उपर्युक्त सभी बिन्दुओं के अध्ययन से यह ध्यान में आएगा कि सभी समस्याओं की जड़ स्वार्थ आधारित जीवनदृष्टि है| सामाजिक संगठन और व्यवस्थाएँ भी जीवन दृष्टी से सुसंगत ही होती हैं| संक्षेप में कहें तो सारी समस्याओं का मूल वर्तमान में हम जिस जीवन के प्रतिमान में जी रहे हैं वह जीवन का अभारतीय प्रतिमान है| इस प्रतिमान को केवल नकारने से समस्याएं नहीं सुलझनेवाली| साथ ही में जीवन के निर्दोष भारतीय प्रतिमान की प्रतिष्ठापना भी करनी होगी| | उपर्युक्त सभी बिन्दुओं के अध्ययन से यह ध्यान में आएगा कि सभी समस्याओं की जड़ स्वार्थ आधारित जीवनदृष्टि है| सामाजिक संगठन और व्यवस्थाएँ भी जीवन दृष्टी से सुसंगत ही होती हैं| संक्षेप में कहें तो सारी समस्याओं का मूल वर्तमान में हम जिस जीवन के प्रतिमान में जी रहे हैं वह जीवन का अभारतीय प्रतिमान है| इस प्रतिमान को केवल नकारने से समस्याएं नहीं सुलझनेवाली| साथ ही में जीवन के निर्दोष भारतीय प्रतिमान की प्रतिष्ठापना भी करनी होगी| |