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# अव्यक्त आत्मतत्व का व्यक्त रूप सृष्टि है।
# अव्यक्त आत्मतत्व का व्यक्त रूप सृष्टि है।
# सृष्टि आत्मतत्व का विश्वरूप है ।
# सृष्टि आत्मतत्व का विश्वरूप है ।
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# सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही उसकी धारणा के लिए धर्म की उत्पत्ति हुई है ।
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# सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही उसकी धारणा के लिए धर्म की उत्पत्ति हुई है।
# धर्म विश्वनियम है ।
# धर्म विश्वनियम है ।
# धर्म स्वभाव है ।
# धर्म स्वभाव है ।