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जैसे-जैसे जाति व्यवस्था मजबूत होती गई, वैसे-वैसे स्वतंत्रता , विशेषकर महिलाओं की स्वतंत्रता प्रतिबंध थे और शादी को रद्द कर दिया गया था।
 
जैसे-जैसे जाति व्यवस्था मजबूत होती गई, वैसे-वैसे स्वतंत्रता , विशेषकर महिलाओं की स्वतंत्रता प्रतिबंध थे और शादी को रद्द कर दिया गया था।
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==== उल्टा : ====
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==== प्रतिलोम  : ====
 
वैदिक समय के भीतर कब जाति प्रथा दृढ़ जब नहीं _ नीच लोग नीच संतानों को जन्म देते हैं और इस प्रकार अपनी हीनता का प्रचार करते हैं वे ' विवाह ' कहते थे । इसके अनेक उदाहरण प्राचीन साहित्य में मिलते हैं । जैसे-जैसे जाति व्यवस्था अधिक मजबूत होती गई , यह प्रथा अप्रचलित होती गई गिर गया। स्वतंत्रता के बाद के भारत में, यह धीरे-धीरे है प्रचलित होने के लिए देख रहे हैं है। उलटा और उलटा विवाह के कुछ उदाहरण हैं। समाज उन्हें धीरे-धीरे पहचान रहा है ।
 
वैदिक समय के भीतर कब जाति प्रथा दृढ़ जब नहीं _ नीच लोग नीच संतानों को जन्म देते हैं और इस प्रकार अपनी हीनता का प्रचार करते हैं वे ' विवाह ' कहते थे । इसके अनेक उदाहरण प्राचीन साहित्य में मिलते हैं । जैसे-जैसे जाति व्यवस्था अधिक मजबूत होती गई , यह प्रथा अप्रचलित होती गई गिर गया। स्वतंत्रता के बाद के भारत में, यह धीरे-धीरे है प्रचलित होने के लिए देख रहे हैं है। उलटा और उलटा विवाह के कुछ उदाहरण हैं। समाज उन्हें धीरे-धीरे पहचान रहा है ।
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शास्त्रों में वर्णित आठ प्रकार के विवाह :-
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===== शास्त्रों में वर्णित आठ प्रकार के विवाह :- =====
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पिशाच , दानव , गंधर्व , असुर , प्रजापत्य , अर्श , दैव , ब्रह्मा
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3 पिशाच , दानव , गंधर्व , असुर , प्रजापत्य , अर्श , दैव , ब्रह्मा
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====== पिशाच विवाह: ======
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हाँ अधिकांश निम्नलिखित एक प्रकार का विवाह सोच-विचार किया हुआ जाता है। कोई मृत या बेहोश लड़की के साथ सेक्स करना ' वैम्पायर ' कहलाता है शादी '! यह वैवाहिक संबंध बेशक दुल्हन और उसके माता-पिता का है अचेतन अवस्था में होता है। महिला से रेप , जबरदस्ती शादी , जो वास्तव में एक दुर्घटना है , हालांकि बलात्कार से आगे बढ़ती है संतानों को पहचानने के लिए इसे ' विवाह ' कहा जाता है ।
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3 पिशाच विवाह: हाँ अधिकांश निम्नलिखित एक प्रकार का विवाह सोच-विचार किया हुआ जाता है। कोई मृत या बेहोश लड़की के साथ सेक्स करना ' वैम्पायर ' कहलाता है शादी '! यह वैवाहिक संबंध बेशक दुल्हन और उसके माता-पिता का है अचेतन अवस्था में होता है। महिला से रेप , जबरदस्ती शादी , जो वास्तव में एक दुर्घटना है , हालांकि बलात्कार से आगे बढ़ती है संतानों को पहचानने के लिए इसे ' विवाह ' कहा जाता है ।
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====== राक्षस विवाह : ======
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दुल्हन की अपहरण द्वारा उसकी और उसकी माता-पिता को सहवास द्वारा किया गया विवाह जब स्वीकार नहीं किया जाता है तो उसे ' राक्षस विवाह ' कहा जाता है। है। ऐसे विवाह प्राचीन मानव समाज में अवश्य हुए होंगे। मनु के माता-पिता को पीटे जाने , धमकाने , रोने , अंगों का वर्णन करने का वर्णन गिरती हुई लड़की को जबरदस्ती उठाकर सेक्स करना कार्रवाई से यह विवाह होता है। इससे पैदा हुए बच्चे को सामाजिक पहचान दिलाने के लिए उस समय के विद्वानों ने इसे ' राक्षस विवाह ' के रूप में मान्यता दी थी। क्योंकि बच्चे के पैदा होने में कुछ भी गलत नहीं है।
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3 राक्षस विवाह : दुल्हन की अपहरण द्वारा उसकी और उसकी माता-पिता को सहवास द्वारा किया गया विवाह जब स्वीकार नहीं किया जाता है तो उसे ' राक्षस विवाह ' कहा जाता है। है। ऐसे विवाह प्राचीन मानव समाज में अवश्य हुए होंगे। मनु के माता-पिता को पीटे जाने , धमकाने , रोने , अंगों का वर्णन करने का वर्णन गिरती हुई लड़की को जबरदस्ती उठाकर सेक्स करना कार्रवाई से यह विवाह होता है। इससे पैदा हुए बच्चे को सामाजिक पहचान दिलाने के लिए उस समय के विद्वानों ने इसे ' राक्षस विवाह ' के रूप में मान्यता दी थी। क्योंकि बच्चे के पैदा होने में कुछ भी गलत नहीं है।
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====== गंधर्व विवाह: ======
 
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यह विवाह का एक स्वाभाविक रूप है। लड़की और पुरुष स्वेच्छा से एक दूसरे को स्वीकार करते हैं। कामुकता की प्रबलता में एकांत जब संभोग एकांत में होता है, तो यह पारस्परिक होता है सहमति से होता है। तो समाज ने उन्हें इस शादी से पहचाना इसे 'गंधर्व विवाह ' कहते हैं । मनुस्मृति में इसका कारण एकांत है कहा है।
• गंधर्व विवाह: यह विवाह का एक स्वाभाविक रूप है। लड़की और पुरुष स्वेच्छा से एक दूसरे को स्वीकार करते हैं। कामुकता की प्रबलता में एकांत जब संभोग एकांत में होता है, तो यह पारस्परिक होता है सहमति से होता है। तो समाज ने उन्हें इस शादी से पहचाना इसे 'गंधर्व विवाह ' कहते हैं । मनुस्मृति में इसका कारण एकांत है कहा है।
      
भारतीय साहित्य में ऐसे विवाहों के अनेक उदाहरण हैं। दुष्यंत शकुंतला से शादी के बारे में इतना चर्चित है गंधर्व विवाह! यह शादी पुरुषों और महिलाओं के बीच है इस बात से सहमत। हालांकि धार्मिक या सामाजिक संस्कार नहीं होते हैं।
 
भारतीय साहित्य में ऐसे विवाहों के अनेक उदाहरण हैं। दुष्यंत शकुंतला से शादी के बारे में इतना चर्चित है गंधर्व विवाह! यह शादी पुरुषों और महिलाओं के बीच है इस बात से सहमत। हालांकि धार्मिक या सामाजिक संस्कार नहीं होते हैं।
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3 असुर विवाह / दानव विवाह : हां एक प्रकार का शादी मे कौमार्य के लिए पैसे देता है। यह खरीद और बिक्री का तरीका है। जिसमें पैसा है खास महत्वपूर्ण है। कुछ समाजों में लड़कियों की संख्या कम है। उसमें से विवाह प्रणाली अस्तित्व में आई। हालाँकि बाद के विवाह संस्थानों में दोष मनुष्यों की ओर झुका हुआ था। दुल्हन के बदले पैसे लेना अधर्म है निर्णय लिया। ऋग्वेद में वर्णन के विपरीत , कुछ शारीरिक दोष वाले लोग दुल्हन की शादी में दूल्हा दूल्हे को पैसे देने को तैयार हो गया। फिर भी आओ यदि दुल्हन को किसी पार्टी द्वारा भुगतान किया जा रहा है, तो वह एक ' राक्षस/ विवाह माना जाता है।
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====== असुर विवाह / दानव विवाह : ======
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हां एक प्रकार का शादी मे कौमार्य के लिए पैसे देता है। यह खरीद और बिक्री का तरीका है। जिसमें पैसा है खास महत्वपूर्ण है। कुछ समाजों में लड़कियों की संख्या कम है। उसमें से विवाह प्रणाली अस्तित्व में आई। हालाँकि बाद के विवाह संस्थानों में दोष मनुष्यों की ओर झुका हुआ था। दुल्हन के बदले पैसे लेना अधर्म है निर्णय लिया। ऋग्वेद में वर्णन के विपरीत , कुछ शारीरिक दोष वाले लोग दुल्हन की शादी में दूल्हा दूल्हे को पैसे देने को तैयार हो गया। फिर भी आओ यदि दुल्हन को किसी पार्टी द्वारा भुगतान किया जा रहा है, तो वह एक ' राक्षस/ विवाह माना जाता है।
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प्रजापत्य विवाह: इस मामले में, दुल्हन के पिता का विवाह कुछ शर्तों के साथ होता है तय करना। दोनों पक्ष एक दूसरे को पैसा या अनाज देते हैं। इसमें निर्माता का ऋण चुकौती प्रजनन और प्रजनन के लिए है इसका संबंध पालन-पोषण से है। ऐसे विवाह को ' प्रजापत्यविवाह ' कहा जाता है। बुलाया। धीरे-धीरे यह प्रथा बंद हो गई। बाल विवाह की व्यापकता के कारण शर्त लगाने के लिए लड़की उम्र सीमा तक अविवाहित नहीं रही। इस विवाह को निम्नतर माना जाता था।
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====== प्रजापत्य विवाह: ======
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इस मामले में, दुल्हन के पिता का विवाह कुछ शर्तों के साथ होता है तय करना। दोनों पक्ष एक दूसरे को पैसा या अनाज देते हैं। इसमें निर्माता का ऋण चुकौती प्रजनन और प्रजनन के लिए है इसका संबंध पालन-पोषण से है। ऐसे विवाह को ' प्रजापत्यविवाह ' कहा जाता है। बुलाया। धीरे-धीरे यह प्रथा बंद हो गई। बाल विवाह की व्यापकता के कारण शर्त लगाने के लिए लड़की उम्र सीमा तक अविवाहित नहीं रही। इस विवाह को निम्नतर माना जाता था।
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अर्श विवाह: इस प्रकार के विवाह में दुल्हन का पिता दूल्हे से यज्ञ पूरा करता है करने के लिए गायों की एक जोड़ी लेता है। इसमें पैसे का आदान-प्रदान शामिल है न होने पर भी यज्ञ का आदान-प्रदान होता है, अर्थात एक शर्त लगा दी जाती है हाही को निम्न वर्गीय विवाह माना जाता है। हाहि धीरे-धीरे खत्म हो चुका।
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इस प्रकार के विवाह में दुल्हन का पिता दूल्हे से यज्ञ पूरा करता है करने के लिए गायों की एक जोड़ी लेता है। इसमें पैसे का आदान-प्रदान शामिल है न होने पर भी यज्ञ का आदान-प्रदान होता है, अर्थात एक शर्त लगा दी जाती है हाही को निम्न वर्गीय विवाह माना जाता है। हाहि धीरे-धीरे खत्म हो चुका।
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3 दिव्य विवाह: इस विवाह में होमा के लिए दुल्हन के पिता पुरोहित/गुरुजी/भटजी को कन्या दान करें। अतीत के बलिदानियों के लिए ऐसा दान किया गया। इस विवाह को ' दिव्य विवाह ' कहा जाता है । यह सबसे अच्छा है गुणवत्ता को दक्षिणी माना जाता है। यह एक उच्च कोटि की प्रथा थी। जैसे-जैसे यज्ञों की संख्या घटती गई, वैसे-वैसे अभ्यास भी होता गया।
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इस विवाह में होमा के लिए दुल्हन के पिता पुरोहित/गुरुजी/भटजी को कन्या दान करें। अतीत के बलिदानियों के लिए ऐसा दान किया गया। इस विवाह को ' दिव्य विवाह ' कहा जाता है । यह सबसे अच्छा है गुणवत्ता को दक्षिणी माना जाता है। यह एक उच्च कोटि की प्रथा थी। जैसे-जैसे यज्ञों की संख्या घटती गई, वैसे-वैसे अभ्यास भी होता गया।
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3 प्रजापति विवाह : नमस्ते ए सार्वभौमिक प्रचलित विवाह तरीकों है । इसमें पिता दुल्हन की तलाश में है। दूल्हे को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करके वैदिक जाप के साथ कन्या दान करने से विवाह संपन्न होता है। इस विवाह धर्म में, अर्थ , काम . का अभ्यास करके ब्रह्मप्राप्ति के लक्ष्य को प्राप्त करना एक इच्छा होती है। ब्रह्मप्राप्ति या मोक्ष एक हिंदू की सर्वोच्च इच्छा है विवाह के उद्देश्य पर विचार किया गया है। इसलिए इस विवाह को ' ब्रह्म विवाह ' कहा गया ।
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====== प्रजापति विवाह : ======
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नमस्ते ए सार्वभौमिक प्रचलित विवाह तरीकों है । इसमें पिता दुल्हन की तलाश में है। दूल्हे को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करके वैदिक जाप के साथ कन्या दान करने से विवाह संपन्न होता है। इस विवाह धर्म में, अर्थ , काम . का अभ्यास करके ब्रह्मप्राप्ति के लक्ष्य को प्राप्त करना एक इच्छा होती है। ब्रह्मप्राप्ति या मोक्ष एक हिंदू की सर्वोच्च इच्छा है विवाह के उद्देश्य पर विचार किया गया है। इसलिए इस विवाह को ' ब्रह्म विवाह ' कहा गया ।
    
चार पुरुषार्थ जिन्हें वैदिक धर्म ने धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को प्राथमिकता दी है। इस दृष्टि से ब्रह्म विवाह सर्वोत्तम विकल्प है।
 
चार पुरुषार्थ जिन्हें वैदिक धर्म ने धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को प्राथमिकता दी है। इस दृष्टि से ब्रह्म विवाह सर्वोत्तम विकल्प है।
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वर्तमान प्रारूप:
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====== वर्तमान प्रारूप: ======
 
   
शादी का मकसद है पशु मर्दानगी खत्म करना एक सुव्यवस्थित समाज का उत्पादित किया जाना चाहिए , अर्थात् । वर्तमान युग में मानवीय मूल्यों में घटित होना ह्रास , बढ़ती अश्लीलता , स्वच्छंद जीवन जीने पर उग्रवादी जिद , बढ़ती जा रही लिंग संबंधों के कारण विलासिता और परिणामी त्रुटियां (गलतियां) पहले जैसा पवित्र नहीं। विवाह के इन अपवित्र तत्वों को इस रिश्ते को खत्म कर और भी सभ्य , पवित्र , विश्वसनीय और भरोसेमंद बनाने के लिए विवाह संस्कार अनिवार्य हैं। इस संस्कार की रचना बहुत सोचनीय है हो चूका है। विवाह समारोहों में से प्रत्येक को करीब से देखने से पता चलता है कि कि , ऐतिहासिक काल में लिंग संबंधों के सूक्ष्म अध्ययन से, कई प्रयोग के बाद से वर्तमान विवाह पद्धति विकसित हुई है। वह वैज्ञानिक है। इतना ही नहीं , बल्कि टाइटस , 1) वैदिक , 2) लोकगीत और 3) कुलधर्म: अंगों पर विचार किया गया है।
 
शादी का मकसद है पशु मर्दानगी खत्म करना एक सुव्यवस्थित समाज का उत्पादित किया जाना चाहिए , अर्थात् । वर्तमान युग में मानवीय मूल्यों में घटित होना ह्रास , बढ़ती अश्लीलता , स्वच्छंद जीवन जीने पर उग्रवादी जिद , बढ़ती जा रही लिंग संबंधों के कारण विलासिता और परिणामी त्रुटियां (गलतियां) पहले जैसा पवित्र नहीं। विवाह के इन अपवित्र तत्वों को इस रिश्ते को खत्म कर और भी सभ्य , पवित्र , विश्वसनीय और भरोसेमंद बनाने के लिए विवाह संस्कार अनिवार्य हैं। इस संस्कार की रचना बहुत सोचनीय है हो चूका है। विवाह समारोहों में से प्रत्येक को करीब से देखने से पता चलता है कि कि , ऐतिहासिक काल में लिंग संबंधों के सूक्ष्म अध्ययन से, कई प्रयोग के बाद से वर्तमान विवाह पद्धति विकसित हुई है। वह वैज्ञानिक है। इतना ही नहीं , बल्कि टाइटस , 1) वैदिक , 2) लोकगीत और 3) कुलधर्म: अंगों पर विचार किया गया है।
  
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