । गुरु के घर के सदस्य के नाते उसे घर के | | गुरुकुल है । गुरु के घर के सदस्य के नाते उसे घर के |
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| अतिशय मान और गौरव है । यदि रास्ते में राजा और | | अतिशय मान और गौरव है । यदि रास्ते में राजा और |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| स्नातक आमने सामने पड़ जाय तो... आश्रम है। स्नातक अब गृहस्थ बनता है । गृहस्थ की | | स्नातक आमने सामने पड़ जाय तो... आश्रम है। स्नातक अब गृहस्थ बनता है । गृहस्थ की |
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| कर व्यक्ति गृहस्थाश्रम के लिये सिद्ध होता है । Teese . एक ऋ्षियज्ञ, दूसरा देवयज्ञ, तीसरा भूतयज्ञ, चौथा | | कर व्यक्ति गृहस्थाश्रम के लिये सिद्ध होता है । Teese . एक ऋ्षियज्ञ, दूसरा देवयज्ञ, तीसरा भूतयज्ञ, चौथा |
| अपने सर्व प्रकार के सांसारिक दायित्वों को पूर्ण करने का... मनुष्ययज्ञ और पाँचवाँ पितृयज्ञ । यज्ञ का अर्थ है दूसरों के | | अपने सर्व प्रकार के सांसारिक दायित्वों को पूर्ण करने का... मनुष्ययज्ञ और पाँचवाँ पितृयज्ञ । यज्ञ का अर्थ है दूसरों के |
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| === गृहस्थाश्रम === | | === गृहस्थाश्रम === |
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| ==== गृहस्थाश्रम के दायित्व ==== | | ==== गृहस्थाश्रम के दायित्व ==== |
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− | रद
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| लिये अपने पदार्थ की आहुति देना अर्थात् त्याग करना । | | लिये अपने पदार्थ की आहुति देना अर्थात् त्याग करना । |
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| गृहस्थाश्रम सर्व. प्रकार | | गृहस्थाश्रम सर्व. प्रकार |
| दायित्वों को निभाने का आश्रम है । सर्व प्रकार की शक्तियाँ | | दायित्वों को निभाने का आश्रम है । सर्व प्रकार की शक्तियाँ |
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| उसके साथ ही गृह की सुविधाओं और | | उसके साथ ही गृह की सुविधाओं और |
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− | ३८
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| जिन्हें तीव्र वैराग्य उत्पन्न हुआ है उन्हींके लिये विहित है । | | जिन्हें तीव्र वैराग्य उत्पन्न हुआ है उन्हींके लिये विहित है । |
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| कुर्वाण: पूयते नित्यं तस्मात् पश्येत नित्यश: ॥। | | कुर्वाण: पूयते नित्यं तस्मात् पश्येत नित्यश: ॥। |
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| अर्थात् | | अर्थात् |
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| निश्चित होता है । सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण क्रम से | | निश्चित होता है । सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण क्रम से |
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− | ३९
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| प्रबल हैं वह ब्राह्मण है; रजोगुण, | | प्रबल हैं वह ब्राह्मण है; रजोगुण, |
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| वैभव भोगता है परन्तु अपने जीवन की | | वैभव भोगता है परन्तु अपने जीवन की |
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| शासक का कर्तव्य होता है । ऐसी व्यवस्था को स्वायत्त | | शासक का कर्तव्य होता है । ऐसी व्यवस्था को स्वायत्त |
| समाजव्यवस्था कहते हैं । स्वायत्त समाज की व्यवस्था में | | समाजव्यवस्था कहते हैं । स्वायत्त समाज की व्यवस्था में |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| वर्णव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान है । | | वर्णव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान है । |
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| जिसके साथ विवाह हुआ है उसके अलावा अन्य सभी | | जिसके साथ विवाह हुआ है उसके अलावा अन्य सभी |
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| पुरुष, स्त्री के लिए भाई, पुत्र या पिता समान हैं और पुरुष | | पुरुष, स्त्री के लिए भाई, पुत्र या पिता समान हैं और पुरुष |
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| सम्प्रदाय को भी विकृत बनाया गया है और विकृत रूप में | | सम्प्रदाय को भी विकृत बनाया गया है और विकृत रूप में |
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| प्रस्तुत किया जाता है और विवाद का | | प्रस्तुत किया जाता है और विवाद का |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| अत: शिक्षा को धर्म सिखाना चाहिए । इसका अर्थ है | | अत: शिक्षा को धर्म सिखाना चाहिए । इसका अर्थ है |
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| चरित्र की न तो व्याख्या की जाती है न अपेक्षा । | | चरित्र की न तो व्याख्या की जाती है न अपेक्षा । |
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| इसका अर्थ यह भी है कि सबको चरित्र और अच्छे | | इसका अर्थ यह भी है कि सबको चरित्र और अच्छे |
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| सारे विषयों के साथ धर्मशिक्षा को जोड़ना चाहिए । | | सारे विषयों के साथ धर्मशिक्षा को जोड़ना चाहिए । |
| वह आचार के रूप में नहीं अपितु विषयों के स्वरूप | | वह आचार के रूप में नहीं अपितु विषयों के स्वरूप |
− | और सिद्धांतों को मूल्यनिष्ठ बनाकर । उदाहरण के | + | और सिद्धांतों को मूल्यनिष्ठ बनाकर । उदाहरण के |
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| नहीं है। उसके स्थान पर | | नहीं है। उसके स्थान पर |