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{{One source|date=January 2019}}
== प्रस्तावना ==
== प्रस्तावना ==
हमने [[Jeevan Ka Pratiman (जीवन का प्रतिमान)|'जीवन का प्रतिमान’]] अध्याय में देखा है कि वर्तमान में हम एक अभारतीय प्रतिमान में जी रहे हैं। इसी को हम वैश्विक समझ रहे हैं। इस भ्रम का एक कारण यह भी है कि वास्तव में भी दुनिया के अधिकतम देशों ने इस प्रतिमान का स्वीकार किया है। दुनिया के अन्य देशों के लिए तो यह भौतिक प्रगति की दृष्टि से अनुकरणीय होना स्वाभाविक है। क्यों कि इससे अच्छा विकल्प उनके पास न था और न है। हमारी स्थिति ऐसी नहीं है। हमारे पास इस प्रतिमान से भी बहुत श्रेष्ठ विकल्प था। भारतीय जीवन के प्रतिमान में केवल हम ही जीते थे ऐसा नहीं तो दुनिया हमारा स्वेच्छा से अनुसरण करती थी। समूचे विश्व के लोग भारतीय प्रतिमान की श्रेष्ठता जानकर ही यह अनुसरण करते थे।
हमने [[Jeevan Ka Pratiman (जीवन का प्रतिमान)|'जीवन का प्रतिमान’]] अध्याय में देखा है कि वर्तमान में हम एक अभारतीय प्रतिमान में जी रहे हैं। इसी को हम वैश्विक समझ रहे हैं। इस भ्रम का एक कारण यह भी है कि वास्तव में भी दुनिया के अधिकतम देशों ने इस प्रतिमान का स्वीकार किया है। दुनिया के अन्य देशों के लिए तो यह भौतिक प्रगति की दृष्टि से अनुकरणीय होना स्वाभाविक है। क्यों कि इससे अच्छा विकल्प उनके पास न था और न है। हमारी स्थिति ऐसी नहीं है। हमारे पास इस प्रतिमान से भी बहुत श्रेष्ठ विकल्प था। भारतीय जीवन के प्रतिमान में केवल हम ही जीते थे ऐसा नहीं तो दुनिया हमारा स्वेच्छा से अनुसरण करती थी। समूचे विश्व के लोग भारतीय प्रतिमान की श्रेष्ठता जानकर ही यह अनुसरण करते थे।